अफसरों ने कागजों में खरीद डाली हजारों क्विंटल धान

धान
  • अधिकारियों, किसानों और व्यापारियों के गठजोड़ का कारनामा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इस साल 43 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी की गई है। प्रदेश में धान के उपार्जन में गड़बड़ी एवं फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सरकार ने कई स्तरों पर व्यवस्था की थी। लेकिन अधिकारियों, बड़े किसानों और व्यापारियों की मिलीभगत से इस बार भी बड़े पैमाने पर खरीदी में भ्रष्टाचार हुआ है। खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय के रिव्यू में 5100 क्विंटल धान की बोगस खरीदी का मामला सामने आया है। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि फर्जीवाड़े का आंकड़ा काफी बढ़ेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में 23 जनवरी तक धान की खरीदी हुई है। प्रदेश में सबसे अधिक धान खरीदी बालाघाट, कटनी, सतना, जबलपुर और रीवा जिलों में दर्ज की गई। बालाघाट जिले में सबसे ज्यादा 5.49 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई, जबकि कटनी में 4.11 लाख मीट्रिक टन, सतना में 4.01 लाख मीट्रिक टन, जबलपुर में 3.80 लाख मीट्रिक टन और रीवा में 3.48 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। वहीं, कुछ जिलों में धान की खरीदी बेहद कम रही। मुरैना में 237 मीट्रिक टन, अलीराजपुर में 56 मीट्रिक टन और झाबुआ में मात्र 18 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई।
6.68 लाख किसानों से हुई खरीदी
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 6.68 लाख किसानों से 43.47 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। इस खरीदी के तहत किसानों के आधार लिंक्ड बैंक खातों में 8267 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की जा चुकी है। समर्थन मूल्य के तहत धान कॉमन का रेट 2300 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान का मूल्य 2320 रूपए प्रति क्विंटल तय किया गया था। धान की खरीदी के बाद सरकार की प्राथमिकता इसका जल्द से जल्द उठाव और मिलिंग प्रक्रिया को पूरा करना है। अब तक खरीदे गए धान में से 39.66 लाख मीट्रिक टन का परिवहन किया जा चुका है, जबकि 12.55 लाख मीट्रिक टन धान मिलर्स को भेजा गया है।
सही हुई जांच तो कई गुना बढ़ जाएंगे आंकड़े
जानकारों का कहना है कि प्रदेश में धान खरीदी पूरी होने के बाद गोदामों में रखे जाने वाले धान की जांच कराई जाए तो घोटाले का आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है। गौरतलब है कि प्रदेश में फसलों के उपार्जन में गड़बड़ी एवं फर्जीवाड़ा हर बार सामने आता है, लेकिन सख्त कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। पिछले महीने सामने आए धान उपार्जन घोटाले में सरकार ने सख्ती दिखाई है। लेकिन अफसरों की मिलीभगत से धान खरीदी में फर्जीवाड़ा इस बार भी हो गया है। जबलपुर जिले के धान खरीदी में केंद्रों में फिर गड़बड़झाला का मामला सामने आया है। जिले के 11 केंद्रों पर धान खरीदी में अनियमितताएं पाई गई है। बड़े किसानों और व्यापारियों की मिलीभगत से गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। औसत 67 क्विंटल वाले किसान 100-200 क्विंटल धान ला रहे है। कलेक्टर ने धान खरीदी की जांच के लिए समिति बनाई है। कई जगहों पर किसानों के नाम पर फर्जी रिकॉर्ड दर्ज किए गए है। धान खरीदी में सरकारी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी। फर्जी किसान बनाकर धान खरीदी में घोटाले किए जा रहे है। दस्तावेज में हेरफेर कर धान खरीदी के आंकड़े बढ़ाए जा रहे है। धान खरीदी केंद्रों पर जांच के दौरान अनियमितताएं सामने आईं है। मामले में जिम्मेदार व्यक्ति यों को चिन्हित किया जा रहा है।
फर्जी तरीके से ई- उपार्जन की पोर्टल में एंट्री
गौरतलब है कि प्रदेश में 23 जनवरी तक धान की खरीदी हुई है। धान खरीदी के दौरान प्रदेशभर से फर्जीवाड़े की शिकायतें आ रही थीं। लेकिन अब मप्र में धान के उपार्जन में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। उपार्जन की आखिरी पर खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय ने रिव्यू किया तो खुलासा हुआ कि 43 लाख मैट्रिक टन खरीदी में 5100 क्विंटल की खरीदी बोगस हुई है। मामले को लेकर विभाग ने 20 कलेक्टरों को पत्र लिखा है। फर्जी तरीके से ई उपार्जन की पोर्टल में एंट्री हुई और बारदाना की भी कमी हुई। अनियमितता के संबंध में कलेक्टरों को जांच करने के लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने निर्देश दिए है। 27 जनवरी को कलेक्टरों को फिजिकल जांच की रिपोर्ट देना होगा।

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