
भाजपा में एक साथ कई दावेदार हैं सक्रिय
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इन दिनों ग्वालियर- चंबल अंचल पहले से ही राजनैतिक रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन अब यह अंचल और चर्चित हो रहा है। इसकी वजह है अंचल की ग्वालियर दक्षिण सीट पर इस बार एक किन्नर प्रत्याशी भाजपा व कांग्रेस को चुनौती देने के लिए चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में जुटा हुआ है। अहम बात यह है कि यह वो सीट है, जहां से भाजपा के दिग्गज नेता अपनी-अपनी दावेदारी विधानसभा चुनाव के लिए कर रहे हैं। यही वजह है कि इसे इस अंचल की सबसे हॉट सीट भी माना जाता है। इस सीट पर जहां पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा, नारायण सिंह कुशवाह , पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता एवं सांसद शेजवलकर के बेटे प्रांशु दावेदार बने हुए हैं तो ,वहीं कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रवीण पाठक भी दोबारा से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं।
यह ऐसी सीट है, जहां पर भाजपा की तरफ से एक से बढ़कर एक दावेदार हैं। इस वजह से भाजपा के सामने पहले से ही किसी एक नाम पर सहमति बनाना कठिन बना हुआ है,ऐसे में एक किन्नर द्वारा चुनावी तैयारी किए जाने से भाजपा के सामने नई मुश्किल खड़ी कर रही है। चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी राज किन्नर से कांग्रेस को भी नुकसान होना तय माना जा रहा है। इसकी वजह है वह पूर्व में कांग्रेस में रह चुकी है। यही वजह है कि इस सीट से मौजूदा कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक अभी से मेल मुलाकात करने के साथ ही गली कूचों में पदयात्रा करने में जुट गए हैं। दरअसल राज किन्नर पिछले कई साल से ग्वालियर के राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। वह इसके बद भी अपना पारंपरिक कार्य करती हैं यानि वे आम लोगों के यहां खुशी के मौके पर दुआएं देने जाती हैं और नाच गाना भी करती हैं।
अब वे राजनीति के पनघट की कठिन डगर पर चलकर ग्वालियर के आम लोगों की सेवा करना चाहती हैं। ग्वालियर इस बार वह शहर बन चुका हैं जहां पर हाल ही में अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हो चुकी है तो वहीं इसके पूर्व प्रियंका गांधी, केजरीवाल एवं भगवंत मान भी शहर में सभाएं कर चुनावी सरगर्मी को बड़ा चुके हैं। इस बीच चुनाव के लिए सक्रिय राज किन्नर ने कहा कि उन्होंने अपने सभी साथियों व शुभचिंतकों की सलाह लेकर 2023 के चुनाव में ताल ठोकने का फैसला लिया है। राज किन्नर शहर की सर्वाधिक हॉट सीट दक्षिण से चुनाव लड़ेंगी। वे भी अभी से जनसंपर्क अभियान में भी जुट गई हैं। वे लोगों से रक्षाबंधन के मौके पर मिलकर अपनी बात रख रहीं हैं, लोग उन्हें दुआ समर्थन और मदद भी कर रहे हैं।
प्रदेश में किन्नरों का राजनैतिक इतिहास
शबनम मौसी देश की पहली किन्नर विधायक बनी थीं, उन्होंने सोहागपुर विधानसभा से साल 2000 में विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की थी, शबनम मौसी पर फिल्म भी बन चुकी है। इसके बाद सागर के शहरवासियों ने 2009 में महापौर पद पर कमला बुआ को चुना था। इसके पहले जबलपुर शहर के रवींद्रनाथ टैगोर वार्ड स हीराबाई 1999 से 2004 तक पार्षद रह चुकी हैं। 2018 में किन्नर नेहा ने मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और वे महज 7500 वोट से हारीं थीं। उन्हें इस सीट पर बीजेपी और बीएसपी से ज्यादा वोट मिले। इसी तरह से दतिया जिले की भांडेर नगर पंचायत में शबनम गुरु ने भी चुनाव लड़ा था, कड़ी टक्कर देने के बाद भी वे हार गई थीं।
कह चुकी हैं कांग्रेस को अलविदा
राज किन्नर इस बार दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। वे इसके पहले नगर निगम चुनाव के समय निर्दलीय रुप से पार्षद का चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। यह चुनाव उनके द्वारा वार्ड 34 से लड़ा गया था। उस समय उनके द्वारा कांग्रेस से टिकट की मांग की गई थी , लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। इस वजह से उन्हें निर्दलीय ही मैदान में उतरना पड़ गया था। उस समय राज को चुनाव लड़ाने के लिए किन्नर समुदाय ने फंड जुटाकर उनका प्रचार किया था। कांग्रेस भवन पर वरिष्ठ नेताओं ने किन्नर समुदाय की मौजूदगी में उन्हें पार्टी में शामिल कर पद भी दिया था, लेकिन पार्षदी का टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।