
-खाद्य एवं औषधि विभाग में लापरवाही की पराकाष्ठा
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में नकली शराब पीने से एक के बाद एक जिले में हुए हादसों में कई दर्जन लोगों की मौत के बाद सरकारी ढर्रा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। हालात यह हैं कि भोपाल में ही नकली शराब बिक रही है या असली कोई नहीं जानता है। इसकी वजह है खाद्य एवं औषधी विभाग की लापरवाही की पराकाष्ठा। हालात यह है कि 90 दिन से अधिक का समय हो चुका है , लेकिन अब तक उन 40 सैंपलों की जांच ही नहीं की गई है, जिन्हें तीन माह पहले लिया गया था।
यह हालात प्रदेश में तब हैं जबकि सरकार द्वारा नकली शराब पर सख्ती से अंकुश लगाने के वादे के साथ ही दावे भी किए गए हैं। नकली शराब के मामले में वैसे भी आबकारी विभाग की कोई रुचि नहीं होती है। यह विभाग ऐसा है जिसके अफसर ठेकेदार से लेकर अवैध शराब कारोबारियों सहित सभी पर मेहरबान रहते हैं। बस उन्हें लक्ष्मी दर्शन होते रहें। लक्ष्मी दर्शन से ही इस विभाग के अफसर सरकार व शासन से कार्रवाई न होने का अभयदान पाने में भी महारत हासिल कर लेते हैं। अगर भोपाल की ही बात की जाए तो इंदौर सहित कई जिलों में मिलावटी व नकली शराब का खुलासा हुआ तो यहां से भी 40 दुकानों से 35 नमूने एमडी, रॉयल स्टैग, रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर्स ब्रांड के जांच के लिए लिये गये । इसके बाद तीन माह से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन विभाग को अब तक उसकी रिपोर्ट ही नहीं मिली है। इसकी वजह क्या है यह अफसरों को भी नहीं पता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग मिलावट को लेकर कितना गंभीर बना हुआ है। इसमें भी खास बात यह है कि जिस बैच नंबर की शराब का सैंपल लिया गया था, वो दुकानों से बिक चुकी है। इसकी वजह है सैंपल लेने के बाद उसे जब्त करने की जहमत ही नहीं उठाई गई। अब अगर ऐसे में रिपोर्ट आ भी जाए तो उसका कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा।
शराब जांच की नहीं तय है समय सीमा
नियमानुसार खाद्य एवं औषधि में लीगल सैंपलों की जांच रिपोर्ट 14 दिनों में प्रयोगशाला को जारी करना होता है। यह नियम इस मामले में सरकारी से लेकर निजी लैब तक पर लागू होता है। अगर इसमें अधिक समय लगता है तो इसको लेकर वरिष्ठ अफसरों को लिखित जानकारी देनी होती है। इधर, शराब के नमूनों को लेकर ऐसी कोई समय सीमा का निर्धारण अब तक नहीं किया गया है। इसकी वजह से यह लैब और विभाग के कर्मचारियों पर पर निर्भर रहता है कि वे इसकी जांच रिपोर्ट में कितना भी समय लगाएं। वैसे भी शराब से संबंधित मामला आने पर सरकारी अमले की अकड़ व पकड़ ढीली पड़ जाती है। मामला चाहे किसी भी तरह का क्यों न हो।
दोबारा सैंपल लेना भूले
खास बात यह है कि आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने प्रदेश के सभी जिलों में देशी व अंग्रेजी शराब के सैंपल लेकर उनकी जांच के निर्देश जारी किए हुए हैं, जिसके बाद कुछ जिलों ने तो खानापूर्ति के लिए कार्रवाई भी की है , लेकिन राजधानी होने के बाद भी भोपाल में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी काम का बोझ अधिक होने की बात कह कर सैंपल वाले निर्देश पर अमल न करने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि सैंपल तो ले रहे हैं और सरकारी काम भी करने होते हैं। समय मिलने पर ही सैंपल जरुर लिए जाएंगे। इससे ही समझा जा सकता है कि मिलावट को लेकर खाद्य सुरक्षा अधिकारी कितने गंभीर रहते हैं।एक के बाद दूसरे जिलों में होती रही मौतें
मुरैना में जहरीली शराब से 27 लोगों की मौत हो गई थी, तब खूब वादे किए गए माफिया नहीं बचेगा, उखाड़ देंगे, गाड़ देंगे, पाताल से भी खोज निकालेंगे। लेकिन वहीं ना चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात ! इसके बाद छतरपुर जिले के हरपालपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम परेथा में गांव के ही शीतल अहिरवार की पत्नी की तेरहवीं में आए लोगों द्वारा शराब पी गई थी , जिसके बाद चार लोगों की मौत हो गई थी , जबकि कई बीमार हो गए थे। यही नहीं इसी तरह की घटनाओं में बड़वानी और इंदौर में भी लोग मौत का शिकार हो चुके हैं।