
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के अलावा देश के कई राज्य इन दिनों कोयला संकट की वजह से बिजली की समस्या से दो चार हो रहे हैं। इसके चलते अब केन्द्र सरकार ने देश में पॉवर एक्सचेंज के तहत बिजली बेचनें पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध 10 नवंबर तक के लिए लगाया गया है। इसकी वजह से मप्र को करीब पांच सौ करोड़ का नुकसान होना तय माना जा रहा है।इस प्रतिबंध को लेकर हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा लिखित में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसकी बड़ी वजह भी मप्र बना है। दरअसल मप्र ने इस संकट के बाद भी दूसरे राज्यों को हाल ही में केन्द्रीय पूल से बिजली लेकर उसे बीस रुपए प्रति यूनिट की दर से बेंचा है। केन्द्रीय पूल के तहत प्रदेश को एनटीपीसी, दामोदर वैली कारपोरेशन, न्यकिलयर पॉवर कारपोरेशन आदि से बिजली की सप्लाई मिलती है। ऐसे में कई बार इन संस्थानों से केन्द्रीय पूल के तहत तय कोटे के अलावा अधिक बिजली लेकर उसका सप्लाई उपभोक्ताओं को करने की जगह मुनाफे के लिए दूसरे राज्यों को अधिक दर पर बेंच दिया जाता है। इसकी वजह से जहां इन संस्थानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और तय मात्रा से अधिक बिजली खींच लेने से उनके खराब होने का भी डर बना रहता है। यही वजह है कि अब केन्द्र सरकार ने राज्यों को मिलने वाली बिजली को पॉवर एक्सचेंज में बेचने पर रोक लगानी पड़ गई है। इस मामले में सख्ती दिखते हुए राज्यों से साफ कह दिया गया है कि अगर इसके बाद भी किसी भी राज्य को केन्द्रीय क्षेत्र के तहत मिलने वाली बिजली को पॉवर एक्सचेंज के तहत बेंचते हुए पाया गया तो उसके हिस्से की बिजली में कटौति कर दी जाएगी। फिलहाल इस तरह का प्रतिबंध 10 नवबंर तक के लि लगाया गया है , लेकिन जरुरत महसूस की गई तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। उधर इस आदेश के बाद बिजली विभाग के अफसरों का कहना है कि अब तक मप्र में रबी फसल के समय बिजली की कितनी डिमांड रहने वाली है इसका आंकलन नहीं आया है। ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा मप्र में पॉवर एक्सचेंज में बिजली बेचने पर लगाए गए प्रतिबंध से विभाग को आर्थिक नुकसान होना तय है।
बीते साल की थी 542 करोड़ की कमाई
बीते साल मप्र पावॅर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा केन्द्रीय पूल से बिजली लेकर 155 करोड़ यूनिट बिजली को बेंच कर 542 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया गया था। दरअसल मप्र का केन्द्रीय पूल में 5500 मेगावॉट का हिस्सा तय है। अब इस नए प्रतिबंध से इस कमाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया है। यह बात अलग है कि अब पॉवर एक्सचेंज के लिए मिल रहे 20 रुपए प्रतियुनिट की दर में गिरावट आ चुकी है। इसके बाद भी मोटी कमाई करने के चक्कर में बिजली कंपनियां ग्रामीण इलाकों में आघोषित रुप से बिजली कटौति कर उनके हिस्से की बिजली को बेंच दिया करती हैं। खास बात यह है कि प्रदेश से ऐसे समय भी बिजली बेचना चालू रखा गया , जब प्रदेश में बिजली को लेकर बड़ा सकंट बना हुआ था।