अब पीएचई के दो डिवीजनों के मुख्यालय भी जाएंगे उज्जैन

उज्जैन
  • धर्मस्व संचालनालय का दफ्तर पहले ही जा चुका है …

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के मुख्यमंत्री डां. मोहन यादव का गृह नगर होने की वजह से उज्जैन राजनैतिक रुप से तो महत्वपूर्ण हो ही चुका है, लेकिन अब धीरे-धीरे उज्जैन का का महत्व प्रशासनिक रुप से भी बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह है पूर्व में धर्मस्व संचालनालय का मुख्यालय उज्जैन में स्थानानतरित होने के बाद अब पीएचई के दो डिवीजनों का मुख्यालय भी उज्जैन करने की तैयारी कर ली गई है।
    हालांकि इसके पीछे की वजह चार साल बाद 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियां बताई जा रही है। प्रशासन का दावा है कि अब अगले सिंहस्थ के लिए महज चार साल की ही समय रह गया है, लिहाजा इसके लिए अभी से तैयारियां की जा रही हैं, जिससे की आयोजन के दौरान कोई भी किसी तरह की कमी नही रह जाए। इसी वजह से भोपाल शहर में स्थित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी नर्मदा परियोजना डिवीजन नंबर एक एवं उसके अधीन सब डिवीजन नंबर 3 के कार्यालयों को पूरे स्टाफ सहित उज्जैन शिफ्ट किया जा रहा है। इसके लिए विभागीय मंत्री संपतिया उइके द्वारा शिफ्ट करने के आदेश दिए जा चुके हैं। हालांकि आदेश में लिखा है कि ऐसा सिंहस्थ-2028 पेयजल एवं अपशिष्ट प्रबंधन के लिये किया जा रहा है। विभाग द्वारा सिंहस्थ-2028 के आयोजन के लिए पेयजल एवं अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों की प्लानिंग, एग्जीक्यूशन, संचालन एवं संधारण के लिए यह व्यवस्था तय की गई है। सिंहस्थ की तैयारियों को प्राथमिकताओं में उज्जैन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एक डिवीजन कार्यालय की आवश्यकता बताई गई। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर भोपाल के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी नर्मदा परियोजना डिवीजन क्रमांक 1 एवं उसके अधीन सब डिवीजन क्रमांक 3 को अमले सहित उज्जैन में अस्थाई रूप से स्थानांतरित किया जा रहा है।
    बदल जाएगा नाम
    इस डिवीजन एवं सब डिवीजन का नाम लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सिंहस्थ परियोजना खण्ड उज्जैन होगा। इसका मुख्यालय उज्जैन में होगा। सिंहस्थ डिवीजन उज्जैन के अंतर्गत संपूर्ण उज्जैन में सिंहस्थ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के जल प्रदाय और जल-मल निकासी संबंधी नवीन कार्ययोजना, निर्माण कार्य, संचालन एवं संधारण का कार्य करेगा। इन सभी कार्यों से सिंहस्थ के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को पेयजल सुविधा आसानी से प्राप्त होंगी तथा जल- मल निकासी की उपयुक्त सुविधाएं होने पर स्वच्छता भी बनी रहेगी।

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