संगठन सृजन के बाद कांग्रेस में बढ़ी ओबीसी नेताओं की नाराजगी

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  • सीडब्ल्यूसी सदस्य पटेल ने जिलाध्यक्षों के फैसले पर उठाए थे सवाल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में संगठन सृजन अभियान के बाद नेताओं में नाराजगी बढ़ गई है। भले ही जिलाअध्यक्षों की नियुक्ति हो गई है लेकिन पार्टी के सीनियर नेता अभी भी खफा नजर आ रहे हैं। पिछले दिन पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने अध्यक्ष जीतू पटवारी और प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी पर आरोप लगाते हुए सवाल उठाए थे।
अब पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी पार्टी के नेताओं पर बिफरते हुए सलाह दे डाली है। यादव मीडिया पर लिखा कि समन्वय और एकजुटता से संघर्ष करें और जहरीले बयानों से बचें। सोशल आम बादव ने लिखा कि पार्टी एवं पार्टी की विद्यारधारा के लिए वैचारिक और सतही संघर्ष आज समय की मांग है सिर्फ भाषणों एवं बयानों से जहरीली विचारधाराओं से संघर्ष कर पाना नामुमकिन है, सभी को साथ रख कर अपनी विचारधारा को लेकर समन्वय और एकजुटता से हम संघर्ष करेंगे, तभी प्रदेश में हमारी सरकार बनाने का सपना साकार होगा। जिस साहस और ईमानदारी के साथ हमारे नेता राहुल गांधी संघर्ष कर रहे हैं उसका एक प्रतिशत भी मप्र में हम अंगीकार कर लें तो संघर्ष की राह आसान हो जाएगी। दरअसल पिछले एक महीने के भीतर कांग्रेस के दो बड़े ओबीसी वर्ग के नेताओं ने खुलकर पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला है।, हालांकि कांग्रेस के नेता इस मामले को पार्टी का अंदरूनी मामला बता रहे हैं लेकिन फिर भी नेताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। यही कारण है कि पहले कमलेश्वर पटेल ने पार्टी और संगठन पर सवाल उठाए थे। फिर अरुण यादव ने नेताओं को सलाह देते हुए राहुल गांधी के रास्ते पर चलने की नसीहत दी है।
यह आरोप लगाए थे पटेल ने
पार्टी में गुटबाजी को लेकर पटेल ने कहा था कि मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक, पाले पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक। इसके आगे उन्होंने कहा कि गुटबाजी प्रतिस्पर्धा को लेकर हमेशा रही है, लेकिन इतनी गुटबाजी मी न हो। पटेल ने आगे कहा कि प्रदेश के प्रमारी का काम समन्वय बनाना होता है, न कि पार्टी बनना है। उन्होंने कहा कि थोड़ी बहुत आपस में नाराजगी हो सकती है, लेकिन बहुत बड़ी नाराजगी से समाधान नहीं होगा। मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के नेताओं की नाराजगी से कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है।

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