अब प्रदेश में होंगे चुनावी तबादले

चुनावी तबादले

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक बार फिर से तबादलों का दौर शुरू होगा। इस बार तबादले चुनाव के हिसाब से होंगे। यानी जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की एक ही जगह पदस्थापन के 3 साल हो गए हैं, उनका दूसरी जगह तबादला किया जाएगा। अभी सारी राजनीतिक कवायदें आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ही की जा रही है। 2023 की ट्रांसफर पॉलिसी कैबिनेट के जरिए मंजूर की जाएगी। सभी विभागों को इस पॉलिसी का इंतजार है, क्योंकि हजारों की संख्या में तबादले होंगे। अदने से कार्यकर्ता, पार्षदों से लेकर मंत्रियों के पास थोक में सिफारिशी चि_ियां अपनी पसंद के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए पहुंच गई है।
प्रदेश सरकार हालांकि साल भर ही प्रमुख अधिकारियों के तबादले तो करती रहती है, जिनमें कलेक्टर से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। वहीं सालभर में अप्रैल-मई के महीने में थोकबंद तबादलों का दौर शुरू होता है, जिसमें मानसूनी बारिश की तरह तबादला सूची धड़ाधड़ जारी होती हंै। शिक्षा विभाग से लेकर कई ऐसे महकमे हैं, जहां हजारों की संख्या में ये तबादले होते हैं। सबसे अधिक स्कूली शिक्षा विभाग में 30 हजार तक तबादले किए जाना है, तो पुलिस विभाग भी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इसके अलावा राजस्व, अजा-जजा, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण से लेकर स्वास्थ्य विभाग, निगमों के साथ-साथ सभी विभागों में तबादलों की झड़ी लगेगी।
तबादले पूरी तरह ऑनलाइन होंगे
सामान्य प्रशासन विभाग ने वर्ष 2023 के लिए नई तबादला नीति तैयार कर ली है। इस नीति में जो प्रावधान किया जा रहा है , उस हिसाब से ऐसे प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के कार्यपालिक अधिकारी जो कि 31 अक्टूबर 2023 की अवधि तक एक ही स्थान पर तीन वर्ष पूरे कर रहे हैं, उन्हें सबसे पहले हटाया जाएगा। इतना ही नहीं ऐसे शासकीय सेवकों को ऐसे जिले में पदस्थ नहीं किया जाएगा, जहां पदस्थ रहते  हुए उन्होंने पिछला लोकसभा या विधानसभा चुनाव कराया हो। बताया जाता है कि चुनावी वर्ष में राज्य सरकार तबादलों को लेकर लगने वाले दाग से बचने के लिए गुजरात के बाद अब कर्नाटक पैटर्न को अपनाएगी। तबादले पूरी तरह ऑनलाइन होंगे। जिससे कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी बनी रहे। वहीं ऐसे शासकीय सेवक जो राज्य सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रहे हैं, ऐसे शासकीय सेवकों को भी प्राथमिकता से हटा दिया जाएगा। इस तरह फिसड्डी शासकीय सेवकों को हटाने के लिए 3 वर्ष की क्राइटेरिया का होना जरूरी नहीं होगा। वहीं यदि ऐसे शासकीय सेवक जिनके द्वारा तय किए गए लक्ष्यों को हासिल कर लिया है और यदि वे किसी जिले में पदस्थापना चाहते हैं, तो फिर उनको तबादलों में प्राथमिकता मिलेगी और उनकी मनसंपद जिले में पदस्थापना हो सकेगी। इसी तरह पति-पत्नी शासकीय सेवक एक ही जिले में पदस्थ रहना चाहेंगे, तो उन्हें भी प्राथमिकता मिलेगी। वही गंभीर बीमार शासकीय सेवक को मनचाहे स्थान पर पोस्टिंग मिल सकेगी। विभागीय संवर्ग वाले तबादले विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ही जारी हो सकेंगे, वही जिला संवर्ग के तबादलों के लिए प्रभारी मंत्री का अनुमोदन अनिवार्य होगा।
