अब मप्र को नंबर वन दूध उत्पादक राज्य बनाने की कवायद

दूध उत्पादक
  • दूध से ज्यादा मांस का उत्पादन हो रहा प्रदेश में

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भारत आज पूरे विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन कर रहा है। वहीं मप्र दुग्ध उत्पादन के मामले में देश में तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। इसको देखते हुए पहले पायदान तक पहुंचने के लिए प्रदेश सरकार कई कदम उठा रही है। खासतौर से गायों की नस्ल सुधारने के जोर-शोर से उपाए किए जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में 2020-21 में दुग्ध उत्पादन में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। साल 2019-20 में प्रदेश में 171.09 लाख लीटर दुग्ध उत्पादन होता था, जो साल 2020-21 में 179.99 लाख लीटर हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में भैंसों से 46 फीसदी दूध उत्पादन हो रहा है जबकि, गायों से 36 फीसदी दूध मिल रहा है। इसके बावजूद स्थिति यह है कि प्रदेश में दूध से ज्यादा मांस का उत्पादन हो रहा है।  प्रदेश के मुरैना में सबसे अधिक दूध का उत्पादन हो रहा है, वहीं भोपाल में सबसे अधिक मांस का। गौरतलब है कि  मप्र में अच्छी खासी संख्या विभिन्न पशुओं की है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की आजीविका का माध्यम भी यही जानवर होते हैं। अंडा प्रोडक्शन में जबलपुर सबसे आगे है। पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जबलपुर मप्र में सबसे ज्यादा अंडा उत्पादक जिला है। जबलपुर में 9077.73 लाख अंडों का उत्पादन पिछले साल हुआ। दूसरे नंबर पर भोपाल में 5225.13 लाख, तीसरे नंबर पर छिंदवाड़ा में 779.39 लाख, राजगढ़ में 765.22 लाख और बड़वानी 757.13 लाख अंडों का उत्पादन हुआ। अंडा उत्पादन में दतिया (25.13), भिंड (26.18), अशोकनगर (36.14), नीमच (40.05), मुरैना (56.34) लाख अंडों का उत्पादन हुआ। ये पांच जिले सबसे पीछे हैं।
भोपाल में सबसे अधिक  है मीट का उत्पादन
मप्र के बड़े शहरों में मांस की खपत सबसे ज्यादा है। मप्र में 127.05 टन मांस का उत्पादन होता है। सबसे ज्यादा 16.03 टन मांस का उत्पादन भोपाल में होता है। जबलपुर में 13.16, इंदौर में 11.18, देवास में 6.80, विदिशा में 4.26 टन मांस का उत्पादन होता है। देश में पशु गणना हर पांच साल में होती है। 2012 के बाद 2019 में हुई पशु गणना के आंकड़े बताते हैं। कि मप्र में गोवंशीय पशु यानी गाय, बैल की संख्या घटी है। जबकि भेड़, बकरी, भैंस वंशीय जानवरों की तादाद बढ़ी है। पशुपालन विभाग की अतिरिक्त उप संचालक डॉ उमा कुमरे कहतीं हैं कि हर व्यक्ति कहीं ना कहीं पशु और पशु उत्पादों से, उनके बाजार मूल्यों से, दूध-दही, घी-अंडे से और उसके बाजार भाव से प्रभावित होता है। हमारा कोई भी समाज हो उसका त्यौहार बिना दूध-दही, घी, पनीर, खोवा, मक्खन के संभव नहीं। इसलिए हम सभी पशु चिकित्सकों का दायित्व हमारी जिम्मेदारी समाज के हर वर्ग के लिए है। दूध और अंडे प्रोटीन का बेहतरीन विकल्प हैं, जो कुपोषित बच्चों, गर्भवती माताओं-बहनों, बुजुर्गों के लिए आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं और जो शिशुओं, बढ़ते बच्चों, बालक बालिकाओं के लिए प्राथमिक आहार है।
प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 444 ग्राम प्रतिदिन
गौरतलब है कि भारत आज पूरे विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन कर रहा है। हमारे देश का दुग्ध उत्पादन पिछले वर्षों में 5.29 प्रतिशत बढ़ा है और कुल उत्पादन के हिसाब से प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 444 ग्राम प्रतिदिन है, जो कि दुनिया के औसत से लगभग 100 ग्राम अधिक है। परते बताती हैं कि दिन-प्रतिदिन लाइवस्टॉक सेक्टर का भारतीय अर्थव्यवस्था में दिए जा रहे योगदान का प्रतिशत बढ़ रहा है। ग्रामीण परिवेश में विशेषकर भूमिहीन और कम जमीन रखने वाले पशुपालकों के लिए पशुपालन आज भी एक चुनिंदा व्यवसाय है। साल 2014 से लेकर आज तक पशुपालन का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 7.93 प्रतिशत है। यह कृषि क्षेत्र में 4.94 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। मुर्गी पालन, बकरी पालन, शूकर पालन, डेयरी उद्यमिता, चारा विकास, गोबर- गोमूत्र, पंचगव्य उत्पाद इत्यादि एक बड़ा और विविधता पूर्ण उद्यमिता को दर्शाता है।

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