मिलावट माफिया पर नहीं कसा अफसरों ने शिकंजा

मिलावट माफिया
  • शुद्धिकरण अभियान में भिंड और मुरैना जिले साबित हुए फिसड्डी

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। खाद्य विभाग के अफसरान अपने ही हिसाब से काम करते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें सरकार से लेकर विभाग के ही आला अफसरों के निर्देशों की ही क्यों न धज्जियां उडऩा पड़े । इसका उदाहरण है प्रदेश में चलाया गया दूध के शुद्धिकरण का विशेष अभियान। इस अभियान में विभाग ने तय लक्ष्य को तो कागजों में हासिल कर लिया, लेकिन वास्तविकता में सरकार की मंशा ही पूरी नहीं हो सकी। इसकी वजह है जो जिले मिलावट के लिए देशभर में बदनाम हैं, उन जिलों में इस अभियान के तहत की जाने वाली कार्रवाई बेहद कम की गई है, जिसकी वजह से वे जिले इस मामले में फिसड्डी बने हुए हैं। इनमें भिंड और मुरैना जैसे जिले भी शामिल हैं। दरअसल दूध, मावा, पनीर सहित इससे बनने वाले खाद्य पदार्थों की जांच के लिए प्रदेश में दूध के शुद्धिकरण का विशेष अभियान चलाया गया था। यह अभियान मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए शुरू किया गया था। इसके तहत बड़ी संख्या में दूध व इससे बने उत्पादों के नमूने भी लिए गए, लेकिन इसमें उन जिलों में बेहद कम नमूने लिए गए हैं, जो जिले पूर्व के अभियान में सबसे अधिक मिलावट वाले पाए गए थे। दरअसल, राजगढ़ में मिलावटी दूध की फैक्ट्री सामने आने के बाद आयुक्त खाद्य सुरक्षा प्रशासन डा. सुदाम खाड़े ने प्रदेश भर में दूध का शुद्धिकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए थे। इसके तहत दूध व इससे बने उत्पाद शामिल किए गए थे। अभियान की शुरुआत दो मार्च से हुई थी। इस दौरान 15 दिनों के आंकड़ों को देखे तो तीन माह का टारगेट खाद्य सुरक्षा प्रशासन के अफसरों ने पूरा कर दिखाया। इस समय सीमा में दूध, मावा, पनीर, घी सहित अन्य खाद्य पदार्थों के 1800 लीगल नमूने लिए गए।
यह जिले रहे अव्वल
जबलपुर जिले में सबसे अधिक दूध के 86 नमूने लिये गये। इसके अलावा मावा, पनीर, घी और दूध से बने अन्य उत्पादों के 30 सैंपल हुए। दूसरे नंबर पर भोपाल रहा। यहां पर दूध के 44, मावा, पनीर, घी और अन्य दूध के पदार्थों के 37 सैंपल लिये गये। तीसरे नंबर पर ग्वालियर जिला रहा। यहां पर दूध के 40 नमूने लिये गये। वहीं मावा, पनीर, घी सहित अन्य के 41 सैंपल हुए। चौथे नंबर पर देवास जिला रहा। यहां पर दूध के 31 नमूने लिये गये। इसके अलावा मावा, घी, पनीर सहित अन्य पदार्थों के 35 सैंपल लिये गये।
यह जिले रहे फिसड्डी
भिंड मुरैना दो जिले ऐसे हैं, जहां सबसे अधिक मिलावट के मामले सामने पूर्व में सामने आये हैं। बावजूद इसके यहां पर लीगल सैंपल लेने में अफसरों ने खास रुचि नहीं दिखाई। दो से 17 मार्च के बीच भिंड में दूध के महज 2, मावा के 7, पनीर 1, घी के 3 सैंपल हुए। दूध के अन्य पदार्थों के 17 नमूने लिये गये। वहीं दूसरे नंबर पर आता है मुरैना। यहां पर दूध के 6, मावा के 6, पनीर 4, घी के 8 नमूने लिये गये। दूध के अन्य पदार्थों के 21 सैंपल हुए। इसी तरह से रायसेन जिले में दूध के महज 2 नमूने लिये गये। वहीं मावा के 1, पनीर के 3 और दूध से बने पदार्थों के 10 नमूने लिये गये। उमरिया जिले में दूध के 2 और घी का एक नमूना लिया गया। सिंगरौली में तो दूध का एक भी लीगल नमूना नहीं हुआ। पनीर का एक और अन्य दूध से पदार्थों के 5 लीगल सैंपल लिये गये हैं।
नमूना न लेने की यह वजह
सर्विलांस, एमएफटीएल, मैजिक बॉक्स से सभी जिलों में बड़ी संख्या में नमूने लिये गये हैं, लेकिन इन नमूनों में सैंपल फेल होने के बाद भी संबंधित व्यक्ति पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती है। इसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को एक बार फिर लीगल सैंपल लेने की कार्रवाई करनी पड़ती है। वहीं लीगल नमूना लेने पर एक तो 14 दिनों में रिपोर्ट देना होता है। साथ ही सैंपल फेल होने की दशा पर सीधे कार्रवाई होती है। यही कारण है कि सैंपल तो सभी जिलों में हुए, लेकिन कुछ जिले लीगल नमूने लेने से बचते रहे।

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