अब एमआरपी से ज्यादा में नहीं बेच पाएंगे दारु, देना होगी रसीद

रसीद

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां पर अब शराब की खरीदी की भी रसीद दुकानों से दी जाएगी। दरअसल यह कदम अब इसलिए उठाया जा रहा है, जिससे कि यह पता चल सके की किस दुकान से शराब खरीदी गई है और उसे कितने दामों में बेचा गया है। प्रदेश में इस बीते 15 माह में हुई करीब आधा सैकड़ा लोगों की जहरीली शराब की मौत के बाद जागी सरकार ने अब इन मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी द्वारा दिए गए इस तरह के सुझावों पर अमल करने की तैयारी की गई है। अब तक इस तरह की व्यवस्था प्रदेश में दवा दुकानों पर ही लागू है। इस नई व्यवस्था को अगले माह एक सितम्बर से पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है।इसके लिए हाल ही में विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। आदेश में इस प्रक्रिया को अनिवार्य करते हुए साफ कहा गया है कि बिना बिल के शराब बेचने पर संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस नई व्यवस्था को लागू करने का ढिंढोरा भले ही अब पीटा जा रहा है लेकिन वास्तविकता में यह नियम पहले से ही लागू है, लेकिन किसी भी ठेकेदार द्वारा इसका पालन ही नहीं किया जाता है। इसके बाद भी आबकारी से लेकर जिला प्रशासन तक इस मामले में कभी कोई भी कार्रवाई करने हिम्मत ही नहीं दिखा सका है। इसका फायदा शराब ठेकेदारों द्वारा मनमाने दामों पर शराब बेचकर उठाया जा रहा है। बीते 15 माह में एक के बाद एक हुई जहरीली व नकली शराब से मौतों के बाद दो बार एसआईटी का गठन किया। इसकी कमान अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा को सौंपी गई थी। इसी एसआईटी ने लगातार दोनों बार ही सरकारी शराब दुकानों पर ग्राहकों को शराब खरीदी की रसीद देने की अनुशंसा की थी। एसआईटी का मानना है कि इससे नकली शराब, उसकी कालाबाजारी और ओवर रेटिंग पर रोक लगाने में पूरी तरह से मदद मिल सकेगी। इसके साथ ही अगर जहरीली शराब का किसी तरह का मामला सामने आता है तो यह भी पता लगाया जाना आसान होगा कि उसे किस दुकान से खरीदा गया है। इस संबंध में गुरुवार को आबकारी आयुक्त ने सभी सहायक आबकारी आयुक्त और जिला आबकारी अधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि मदिरा दुकानों से निर्धारित अधिकतम मूल्य से अधिक पर मदिरा विक्रय किये जाने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इन शिकायतों के निराकरण के लिए 1 सितम्बर से प्रदेश की समस्त फुटकर विक्रय से संबंधित देशी-विदेशी मदिरा दुकानों से क्रेता को उसके द्वारा भुगतान की गई राशि के अनुसार बिल दिया जाना अनिवार्य किया जाता है। बिल बुक अनुज्ञप्तिधारी द्वारा ही छपवाई जाएगी। इसका उपयोग संबंधित जिले के जिला आबकारी अधिकारी के निर्देशानुसार किया जाएगा। बिल बुक का उपयोग होने पर उसका रिकॉर्ड शराब ठेकेदार को ठेका अवधि की समाप्ति अर्थात 31 मार्च 22 तक रखना अनिवार्य होगा।
अनिवार्य करने की यह वजह
प्रदेश में कमलनाथ सरकार के साम लागू की गई नई शराब नीति की वजह से प्रदेश में अधिकांश जगहों पर शराब का सिंडिकेट खड़ा हो गया है। इसके द्वारा लगातार बीते दो सालों से एमआरपी से अधिक दर में शराब खुलकर बेची जा रही है। दुकानों से अधिक दर पर शराब बिकने के कारण अवैध और जहरीली शराब की बिक्री में अचानक तेजी आ गई है। इसका सेवन करने से उज्जैन, मुरैना, जबलपुर और इंदौर जिलों में इस अवधि में कई लोगों की मौतों की घटनाएं हो चुकी हैं। इस मामले के सामने आने के बाद जांच के एसआईटी का गठन किया गया था। जिसने जांच रिपोर्ट में महंगी शराब को इसका मुख्य कारण मानते हुए दुकानों पर बिल अनिवार्य करने की अनुशंसा की थी।
दुकानों पर लिखना होगा मोबाइल नंबर
पत्र में कहा गया है कि सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मदिरा दुकान पर उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी का मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से ऐसी जगह लिखा जाए कि आम आदमी को दुकान पर आते ही वो आसानी से दिख सके। जिससे मदिरा विक्रेता द्वारा विक्रय की जा रही मदिरा का बिल कैश मेमो न दिये जाने की स्थिति में संबंधित के्रता अपनी शिकायत उस पर नंबर पर दर्ज करा सके।
सरकारी अमला नहीं करता कार्रवाई
दरअसल प्रदेश में कई ऐसे स्थान हैं जहां पर खुलकर बड़े पैमाने पर नकली शराब बनाने से लेकर बेचने तक का काम किया जाता है। इसकी जानकारी आम आदमी तक को रहती है, लेकिन इस तरह के मामलों में आबकारी विभाग तो ठीक, पुलिस व जिला प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता है। यही नहीं हद तो यह है कि इस तरह के मामलों में दोषी संबंधित अफसरों के खिलाफ सरकार व प्रशासन भी कोई कठोर कदम नहीं उठाता है। इसका फायदा शराब तस्करों से लेकर उसे बनाने वालों को मिलता है। कभी कभार इस तरह के मामलों के जार पकड़ने पर जरुर दिखावे के लिए कुछ कार्रवाही की जाती है और उसके बाद बंद कर दी जाती है।  

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