अब पेसा एक्ट से आदिवासियों को जोड़ने की कवायद

बिरसा मुडा जयंती
  • बिरसा मुडा जयंती पर मुख्यमंत्री दे सकते हैं यह बड़ी सौगात

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी /बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की राजनीति में इन दिनों आदिवासी समाज पर प्रमुख रुप से फोकस  किया जा रहा है। इसकी वजह है उनका प्रदेश की करीब 80 से अधिक सीटों पर हार जीत तय करने वाला प्रभाव। यही वजह है कि भाजपा व कांग्रेस के अलावा इस समाज के नाम पर गठित कई संगठन इस वर्ग के मतदाताओं को अपने -अपने दल से जोड़ने  के लिए तरह-तरह के कदम उठा रहे हैं। दरअसल एक साल बाद ही प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं, ऐसे में अब इस वर्ग को साधने के तमाम जतन राजनैतिक दलों द्वारा तेजी से किए जाने लगे हैं। इसी क्रम में अब प्रदेश की भाजपा सरकार जल्द ही इस वर्ग की सालों से लंबित एक बड़ी मांग पूरी करने की तैयारी में हैं। यह मांग है पेसा एक्ट की। दरअसल बिरसा मुंडा जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 15 नवंबर को एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे हैं। इसका आयोजन महाकौशल के शहडोल जिले में प्रस्तावित है। इस मांग के पूरा होते ही इस समाज के दोनों राजनैतिक संगठनों जयस व गोगपा जहां बैकफुट पर जाने को मजबूर हो जाएंगे तो वहीं दूर हुआ आदिवासी समाज भी भाजपा के साथ तेजी से खड़ा हो जाएगा। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव में यह वर्ग भाजपा से दूर चला गया था, जिसकी वजह से कांग्रेस को सत्ता में वापसी का रास्ता मिल गया था। इस वर्ग के लिए प्रदेश में 47 सीटें आरक्षित हैं। इनमें मालवा में 22 और महाकौशल में 15 हैं। 2018 में बीजेपी मालवा में 6 और महाकौशल में सिर्फ 4 सीटें ही जीत पायी थी।
पेसा एक्ट से सशक्त होगी ग्राम सभा
प्रदेश में पेसा एक्ट 1996 से लागू है। अभी 17 विभागों के एक साथ नियम बनाए जा रहे हैं। जो 15 नवंबर से लागू होंगे। इससे आदिवासी ग्राम पंचायतें सशक्त होंगी। आदिवासी समुदाय की परंपराओं, रीति रिवाजों की रक्षा और संरक्षण होगा। नए नियम में ग्राम सभा खदान की अनुमति, शराब दुकान के संचालन की अनुमति देगी। साहूकारों को पंजीकृत करना समेत ग्राम सभा ही क्षेत्र में स्वशासन और विकास योजनाओं को मंजूरी देगी।
यह थी ‘पेसा एक्ट’ की मंशा
ग्राम सभाओं को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास में अनिवार्य परामर्श का अधिकार। पंचायत को लघु जल निकायों की योजना और प्रबंधन का कार्य सौंपा जाना। पंचायत को लघु जल निकायों की योजना और प्रबंधन का कार्य सौंपा जाना। शराब की आदिवासी इलाकों में कितनी बिक्री हो और खपत तय करने का अधिकार। ग्राम सभा या पंचायत खनिजों के लिए संभावित लाइसेंस, पट्टा, रियायतें देने के लिए अनिवार्य सिफारिशें करने का अधिकार। लघु वनोपज का स्वामित्व। गांवों के बाजारों का प्रबंधन करना इस एक्ट की मंशा है। इसके अलावा अधिनियम का उद्देश्य आदिवासी परम्परा, रीतिरिवाजों, संस्कृति आदि का संरक्षण करना  इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सभा में एक ग्राम समिति होगी उस समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय का व्यक्ति होगा एवं ग्राम के महत्वपूर्ण निर्णय ग्राम समिति द्वारा लिए जाएंगे जैसे कि ग्राम पंचायत में होने वाले विकास, अनुसूचित जनजाति समुदाय की भूमि का संरक्षण करना, ग्राम में नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाना, बाजारों की देख रेख एवं ऋण वसूली आदि करना, बेरोजगारी के कारण गाँव छोड़कर पलायन करने वाले जनजाति समुदाय के व्यक्ति की जानकारी रखना आदि सभी अधिकार ग्राम सभा समिति के पास होंगे।  सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि ग्राम सभा समिति ग्राम की समस्याओं को सीधे राज्य सरकार के समक्ष भेज सकती है एवं समस्या का निदान प्राप्त कर सकती है इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी आदिवासी समुदाय के लोगों से ग्राम साहूकार बंधक मजदूरी नहीं करवा सकते हैं।
 यह है आदिवासी वर्ग का गणित
दरअसल प्रदेश की 230 सीटों में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और 84 सीटों पर प्रभाव है। 2003 में बीजेपी ने आदिवासी वर्ग के बीच बना जनाधार पिछले चुनाव में खो दिया। 2018 में बीजेपी को 84 में से सिर्फ 34 सीट पर ही जीत मिली थी, जबकि 2013 में बीजेपी के 59 पर अपने विधायक जीत कर आए थे। वहीं आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में बीजेपी को 2018 में सिर्फ 16 पर जीत मिली, जबकि यह संख्या 2013 में 31 थी। बीजेपी को सत्ता पाने में 7 सीटें कम मिली थीं। इसका फायदा कांग्रेस को मिला और कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए थे।  
निगम चुनाव में बीजेपी को  लगा झटका
नगर निगम चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा। 16 नगर निगम में से 7 सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गईं। इसमें पांच पर कांग्रेस, 1 पर निर्दलीय और एक पर आम आदमी पार्टी की महापौर जीती। अब बीजेपी अपनी पिछली गलती को सुधारने में जुट गई है। मुख्यमंत्री ने रविवार को जनजातीय कार्यकर्ता मिलन सम्मेलन में कहा कि जनजातीय समाज के लिए जितने जन हितैषी काम भाजपा सरकार ने किए, उतने काम आज तक किसी दल नहीं किए। उन्होंने बीजेपी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के लिए कहा।
जयस का पटकनी देने बड़ा दाव
इसमें से एक प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक में पेसा एक्ट लागू करना भी है। इसे जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) को पटकनी देने शिवराज सरकार का बड़ा दाव माना जा रहा है। इसके अलावा जनजातीय गौरव दिवस पर सभी पंचायत में कार्यक्रम होंगे। इस दिन नवनिर्मित कन्या शिक्षा परिसरों का वर्चुअली लोकार्पण, संपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम, मित्र-24+7 कॉल सेंटर और ट्राइबल डिजाइन सेंटर-एनआईडी भोपाल का शुभारंभ होगा। साथ ही साथ ही जेईई, नीट और क्लेट के विद्यार्थियों का सम्मान किया जाएगा।

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