5 से 20 मई के बीच होंगे तबादले
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तैयार की गई   नई नीति को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। हालांकि कैबिनेट के लिए जो औपचारिक एजेंडा जारी किया गया है, उसमें तबादला नीति का प्रस्ताव शामिल नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि इसे एक्स एजेंडे के रूप में अलग से पेश किया जाएगा। तबादला नीति का जो प्रारूप तैयार किया गया है, उस हिसाब से अनुसूचित क्षेत्रों में खाली पड़े पदों को सबसे पहले तबादलों से भरा जाएगा। तबादलों पर लगी रोक को एक पखवाड़े के लिए हटाया जा सकता है। पांच से 20 मई के बीच थोकबंद तबादले हो सकेंगे। सभी विभागों को मिलाकर तबादलों का आंकड़ा 50 हजार के पार करने की संभावना जताई जा रही है।
पुलिस के तबादले
वहीं ये बात भी समाने आ रही है कि आगामी चंद दिनों में पुलिस थानों से जुड़े तबादले होने जा रहे है, जिसके तहत थाने के कर्मचारियों को लिस्ट आने के साथ ही इधर से उधर किया जाएगा। इस बार तबादलों के लिए चुनाव सबसे बड़ा फैक्टर है। छह महीने बाद नवंबर में चुनाव होना है, इसलिए मौजूदा सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी तबादला रहेगा। मंत्री भी इस कारण अपने हिसाब से विभागों में जमावट चाहते हैं। इसके अलावा मंत्रियों के यहां पर बड़ी संख्या में पहले से आवेदनों का ढेर लगा है। चुनावी साल में मंत्री किसी को नाराज करना नहीं चाहते, इसलिए उसी हिसाब से तबादले होना है। इससे बड़ा वर्ग प्रभावित होगा, इस कारण सरकार भी किसी को नाराज करे बिना स्वैच्छिक तबादलों को प्राथमिकता देना चाहती है। पुलिस महकमे के तबादले वैसे तो अलग से तबादला बोर्ड की सिफारिश के आधार पर ही किए जाएंगे। लेकिन इस संवर्ग के तबादलों के लिए गुजरात और कर्नाटक पैटर्न पर अमल किया जाएगा, जिसके तहत ऐसे सब इंस्पेक्टर जो कि एक विधानसभा क्षेत्र में 31 अक्टूबर 2023 की अवधि तक तीन वर्ष पूरे कर रहे होंगे, उन्हें उस विधानसभा क्षेत्र से हटाकर जिले के ही किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र में पदस्थ कर दिया जाएगा। इसी तरह इंस्पेक्टर के मामले में भी इसी फार्मूले पर अमल किया जाएगा, जिसके तहत इंस्पेक्टर को इस अवधि तक तीन वर्ष एक जिले में पूरा करने पर दूसरे जिले में भेज दिया जाएगा। तबादलों के दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि जिस इंस्पेक्टर को नए जिले में भेजा जा रहा है, उसकी पदस्थापना पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान उस जिले में नहीं रही हो ।
मंत्रियों की मांग, सीएम की नसीहतें
तबादलों से प्रतिबंध हटाने के लिए अधिकतर मंत्री मांग कर चुके हैं। सीएम भी चुनाव के मद्देनजर बार-बार नसीहत दे चुके हैं कि तबादले खुलने पर गड़बड़ी पर नजर रखें। साथ ही छवि की भी चिंता करें।  सबसे ज्यादा दिक्कतें बड़े विभागों में है, क्योंकि इन विभागों में तबादलों के लिए कर्मचारी चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मंत्रियों से मुलाकात तक नहीं हो पाती। बड़े विभागों में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, ग्रामीण विकास, बिजली और नगरीय प्रशासन जैसे विभाग हैं। इन विभागों में ही अधिकतर तबादले होने हैं। चूंकि इसी साल नवम्बर-दिसम्बर में विस के चुनाव होना है, लिहाजा हर कोई मनचाही पोस्टिंग करवाने की जुगाड़ में लगा है।

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