
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में जल्द ही बड़े पैमाने पर खेतों की सिंचाई सौर ऊर्जा से चलले वाले पंपो से की जाएगी, जिसकी वजह से सरकार खजाने को भी हर साल करीब एक हजार करोड़ का फायदा होगा। फिलहाल इसके लिए सूबे में दो चरणों का काम शुरू हो गया है, जबकि तीसरे चरण को अब सरकार मंजूरी देने जा रही है। यह काम प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना के तहत किया जा रहा है। इसके तीसरे चरण में प्रदेश के सात हजार 996 कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति की जाएगी। इसके लिए एक हजार 250 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की योजना बनाई गई है।
जिसकी वजह से प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा किसानों के खेतों में सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों से सिंचाई की जा सकेगी। प्रदेश में अब तक सरकार द्वारा किसानों को सस्ती बिजली देने के लिए हर साल 14 हजार 800 करोड़ रुपये का अनुदान देना पड़ता है। सौर ऊर्जा के उपयोग से जहां सरकार को अनुदान कम देना पड़ेगा, वहीं किसानों को सिंचाई के लिए दिन में भी बिजली मिलना तय हो जाएगा। इस तीसरे चरण की योजना को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिलना तय माना जा रहा है। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षमता पांच हजार 100 मेगावाट हो गई है। इसमें अभी और वृद्धि संभावित है। इसके चलते ही कुसुम योजना का विस्तार किया जा रहा है। गौरतलब है कि योजना के पहले चरण में दो साल पहले केंद्र सरकार ने राज्य को 300 मेगावाट क्षमता का लक्ष्य दिया था, जिसकी तुलना में 296 मेगावाट क्षमता के संयत्र स्थापना के लिए प्रस्तावों को आवंटन पत्र जारी किए जा चुके हैं। वहीं, दूसरे चरण में मुख्यमंत्री सोलरपंप योजना के तहत पचास हजार पंप की स्थापना का लक्ष्य मिला है। इसमें 23 हजार 500 किसानों द्वारा पंजीकरण कराया जा चुका है। इनमें से छह हजार 763 पंप की स्थापना भी कर ली गई है। इस योजना में केंद्र सरकार और राज्य सरकार तीस-तीस प्रतिशत अनुदान दे रही है। अब तीसरे चरण में सात हजार 996 कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से ऊजीकृत करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें केन्द्र सरकार ने एक लाख 75 हजार सौर ऊर्जा आधारित कृषि पंप की स्थापना का लक्ष्य दिया है, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बढ़ाकर दो लाख 70 हजार करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा है। उरअसल प्रदेश में कृषि फीडर पर एक हजार 250 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना है। इन्हें स्वयं, लीज या शासकीय भूमि पर स्थापित किया जा सकता है। इसके लिए एजेंसी का चयन खुली निविदा से किया जाएगा। इसकी क्षमता का आंकलन एक उप केंद्र से जुड़े कृषि फीडर पर कुल वार्षिक विद्युत की खपत के आधार पर तय की जाएगी। संयंत्र से विद्युत उप केंद्र तक पारेषण लाइन की स्थापना एजेंसी को खुद करनी होगी या फिर इसके लिए विद्युत वितरण कंपनी की सेवा लेने पर तय राशि देनी होगी। इसमें खास बात यह है कि सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित बिजली 25 साल तक सरकार द्वारा खरीदा जाएगा।
2 रुपए 14 पैसे सस्ती पड़ेगी बिजली
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के मुताबिक अभी सौर ऊर्जा औसत तीन रुपये बीस पैसे प्रति यूनिट में पड़ रही है। जबकि, ताप विद्युत में यही दर लगभग पांच रुपये 34 पैसे प्रति यूनिट संभावित है। प्रदेश में 18 हजार 423 फीडर पर एक हार्सपावर से दस हार्सपावर क्षमता के लगभग 32 लाख 50 हजार पंप स्थापित हैं। शासन द्वारा मानक विद्युत के उपयोग के अनुसार 14 हजार 800 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान दिया जा रहा है।