
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के लगातार घाटे में चल रहे निगम मंडलों की कार्यप्रणाली ऐसी है कि वे लगातार दशकों से घाटे में चल रहे हैं, जिसके बाद भी वे अपने कामकाज में सुधार नहीं ला रहे हैं। इसकी वजह से प्रदेश सरकार पर वे लगातार बोझ बन रहे हैं। ऐसे में अब सरकार ने इन निगम मंडलों पर चाबुक चलाना तय कर लिया है। दरअसल केन्द्र सरकार से विभिन्न योजनाओं के लिए जो पैसा दिया जाता है, उन्हें यह निगम मंडल अपने खाते में जमाकर लेते हैं और उस पर मिलने वाले ब्याज को राज्य सरकार को देने की जगह खुद की आय बताकर उसे हजम कर जाते हैं। ऐसा नहीं की यह किसी एक निगम मंडल में किया जा रहा है बल्कि सभी निगम-मंडल, सहकारी प्राधिकरण, कल्याण मंडल और अकादमी आदि में भी यही चल रहा है। इसकी वजह से दोहरा नुकसान होता है। दरअसल इस तरह की राशि पर जो ब्याज मिलता है, वह अर्जित आय के रुप में बदल जाती है जिसकी वजह से उस पर आयकर का भुगतान करना पड़ता हैं। इस तरह की राशि करीब 10 हजार करोड़ है, जो अब सरकार के खजाने में जमा कराई जागी। इसके लिए प्रदेश सरकार करीब दो साल से कवायद कर रही है। इसकी शुरूआत बीते एक साल पहले सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से की जा चुकी है। इस विभाग द्वारा करीब एक हजार करोड़ रुपए सरकारी खाते जमा कराए गए हैं। इसके बाद भी अधिकांश निगम-मंडल, सहकारी संस्थाए, बोर्ड, प्राधिकरण के कामों की धीमी गति की वजह से यह राशि समय प खर्च नहीं हो पता है, जिसे उनके द्वारा अपने बैंक खातों में जमा रख जाता है। लगभग यही हाल निगम-मंडलों के अलावा लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन, पीएचई तथा नगरीय प्रशासन विभाग में भी बना हुआ है। इन विभागों में भी इस फंड को समय पर पूरा उपयोग नहीं किया जाता है। यही वजह है कि बीते दिनों वित्त विभाग ने सभी निगम मंडलों प्राधिकरण और इसी तरह की संस्थाओं के लेनेदन, उनकी बैलेंस सीट, बैंको में जाम राशि और उससे संबंधित पूरी जानकारी तलब की थी।
इनमें हैं अधिक राशि
प्रदेश की जिन स्ांस्थाओं में इस तरह का फंड अधिक है उनमें माध्यमिक शिक्षा मंडल, लघु वनोपज संघ, वन विभाग निगम, पीईबी, एमपी पीएससी, एमपी एग्रो, मंडी बोर्ड, मप्र विपणन संघ आदि शामिल हैं। इन संस्थाओं के खातों में अभी करीब 10 हजार करोड़ रुपए जमा है। यही वजह है कि वित्त विभाग ने सभी निगम-मंडलों, बोर्ड, प्राधिकरण और सहकारी संस्थाओं को कड़ा पत्र लिखा है। वित्त विभाग ने कहा कि बैंक खातों में जमा खर्च नहीं होने वाली राशि राज्य के संचित निधि (खजाने) में जमा की जाए। इसके लिए पत्र में वित्त विभाग ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का भी हवाला दिया है।
बीते साल लागू की गई व्यवस्था
केंद्र सरकार द्वारा केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में एसएनए खाते की व्यवस्था 2021-22 से लागू की है, जिसके तहत राशि का व्यय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जाना जरुरी है। अब इस मामले में वित्त विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि इन निर्देशों का पालन नहीं करने वाले अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।