अब कांग्रेस के कुल में कलह… दिग्विजय के पुत्र मोह से खफा हुए दिग्गज

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भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के बाद अब कांग्रेस के कुल में भी कलह शुरू हो गई है। इस कलह की वजह है प्रदेश संगठन के पुनर्गठन को लेकर बन रही संभावनाएं।  इस पद के लिए कई चेहरे दावेदारों के बीच वंशवाद की आहट है। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि उनके कुल के दीपक और राघौगढ़ रियासत के युवराज जयवर्धन सिंह को इसमें कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया जाए, जिससे कि बाद में उनकी पीसीसी चीफ की दावेदारी पुख्ता हो सके। उधर मौजूदा अध्यक्ष कमलनाथ पार्टी में बीते आम विधानसभा चुनाव के पहले तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए बनाए गए चार कार्यकारी अध्यक्ष के पदों को ही समाप्त करने के मूड में हैं। इसके साथ ही पार्टी नेताओं में लगातार उठ रही नए पीसीसी चीफ की मांग को देखते हुए नाथ चाहते हैं कि अगर उन्हें प्रदेशाध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा तो किसी दलित को यह पद मिले। इसमें उनके सबसे विश्वसनीय और सबसे खास व्यक्ति सज्जन सिंह वर्मा और विजयलक्ष्मी साधौ के नाम शुमार हैं, जबकि दिग्विजय सिंह अपनी रियासत के युवराज को यह राजगद्दी दिलाना चाहते हैं। हालांकि इस मामले में फैसला हाईकमान ही लेगा कि कौन अध्यक्ष हो। राजनैतिक विद्यालयों के एक समूह का कहना है कि नाथ और दिग्गी में बहुत अच्छा रसायन शास्त्र है। इसके माध्यम से वे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का राजनैतिक पराभाव कर सकते हैं। इस बहाने कांग्रेस की एक संघर्षशील पीढ़ी जो दरी उठाती आयी है, उसे दरकिनार कर नाथ व दिग्गी गुट अलग करना चाहता है। ज्ञात रहे कि कमलनाथ की सरकार बनने के पहले 10 साल तक अरुण यादव व अजय की ही जोड़ी ने संघर्ष किया था। अरुण यादव पूर्व में भी पीसीसी की कमान संभाल चुके हैं, जिसकी वजह से उनकी एक बार फिर इस पद के लिए दावेदारी है, लेकिन वे अब खंडवा से लोकसभा का उपचुनाव लड़ने की जुगत में हैं, जिसकी वजह से उनका नाम अध्यक्ष पद के दावेदारों में से हट गया है। यही वजह है कि अब जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा व अरुण यादव इसके विरोध में आ गए हैं, जिसके लिए अब लंच पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। इसके तहत ही प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी से मिलने उनके घर अरुण यादव और सज्जन सिंह वर्मा जा चुके हैं। इसके पहले अजय सिंह और अरुण यादव के बीच भी मुलाकात हो चुकी है। गौरतलब है कि पार्टी में लंबे समय से नाथ की जगह किसी अन्य नेता को प्रदेशाध्यक्ष पद देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसी तरह की मांग दो दिन पहले प्रदेश प्रभारी संजय कपूर से हुई मुलाकात में अरुण यादव और अजय सिंह कर चुके  हैं। उनका कहना था कि कमलनाथ के पास मौजूद प्रदेशाध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष के दोनों पद हैं।
नाथ को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर किसी दूसरे नेता को यह दायित्व दिया जाना चाहिए। इसके पीछे जो तर्क दिए जाने की खबर है उसमें कहा गया है कि वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पूरी तरह से मैदानी संघर्ष में उतरी थी। तब प्रदेश कांग्रेस की कमान अरुण यादव के पास और नेता प्रतिपक्ष का पद अजय सिंह के पास था। उनका कहना है कि उनकी इस मेहनत की वजह से प्रदेश में सरकार बनी। इसका फायदा कमलनाथ ने उठाते हुए सभी पद अपने ही पास रख लिए और सर्वेसर्वा बन गए हैं। इस दौरान यह भी कहा गया है कि पीसीसी की कमान किसी ऐसे व्यक्ति को दी जाए जो प्रदेश का दौरा कर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर सके। कमलनाथ ऐसा करने में अक्षम हैं। यही नहीं उनके रहते पार्टी में विवाद बढ़ रहे हैं। अजय सिंह का तो यहां तक कहना था कि नाथ अकेले ही पार्टी चला रहे हैं। वे किसी से विचार विमर्श तक नहीं करते हैं। उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने की वजह भी कमलनाथ की कार्यशैली को बताया है। उन्होंने नाथ की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए साफ कह दिया है कि अगर नाथ इसी तरह से काम करते रहे तो प्रदेश में भाजपा का मुकाबला करना बेहद कठिन हो जाएगा।

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