
- भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नई दिल्ली ने दिया निर्देश
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब खाद्य सुरक्षा अधिकारी शराब के सैंपल की जांच करेंगे। दरअसल, प्रदेश में मिलावटी और जहरीली शराब पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नई दिल्ली (एफएसएसएआई)ने मोर्चा संभाला है। एफएसएसएआई ने आयुक्त खाद्य को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी जिलों में देशी और विदेशी शराब सैंपल की जांच के निर्देश दिए हैं। उम्मीद है कि इससे मिलावटी और जहरीली शराब पर अंकुश लग सकेगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एफएसएसएआई के पास प्रदेश से लगातार शिकायतें पहुंच रही थी कि यहां मिलावटी शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। उज्जैन, जबलपुर, मुरैना से मिली कई शिकायतों के बाद ही एफएसएसएआई ने मप्र के आयुक्त खाद्य को पत्र लिखा है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 (एल्कोहोलिक बेव्रेजेज) विनियम 2018 के अंतर्गत नियत किए गए मानकों के अनुसार ही शराब को बनाकर उसका विक्रय किया जाना अनिवार्य है। इस पत्र के आधार पर ही आयुक्त खाद्य की तरफ से सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर शराब के सैंपल लेने के आदेश दिए हैं। अब खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी भी शराब के सैंपल ले सकेंगे।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी नहीं दिखाते दिलचस्पी
अधिकारियों का कहना है कि ऐसा पत्र पहले भी जारी हुआ था, लेकिन जिले के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी इसमें दिलचस्पी नहीं लेते। अब शराब के सैंपल लेने के पत्र को आए हुए कुछ दिन हो गए, लेकिन एक भी दुकान से सैंपल नहीं लिए। अधिकारी देवेंद्र दुबे का कहना है कि वे किसी अन्य कार्य में व्यस्त हैं। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत 2014 में अल्कोहल के लाइसेंस को लेकर पहला आदेश जारी हुआ था। इसके बाद 2018 में दूसरा आदेश जारी हुआ था। फिर से आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने जारी किया। इसका भी पालन नहीं हुआ, तो आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने फिर से आदेश जारी किया।
बिना सैम्पल जांच बिक रही शराब
जिले में खाद्य पदाथों और पेय पदार्थ का कारोबार करने वालों के प्रतिष्ठानों से अक्सर सेंपल लिये जाते हैं, लेकिन हर रोज हजारों लीटर शराब की खपत के बावजूद नमूने लेने में खाद्य सुरक्षा अधिकारी रूचि नहीं दिखाते हैं। सेंपल नहीं लेने के कारण ही राजधानी में शराब में मिलावट का बहुत बड़ा कारोबार बाजार खड़ा हो गया है। आबकारी विभाग के मुताबिक शहर में हर रोज करीब 25 हजार अंग्रेजी शराब की बोतल, 20 हजार बियर की बोलत और 50 हजार लीटर देशी शराब की बिक्री होती है।
नहीं लेते लाइसेंस
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत 2014 में अल्कोहल के लाइसेंस को लेकर पहला आदेश जारी हुआ था। इसके बाद दूसरा आदेश 2018 में फिर से आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने जारी किया। इसका भी पालन नहीं हुआ, तो आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने फिर से आदेश जारी किया। दिलचस्प यह है कि इस आदेश में साफ कहा गया था कि शराब के ठेके की टेंडर प्रक्रिया में वहीं लोग हिस्सा पाएंगे, जो लाइसेंस लेंगे। पर आबकारी अफसरों ने इसे भी दरकिनार कर दिया। देश भर में मिलावटी शराब पीने से हर साल कई लोगों की मौत होती है। यही वजह है कि शराब ठेकेदारों के साथ ही इसका निर्माण करने वाले कारखानों को लाइसेंस अनिवार्य किया गया है। लाइसेंस लेने पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन का अमला समय-समय पर इसकी जांच कर सकता है। जांच होने से खुलासा हो सकता है कि बेची जा रही शराब में मिलावट या अमानक चीज तो नहीं मिलाई जा रही है, जिससे नुकसान हो। शराब तय मानक का पालन हो रहा है या नहीं। मगर इसे लेकर न तो ठेकेदार गंभीर हुए और न ही आबकारी अफसर।