
- कैग की रिपोर्ट में खुलासा
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पित हैं। इसके लिए वे किसानों पर किसी भी प्रकार की आपदा आने पर सरकार का खजाना खोल देते हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के अफसर ऐसे हैं, जो किसानों का मुआवजा ही हड़प जाते हैं। इसका खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार किसानों को सरकार द्वारा दी जा रही राहत राशि को पटवारी और तहसीलदार खा रहे हैं। ऐसे मामले प्रदेश के 14 जिलों में सामने आए हैं। इसको लेकर राजस्व विभाग की नींद उड़ी है। विभाग ने सभी कलेक्टरों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में किसानों पर आने वाली आपदा-विपदा का निवारण करने के लिए मुख्यमंत्री हरदम तत्पर रहते हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान बार- कहते हैं कि किसानों के नाम का किसी ने एक पैसा भी खाया तो उसे नौकरी करने लायक नहीं छोडूंगा। लेकिन, अन्नदाताओं को मिलने वाली सूखा राहत और फसल नुकसान पर मुआवजा राशि हड़पने वाले मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री के जिले तक पहुंच गए हैं। महालेखाकार ग्वालियर द्वारा की गई प्रारंभिक ऑडिट से खुलासा हुआ है कि प्रदेश के 14 जिलों में किसानों को मिलने वाली राशि के नाम पर गड़बडिय़ां हुई हैं। 3 साल में भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं। जिन जिलों में गड़बडिय़ां सामने आई हैं उनम,ें सीहोर, विदिशा, रायसेन, शिवपुरी, सतना, दमोह, छतरपुर, देवास, खंडवा, सिवनी, मंदसौर, आगर मालवा, श्योपुर और रतलाम आदि शामिल हैं।
दोषियों पर होगी कार्रवाई
किसानों की राहत राशि हड़पने का मामला सामने आने के बाद अब दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही जा रही है। प्रमुख सचिव राजस्व मनीष रस्तोगी का कहना है कि किसानों के नाम पर राशि हड़पने वाले कोई भी हों, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। सभी जिलों के कलेक्टरों को जांच कराने और कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार शिवपुरी के पोहरी में सूखा राहत के 2.78 करोड़ का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि पटवारी ने नायब नाजिर के प्रभार में रहते हुए अपनी पत्नी, बच्चे व संबंधियों के खातों में राशि डाली और बाद में निकाल लिए। यह खुलासा महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर की ऑडिट से हुआ है। कलेक्टर रविंद्र चौधरी ने जांच शुरू करा दी है। उनका कहना है कि पोहरी में किसानों के नाम का पैसा हड़पने का मामला महालेखाकार की प्रारंभिक ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है। पटवारी को सस्पेंड कर दिया है। जांच शुरू कर दी है। इसके पहले कोलारस में भी गड़बड़ी मिली थी। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के विस क्षेत्र मल्हारगढ़ में वर्ष 2019 के दौरान अतिवृष्टि से 17 गांवों के नाम से संदिग्ध खातों में एक करोड़ से अधिक की राशि की गड़बड़ी हुई। कलेक्टर ने तत्कालीन नायब नाजिर वीरन्द्र सिंह तोमर, सीतामऊ के नायब नाजिर राधेश्याम नकुम को निलंबित कर दिया। केवलारी तहसील में राहत राशि करीब 11 करोड़ 16 लाख के गबन का मामला सामने आया है। सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी सचिन दहायत के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। कलेक्टर ने आरोपी को सस्पेंड कर दिया है। आरोप है कि 279 मृत लोगों के नाम की राशि 44 लोगों के खाते में डालकर निकाल ली। सीहोर जिले में करीब 500 किसानों के खाते में तीन साल से फसल क्षतिपूर्ति की राशि नहीं आने का खुलासा हुआ है। यह राशि करीब दो करोड़ रुपए की है। गड़बड़ी वर्ष 2019, 2020 और 2021 में हुई बताई गई है। कलेक्टर ने जांच शुरू करा दी है। पूर्व आयुक्त सागर संभाग मुकेश शुक्ला का कहना है कि छतरपुर में किसानों के नाम की राशि हड़पने का मामला सामने आया था। मैंने उसकी जांच की थी और रिपोर्ट भी सौंप दी है। इसमें घोटाला तो हुआ था। कई कर्मचारी दोषी पाए गए थे।