- मप्र सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच बनी सहमति
- गौरव चौहान

ओबीसी आरक्षण को लेकर एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह की उपस्थिति में याचिकाकर्ताओं और अधिवक्ताओं के साथ हुई बैठक में महत्वपूर्ण सहमति बनी है। बैठक के दौरान ओबीसी समाज को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने पर आम सहमति बनी है। एडवोकेट जनरल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संदेश रखा कि मप्र सरकार और मुख्यमंत्री खुद चाहते हैं कि ओबीसी को पूरा 27 प्रतिशत आरक्षण मिले। उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में सरकार और ओबीसी महासभा दोनों मिलकर पक्ष रखेंगे। इसके लिए ओबीसी समाज की ओर से भी अधिवक्ताओं की नियुक्ति की जा रही है। 2019 से अब तक 13 प्रतिशत होल्ड पर रोके गए सभी पद ओबीसी समाज द्वारा भरे जाएं। यह मांग ओबीसी महासभा की भी रही है।
राजधानी के एक होटल में ओबीसी आरक्षण को लेकर बुलाई गई बैठक दो घंटे तक चली जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर, रामेश्वर ठाकुर समेत ओबीसी वर्ग के अन्य अधिवक्ताओं, ओबीसी महासभा और ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिलाने की लड़ाई लड़ रहे संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि सरकार यह कह रही है कि हम 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन पीएससी की परीक्षा के जरिए होने वाली भर्ती में वर्ष 2019 से जो 13 प्रतिशत पद होल्ड किए जा रहे हैं, उन पदों को अनहोल्ड नहीं किया जा रहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट भी साफ कर चुका है कि आपको हमारे पास आने की जरूरत नहीं है। हाल ही में आए पीएससी के नतीजों में भी ये पद होल्ड रखे गए हैं। इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि यदि पद अनहोल्ड कर दिए गए तो अन्य वर्ग के लोग कोर्ट का रुख कर सकते हैं, जिससे पूरा मामला फिर लटक सकता है। आने वाली 23 सितंबर से शुरू होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में यह साफ होगा कि ओबीसी समाज की वर्षों पुरानी मांग पर अंतिम मुहर कब और कैसे लगती है। इस बैठक के बाद ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से निवास पर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य शासन द्वारा ओबीसी वर्ग को उनके अधिकार दिलाने के लिए किए जा रहे कानूनी प्रयासों के प्रति संतुष्टि प्रकट की और मुख्यमंत्री डॉ. यादव के साथ कदम से कदम मिलाकर ओबीसी वर्ग के कल्याण की दिशा में कार्य करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में एडवोकेट वैभव सिंह, एडवोकेट धर्मेंद्र सिंह कुशवाह, इंजीनियर महेंद्र सिंह लोधी, डॉ. ब्रजेंद्र यादव एवं लोकेंद्र गुर्जर सहित सदस्य शामिल रहे।
23 को संयुक्त रूप से रखेंगे अपना पक्ष
आगामी 23 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट में शुरू होने वाली सुनवाई में सरकार और याचिकाकर्ता मिलकर संयुक्त रूप से अपना पक्ष रखेंगे। सरकार के वकीलों के साथ-साथ ओबीसी महासभा की ओर से भी अधिवक्ता नियुक्त किए जा रहे हैं। 13 प्रतिशत होल्ड हटाने और 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की दिशा में ओबीसी महासभा, याचिकाकर्ता एवं ओबीसी समाज के अधिवक्ताओं द्वारा एक अभिमत एडवोकेट जनरल को सौंपा जाएगा। यह स्पष्ट किया गया कि मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाना अब साझा लक्ष्य है, जिसे एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ा जाएगा। बैठक में शामिल अधिवक्ताओं ने बताया कि सबकी बात सुनने के बाद महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा है कि सरकार सही फैसला करेगी। उन्होंने कहा कि इस बात के लिए सभी सहमति दें कि सुप्रीम कोर्ट में सभी सरकार के साथ ओबीसी आरक्षण पर पक्ष रखेंगे क्योंकि सरकार 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है। इसके लिए बैठक में शामिल अधिवक्ताओं और प्रतिनिधियों से हाथ उठवाकर सहमति ली गई।
पी विल्सन का नाम दिया
याचिकाकर्ता लोकेंद्र गुर्जर और रामगोपाल लोधी ने बताया कि सरकार ने ओबीसी महासभा की तरफ से दो वकीलों के नाम देने को कहा था, जिसमें से एक नाम भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी विल्सन का दे दिया गया। दूसरे के वकील के नाम पर विचार किया जा रहा है। सुनवाई से पहले सरकार को दूसरा नाम भी दे दिया जाएगा। शाम को ओबीसी महासभा के प्रतिनिधि और याचिका लगाने वाले उम्मीदवारों ने सीएम आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात भी की।
अनहोल्ड किया तो कोर्ट जाएंगे लोग
बैठक के बाद सभी पक्षों के सहमति और नतीजे को लेकर मीडिया ने प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह से बात करने की कोशिश की लेकिन वे जवाब देना टाल गए। इसके बाद ओबीसी महासभा के धर्मेंद्र सिंह और अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि आज हुई बैठक में जब पदों को अनहोल्ड किए जाने का मामला उठा तो महाधिवक्ता सिंह ने यह कहा कि अगर पदों को अनहोल्ड किया गया तो लोग कोर्ट चले जाएंगे। बैठक में शामिल अधिवक्ताओं ने बताया कि सबकी बात सुनने के बाद महाधिवक्ता ने कहा है कि सरकार सही फैसला करेगी। उन्होंने कहा कि इस बात के लिए सभी सहमति दें कि सुप्रीम कोर्ट में सभी सरकार के साथ ओबीसी आरक्षण पर पक्ष रखेंगे क्योंकि सरकार 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है। इसके लिए बैठक में शामिल अधिवक्ताओं और प्रतिनिधियों से हाथ उठवाकर सहमति ली गई।