
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। शराब सिंडिकेट के मामले में नरम रुख रखने वाले आबकारी अमले को अब उनके प्रभाव वाले 17 जिलों में शराब दुकानों की नीलामी करने में पसीने छूट रहे हैं। सिंडिकेट में शामिल ठेकेदार अब भी विभाग को अपने हिसाब से ठेकों के लिए मजबूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि विभाग के लिए इस बार शराब के ठेके परेशानी का सबब बने हुए हैं। इन जिलों में शराब दुकानों की नीलामी के लिए कई चरण हो चुके हैं, लेकिन हालात यह हैं कि इसके बाद भी एक-दो जिलों को छोड़ दें तो बाकी जिलों में कोई भी जिला पचास फीसदी तक भी दुकानों की नीलामी नहीं कर सका है। दरअसल शराब ठेकेदार प्रदेश की नई शराब नीति में नए सिरे से किए गए कई नए प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं। ठेकेदार नई नीति में तय की गई रिजर्व प्राइस, बैंक गारंटी को लेकर तो पहले से ही नाराज चल रहे थे, इस बीच अब दुकानों की शिफ्टिंग में विधायकों की सहमति के मामले ने भी तूल पकड़ लिया है। इस मामले में अब ठेकेदार विरोध में खड़े हो गए हैं। अब ठेकेदार इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसकी वजह है कि अब तक यह फैसला जिला समिति द्वारा किया जाता था, जिसका अध्यक्ष संबंधित जिले का कलेक्टर होता है। लेकिन इस बार सरकार ने इसमें परिवर्तन करते हुए इसके अधिकार विधायकों को दे दिये हैं। नए प्रावधान के मुताबिक शराब दुकानों का स्थान बदलने के लिए अगर स्थानीय विधायक अनुमति प्रदान नहीं करते हैं तो किसी कारण वश अगर शराब दुकानों को शिफ्ट किया जाता है तो, इसके लिए पहले संबंधित क्षेत्र के विधायक की सहमति लेना अनिवार्य होगी। सहमति नहीं मिलने पर दुकानों की शिफ्टिंग ठेकेदार नहीं कर सकेंगे। खास बात यह है कि अगर कोई दुकान एक विधानसभा से दूसरी विस क्षेत्र में शिफ्ट की जानी है तो दोनों ही क्षेत्रों के विधायकों से अनुमति लेनी होगी। दरअसल शराब दुकानों में अभी तक किसी भी प्रकार का राजनीतिक दखल नहीं है, लेकिन जिलों में सभी पॉवर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति के पास होने से दुकानों को लेकर आने वाली अड़चनों को दूर कर लिया जाता है। इसमें ठकेदारों की मर्जी का पूरा ख्याल रखा जाता है। अब विधायकों द्वारा तय की गई जगह पर ही ठेकेदार को दुकान खोलनी होगी। इसके साथ ही दुकानों में उनका हस्तक्षेप बढ़ जाएगा।
बड़े ग्रुपों में आ रही हैं मुश्किलें
अगर भोपाल जिले की बात की जाए तो पहले चरण की नीलामी में 33 ग्रुपों में से 11 ग्रुप की करीब 32 शराब दुकानों की ही नीलामी हो सकी हैं। यह दुकानें 300 करोड़ रुपए से अधिक कीमत में हुई हैं। अभी शहर के बड़े ग्रुप एमपी नगर, अरेरा कॉलोनी, कोलार की दुकानों की नीलामी नहीं हो सकी है। इनके लिए विभाग को मशक्कत करनी पड़ रही है। ये तीनों ग्रुप दुकानें 54 करोड़, 53 करोड़ और 52 करोड़ रुपए की हैं। बीते दिनों शहर की 90 शराब दुकानों में से मात्र 32 को ही खरीदने के लिए शराब कारोबारी आगे आए थे। उनमें सिर्फ छोटे ग्रुप की दुकानों को लेने की होड़ दिखी थी। पहले चरण में नीलामी में शेष रह गई दुकानों की दूसरे चरण की आॅनलाइन नीलामी की तारीख बढ़ा दी गई है। पहले यह नीलामी 24 फरवरी गुरुवार को होनी थी, लेकिन किसी करण वश इसे आगे बढ़ा दिया गया है। अब यह 28 फरवरी को होगी। इसमें एक साथ सभी 17 जिलों की शेष रह गई शराब दुकानों के लिए ठेकेदार बोली लगा सकेंगे।