अफसरों की चारागाह बना एनवीडीए

एनवीडीए

– प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों ने विभाग को जमकर लगाया चूना

– 36 साल बाद भी अरबों की परियोजनाएं आधी-अधूरी


भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रतिनियुक्ति और संविदा अधिकारियों-कर्मचारियों के भरोसे पिछले 36 साल  से चल रहा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) अफसरों की चारागाह बनकर रह गया है। इस कारण अरबों रूपए की कई परियोजनाएं आधी-अधूरी पड़ी हैं। अब स्थिति यह है की इस विभाग में अधिकारी-कर्मचारी प्रतिनियुक्ति और संविदा पर जाने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि नर्मदा घाटी विकास विभाग का गठन वर्ष 1985 में सिंचाई विभाग से अलग करते हुए किया गया था। नया विभाग बनाने की जरूरत इसलिए हुई थी कि वर्ष 1979-80 में पानी का आवंटन तय होना था। मप्र के हिस्से में सबसे ज्यादा 18.25 मिलियन एकड़ फीट पानी आया। इसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र का नंबर था। पानी का उपयोग करने राज्य में 25 बड़े बांध बनाने केंद्र को प्रस्ताव दिया। परियोजनाओं को संचालित करने 45 साल के लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण बनाया गया। लेकिन विसंगति यह रही की विभाग का अपना कैडर नहीं बनाया गया। तब से अब तक विभाग प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों-कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है।
3 साल बाद बंद होगा प्राधिकरण
मप्र के लिए सफेद हाथी साबित हुआ एनवीडीए तीन साल बाद बंद हो जाएगा। इसलिए प्राधिकरण अब कर्मचारी और अधिकारियों से खाली होने लगा है जबकि करार के अनुसार इसके बंद होने का समय वर्ष 2024 है।  विभाग का सबसे महत्वपूर्ण पद माने जाने वाला सदस्य अभियांत्रिकी ही संविदा पर चल रहा है। इससे विभाग के अन्तर्गत चल रहे करोड़ों की परियोजनाओं का समय पर पूरा होना कठिन हो गया है। एनवीडीए के सदस्य राजीव सुकलीकर ने बताया कि विभाग का कॉडर नहीं है। अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर बुलाए जाते हैं। सिंचाई विभाग को कई बार लिखा है लेकिन वहीं इंजीनियरों की कमी है। अन्य विभागों को भी लिखा है। व्यवस्था कर रहे हैं। काम प्रभावित नहीं हो इसको लेकर मैनेज करते रहते हैं।
खाली होने लगा प्राधिकरण
विभाग के बंद होने का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वह खाली होने लगा है। दरअसल, गाइड लाइन है कि नर्मदा घाटी विकास विभाग और प्राधिकरण में दैनिक वेतन भोगी से लेकर उपाध्यक्ष तक सभी प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे और इसके लिए सिंचाई विभाग नोडल विभाग रहेगा। एनवीडीए में दो दर्जन विभागों से कर्मचारी और अधिकारी बुलाए अब कर्मचारी और अधिकारी इसलिए डेपुटेशन पर नहीं आ रहे है  कि उनके प्रमोशन, नियमित होने का समय तय नहीं हैं। वहीं विभागों में तेजी से घट रहे पदों के कारण भी इंजीनियरिंग लाइन से अफसर आने को तैयार नहीं हैं। अकेले मुख्य अभियंता के 8 पद स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में तीन अफसर ही काम कर रहे हैं। नर्मदा घाटी विकास विभाग ने पिछले दिनों मुख्य सचिव को अवगत कराया है कि इंजीनियरों की संख्या बहुत कम हो गई है। ऐसे में संचालित करोड़ों के प्रोजेक्ट्स प्रभावित होंगे। अफसरों की कमी के कारण संभावना है कि विभाग केन्द्र सरकार से 45 साल पूरे होने के बाद भी और समय मांगेगा। दो साल कोरोना का प्रमुख कारण बताया जा सकता है।
यह है वर्तमान में स्थिति
पदनाम श्रेणी स्वीकृत रिक्त
मुख्य अभियंता प्रथम 08 05
अधीक्षणयंत्री प्रथम 30 16
कार्यपालन यंत्री प्रथम 111 63
सहायक यंत्री द्वितीय 328 195
उप यंत्री तृतीय 918 524
कुल पद -1393 रिक्त पद-803

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