
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर गहमागहमी और तेज हो गई है। इस मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय ओबीसी महासभा प्रदेश में जन जागरण अभियान के साथ ही कल से जिलों में कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने जा रही है। ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण तथा जातिगत जनगणना सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के कलेक्टर कार्यालय के घेराव की रणनीति बनाई गई है। कल से जबलपुर में इसकी शुरूआत की जा रही है। ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय महासचिव तुलसीराम पटेल के मुताबिक आरक्षण राजनीतिक नहीं बल्कि एक विशाल समुदाय के उत्थान से जुड़ा मुद्दा है। यही वजह है कि अब अधिकारों के लिए ओबीसी महासभा द्वारा प्रदेश भर में जन जागरण अभियान के साथ सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए धरना प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग में पद खाली पड़े हैं लेकिन सरकार की उन्हें भरने में रुचि नहीं है। यदि इन पदों को भर दिया जाए तो यह ओबीसी के कल्याण के लिए आयोग प्रभावी तरीके से काम कर सकेगा।
नहीं मिला राजनीतिक प्रतिनिधित्व
अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि ओबीसी वर्ग को राजनीतिक प्रतिनिधित्व से दूर रखा गया है। ऐसे में महासभा ने मांग की कि ओबीसी को भी अनुसूचित जाति, जनजाति की तरह लोकसभा और विधानसभा में आबादी के अनुपात में 52 सीटें आरक्षित की जाएं तथा न्यायिक क्षेत्र के साथ ही सभी प्रतियोगी परीक्षाओं और चयन समितियों में भी 52 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। यह ना सिर्फ ओबीसी बल्कि समाज और राष्ट्र के हित में भी है।
पूर्ववर्ती सरकार ने पारित किया था अध्यादेश
ओबीसी महासभा के मुताबिक 52 फीसदी आबादी के बावजूद ओबीसी समाज आजादी के 70 वर्ष बाद भी सिर्फ 27 प्रतिशत आरक्षण ही ले पाया है। वहीं प्रदेश में तो उसे केवल 14 फीसदी आरक्षण पर ही संतोष करना पड़ रहा है। बहरहाल पूर्ववर्ती सरकार में शासकीय नौकरियों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का अध्यादेश पारित किया था लेकिन मौजूदा सरकार ने अदालती स्थगन के बहाने उसे भी होल्ड कर दिया है जबकि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में 13 जुलाई 2021 को प्रदेश सरकार के आवेदन पर पूर्व में जारी अपने अंतरिम आदेश को संशोधित करते हुए मेडिकल ऑफिसर की भर्ती में 13 प्रतिशत आरक्षण होल्ड करने की अनुमति दी है। वह भी इसलिए क्योंकि इसका निवेदन सरकार की ओर से किया गया था।