अब विवादास्पद कंपनी के हाथ में आपके जीवन की डोर

विवादास्पद कंपनी
  • छत्तीसगढ़ की जय अंबे इमरजेंसी सर्विस कंपनी मप्र में चलाएगी 108 एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    मप्र में बीमारों, दुर्घटनाग्रस्त लोगों और गर्भवती महिलाओं के जीवन डोर विवादास्पद कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस के हाथ में रहेगी। छत्तीसगढ़ में विवादों से घिरी जय अंबे कंपनी को भोपाल समेत प्रदेशभर में 8 दिसम्बर के बाद 108 एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस के संचालन की जिम्मेदारी सरकार ने दी है।  प्रदेश भर में 108 एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस के संचालन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने निविदा के तहत छत्तीसगढ़ की जय अंबे एजेंसी सर्विस कंपनी नई कंपनी का चयन किया है। निविदा में सबसे कम खर्च पर वाहनों के संचालन के लिए तैयार होने की वजह से इस कंपनी को काम सौंपा गया है। पांच साल पहले जेडएचएल कंपनी को इन वाहनों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी। तब से लेकर आज तक वाहनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है, जबकि जरूरतमंदों की संख्या बढ़ी है। इस कारण वाहन व्यस्त होने की स्थिति में लोगों को तुरंत सेवा नहीं मिल पाती थी। कंपनी को सालभर में 2 हजार एंबुलेंस का संचालन करना है। इसके एवज में उसको 20 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से 220 करोड़ मिलेंगे। इसी राशि में कंपनी को खुद की नई एंबुलेंस भी खरीदना पड़ेगी। साथ ही लेबर रुल्स के हिसाब से नए सिरे से ईएमटी और पायलेट्स की सैलरी तय करना होगी। इतनी कम दरों पर कंपनी एंबुलेंस का संचालन कैसे करेगी इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। ये स्थिति तब है जब वर्तमान में प्रदेश में एंबुलेंस 108 और जननी एक्सप्रेस का संचालन कर रही कंपनी जिगित्जा हेल्थ केयर के साथ ईएमटी पायलेट्स का सैलरी को लेकर हमेशा विवाद बना रहता है। इसकी वजह लेबर रुल्स टेंडर प्रक्रिया में लागू नहीं होना है और न ही काम के घंटे तय होना है। ऐसे में नई कंपनी को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ये भी बड़ा सवाल है कि टेंडर लेने के लिए कंपनी 220 करोड़ सालाना का बजट कोट किया है। जबकि जिगित्सा को 300 करोड़ सालाना मिलते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 108 एंबुलेंस के संचालन के लिए चयनित हुई जय अंबे एजेंसी सर्विस कंपनी को दिए गए टेंडर इसलिए दिया गया है क्योंकि कंपनी ने सबसे कम दर कोट की हैं। उसे एल-1 के आधार पर टेंडर दिया गया है। सरकार ने इस बार एंबुलेंस का संचालन करने के लिए करीब 2 हजार करोड़ रुपए का टेंडर निकाला था। लेकिन कंपनियों की आपसी लड़ाई के चलते जय अंबे ने सबसे कम दरें कोट कर टेंडर अपने नाम कर लिया। इसके लिए उसको सरकार 220 करोड़ रुपए सालाना देगी। हालांकि नए टेंडर से सरकार के हर साल 80 करोड़ रुपए की बचत होगी। हालांकि इससे नई मुश्किल बढ़ना तय है। गौरतलब है कि 108 एंबुलेंस के संचालन जिगित्जा हेल्थ केयर द्वारा किया जा रहा था, इसमें 108 एंबुलेंस की संख्या 606 थी, जो अब बढ़ाकर 1002 कर दी गई है। इसी तरह से प्रसूताओं को अस्पताल  पहुंचाने और घर छोड़ऩे के लिए चलने वाले जननी एक्सप्रेस वाहनों की संख्या भी 840 से बढ़कर 1050 कर दी गई है।
    इस शर्त पर मिली संचालन की जिम्मेदारी
    जय अंबे कंपनी खुद के वाहन लगाएगी। इन वाहनों के संचालन के बदले में कंपनी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से 220 करोड़ रुपए हर साल भुगतान किया जाएगा। अभी मौजूदा वाहन सरकार की तरफ से ही उपलब्ध कराए जाते थे। इनके संचालन की जिम्मेदारी जेड एच एल कंपनी की होती थी। संचालन के लिए करीब 300 करोड़ रुपए हर साल जेडएचएल कंपनी को भुगतान किए जा रहे थे। अब कंपनी खुद अपना वाहन लगाएगी। वाहनों की संख्या भी बढ़ेगी। संचालन का खर्च हर साल करीब 80 करोड़ रुपए कम हो जाएगा। जय अंबे को छह साल के लिए वाहनों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है।
    नई कंपनी आने के बाद यह सुविधाएं बढ़ जाएंगी
    अभी जरूरतमंद द्वारा फोन करने के 20 मिनट बाद एंबुलेंस पहुंचने की शर्त है, लेकिन हकीकत में एंबुलेंस पहुंचने का औसत समय 23 मिनट है। नई कंपनी को 16 मिनट के भीतर जरूरतमंद तक एंबुलेंस पहुंचाने की शर्त दी गई है। सभी वाहन नए होने की स्थिति में इस शर्त को पूरा कर पाना भी आसान होगा। इसी तरह से जननी एक्सप्रेस के पहुंचने का समय 30 मिनट से कम होकर 25 मिनट हो जाएगा। एंबुलेंस बुलाने के लिए पता बताने की जरूरत नहीं होगी। फोन करने वाले की मोबाइल लोकेशन से पता चल जाएगा की मरीज कहां पर है। मोबाइल ऐप के जरिए भी एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस वाहन बुलाए जा सकेंगे। जननी एक्सप्रेस और 108 एंबुलेंस में ज्यादा तेज चलने वाले और वाहन के भीतर ज्यादा जगह वाली गाड़ियां चलाई जाएंगी।

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