7090 अभ्यर्थियों में से अभी तक 22 फर्जी पकड़ाए

आरक्षक भर्ती घोटाला
  • आरक्षक भर्ती घोटाला में बड़ा खेल…

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। व्यापमं घोटाले को लेकर लंबे समय तक विवादों में रही मप्र की भर्ती परीक्षाओं में गड़बडिय़ां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। अब साल 2023 में हुई मप्र पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में एक नया घोटाला सामने आया है। फिल्म मुन्नाभाई की तर्ज पर नकली अभ्यर्थी जिसे सॉल्वर कहा जाता है, उसने असली अभ्यर्थी की जगह ना केवल परीक्षा दी बल्कि पास होकर उसे कांस्टेबल भी बना दिया।  लेकिन जब बारी जॉइनिंग की आई तो उनका फर्जीवाड़ा पकड़ा गया और अब नकली के साथ-साथ असली अभ्यर्थी भी पुलिस हवालात की हवा खा रहे हैं। लाखों युवाओं में से चुने गए 7090 अभ्यर्थियों में से अभी तक 22 फर्जी अभ्यार्थी पकड़ाए हैं। अब तक की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि ग्वालियर-चंबल में गिरोह का नेटवर्क है।
    सालों के इंतजार के बाद हुई पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में बड़ा खेल पकड़ में आया है, जहां असली अभ्यर्थियों की जगह नकली अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी और अच्छे अंको से पास भी हो गए। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद 22 अभ्यार्थियों के विरूद्ध 21 प्रकरण दर्ज किए गए है। अभी तक 24 लोगों को हिरासत में लिया गया हैं। भर्ती परीक्षा में दूसरे लोगों को बैठाकर परीक्षा दिलवाने और आधार कार्ड में बायोमेट्रिक बदलाव के जरिए हेराफेरी की गई। इसमें अनियमितता करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक लॉ एंड ऑर्डर अंशुमन सिंह ने मीडिया को जानकारी दी। सिंह ने बताया कि वर्ष 2023 में पुलिस आरक्षक जीडी और रेडियों में रिक्त पदों के लिए मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसमें 652057 उम्मीदवारों ने आवेदन किया इसके बाद लिखित परीक्षा में चयनित 55,220 अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा 16 अक्टूबर से 20 नवंबर 2024 तक हुई, जिसके बाद 6,423 (5090 पुरुष, 1333 महिला) अभ्यार्थी चयनित हुए थे। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान कई जिलों में गंभीर अनियमितताएं सामने आई।
    ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
    मुरैना में 5 अभ्यर्थियों की जगह अन्य लोग शारीरिक दक्षता परीक्षा देने पहुंचे। संदेह होने पर उन्हें परीक्षा से बाहर कर एफआईआर दर्ज की गई। भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा से पहले और बाद में दो बार आधार कार्ड का बायोमेट्रिक संशोधन कराया। इस संशोधन के जरिए किसी अन्य व्यक्ति को परीक्षा दिलवाने की साजिश रची गई। दस्तावेज जांच और तकनीकी विश्लेषण से यह बात सामने आई कि अभ्यर्थियों की हस्तलिपि, फिंगरप्रिंट और लोकेशन में असंगति थी। अब तक 22 अभ्यर्थियों के खिलाफ 21 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। इसमें मुरैना में सात प्रकरण, शिवपुरी में 6, श्योपुर में दो और इंदौर, दतिया, ग्वालियर, अलीराजपुर, राजगढ़, शहडोल, 1-1 प्रकरण दर्ज है। आईजी अंशुमान सिंह ने बताया कि कुछ आधार कार्ड वेंडरों ने लाभ कमाने के लिए बिना सत्यापन के संशोधन को अपलोड कियाए जिसका अपराधियों ने फायदा उठाया। आईजी ने बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि एक ही व्यक्ति ने कई अभ्यर्थियों की ओर से परीक्षा दी। इसके लिए संबंधित सॉल्वर को मोटी रकम दी गई थी। पुलिस ने उसकी पहचान कर ली है और गिरफ्तारियां जारी हैं। आईजी ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सीबीआई या एसआईटी जांच की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पुलिस मुख्यालय स्तर पर पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है। डीजीपी के निर्देशन में चयन शाखा और अन्य इकाइयों ने गहन छानबीन की है।
    बार-बार कराया बायोमेट्रिक अपडेशन
    गौरतलब है कि मप्र पुलिस आरक्षक जीडी/रेडियो भर्ती परीक्षा 2023 में पास मुरैना से कुल 38 अभ्यर्थी पास हुए थे। इनमें से जॉइनिंग से पहले डाक्यूमेंट्स वेरीफिकेशन के दौरान दो अभ्यर्थी संदिग्ध पाए गए। इनके नाम राधाचरण पुत्र रामपति मोहनपुरा जिला धौलपुर तथा दिनेश पुत्र राजेन्द्र सिंह निवासी भिंड हैं। जांच के दौरान पता चला कि राधाचरण ने अपने आधार कार्ड में परीक्षा से पहले तथा बाद में 3 बार बायोमेट्रिक अपडेट कराया। पूछताछ के दौरान दोनों अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्होंने सॉल्वर हायर कर परीक्षा दिलवाई थी। इसलिए परीक्षा से पहले तथा बाद में फोटो-फिंगर अपडेट कराए गए। मुरैना में 12 केसों का पर्दाफाश होने के साथ ही शिवपुरी में भी 6 मामलों का खुलासा हुआ है। पूरे नेटवर्क का खुलासा करने के लिए अब शिवपुरी पुलिस अधीक्षक ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपेंगी। माना जा रहा है कि ग्वालियर-चंबल में गिरोह का बड़ा नेटवर्क है। इसी नेटवर्क की जड़ तक जाने के लिए मुरैना और शिवपुरी पुलिस लगातार जुटी है।  रामनरेश, भूपेंद्र, धर्मेंद्र, मोनू रावत, अंकेश रावत और निर्भय सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि इनके आधार कार्ड और हस्ताक्षर मूल रूप से प्रमाणित नहीं हैं। यही वजह है कि अब इनसे पूछताछ की जा रही है। इस मामले मे पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ का कहना है सतनबाड़ा थाने में मामला दर्ज किया गया है। अब तक हमारे सामने कुल 6 ऐसे संदिग्ध आरोपी हैं, जिनके संबंध में पुलिस जांच पड़ताल कर रही है। कुछ साल्वर के नाम पता लगा लिए हैं। कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है, जिसका खुलासा जल्द करेंगे।
    मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद जांच तेज
    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनियमितता में शामिल किसी भी अभ्यर्थी को बख्शने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता से कोई समझौता नहीं होगा। इसको लेकर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पुलिस आरक्षक भर्ती-2023 की प्रक्रिया में फर्जीवाड़े एवं अनियमितता की सूचना मिलने पर उनके द्वारा सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया। इस प्रकार के आपराधिक कृत्य, जिनमें योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होता है, मध्यप्रदेश में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस मुख्यालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी सफल अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक डाटा और आधार हिस्ट्री की सूक्ष्मता से जांच की जा रही है। प्रथम दृष्ट्या इम्परसोनेशन पाए जाने पर अभ्यर्थियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।

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