पदोन्नति के लिए अब नई सरकार से आस

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भोपाल/बिच्छू डॉट  कॉम। चुनावी साल में शिवराज सरकार भले ही कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए कई घोषणाएं कर रही है, लेकिन पदोन्नति के लिए कर्मचारियों को अब नई सरकार के बनने का इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, सात साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी प्रदेश के कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। हर दो-चार महीने में सुप्रीम कोर्ट में पेशी की तारीख आगे बढ़ रही है। बीते सात साल में 30 से ज्यादा बार कोर्ट में मामले की सुनवाई टल चुकी है। पदोन्नति के इंतजार में सात साल में 70 हजार से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन अभी जो कर्मचारी सेवा में हैं उनकी पदोन्नति की राह खुली नहीं है।
बता दें कि पदोन्नति में आरक्षण का फॉर्मूला तय करने के लिए सरकार ने 13 सितंबर 2021 में मंत्री समूह का गठन किया था। इसके अलावा 9 दिसंबर 2020 में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। लेकिन आज तक पदोन्नति का रास्ता नहीं निकाला जा सका है।  उधर, इस मामले को लेकर जाति वर्ग के आधार पर कर्मचारी गुटों में बंट गए हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि, सुप्रीम कोर्ट का बहाना लेकर सरकार कर्मचारियों के हक को मार रही है। पदोन्नति के इंतजार में कई लोग रिटायर्ड भी हुए तो दूसरी ओर साढ़े चार लाख पात्र कर्मचारी प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। इनमें सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में अब 16 सितंबर को सुनवाई  
पदोन्नति में आरक्षण का मामला पिछले सात साल से लंबित होने के कारण सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन रुका हुआ है।  सुप्रीम कोर्ट में मामला होने से बिना पदोन्नति के प्रदेश में करीब चालीस हजार से ज्यादा कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अब 16 सितंबर की तिथि लगी है। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को अब पदोन्नति के लिए एक बार फिर इंतजार करना होगा। कर्मचारी अभी तक विधानसभा चुनाव के पहले पदोन्नति पाने की आस लगाए बैठे थे। लेकिन मध्य प्रदेश के पदोन्नति में आरक्षण प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है।
बिना लाभ के 70 हजार कर्मी रिटायर
मप्र में हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 से पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है। इन छह साल के दौरान प्रदेश में 70 हजार से अधिक कर्मचारी पदोन्नति का लाभ बगैर ही रिटायर हो गए हैं। जबकि प्रदेश के सवा तीन लाख से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति का इंतजार है। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। उसकी याचिका पर फैसला आना है। वहीं अफसरों का कहना है कि पदोन्नति नियम तैयार होने के बाद भी कोर्ट का जो फैसला होगा वह मान्य होगा।

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