अब देश को मिलेगा 5 ज्योतिर्लिंगों का सर्किट

  • मप्र और महाराष्ट्र सरकार की पहल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में इस वक्त राज्य सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक अभ्युदय के संकल्प को पूरा करने के लिए मजबूती से कदम बढ़ा रही है। प्रदेश में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सनातन परम्परा के गौरव को संरक्षित करने और सहेजने के जहां पिछले वर्षों के दौरान अनेक निर्णय लिए गए और कई नवाचार हुए हैं, उसमें अब एक पहल ओर जुडऩे जा रही है, जिसके बारे में स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया। मप्र और महाराष्ट्र दोनों राज्य अपने-अपने राज्यों में मौजूद 5 ज्योतिर्लिंगों को मिलाकर एक धार्मिक पर्यटन सर्किट विकसित करेंगे। इनमें मप्र के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर और खंडवा स्थित ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग के साथ ही महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमाशंकर, नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर, औरंगाबाद स्थित घृष्णेश्वर शामिल हैं। इसके साथ ही कृष्ण पाथेय में गुजरात, राजस्थान के बाद अब महाराष्ट्र भी शामिल होगा। दरअसल, मप्र में इन दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गोपालन से आर्थिक समृद्धि, गीता से सांस्कृतिक चेतना, श्रीकृष्ण पाथेय और श्री राम वनगमन पथ से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते दिखाई दे रहे हैं। यहां सिंहस्थ भूमि के स्थायी आवंटन से उज्जैन में आम जन में उत्साह का वातावरण है तो ओंकारेश्वर में सर्वत्र हो रहा विकास समेत अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों को धाम और लोक का स्वरूप देकर मध्य प्रदेश शासन एवं प्रशासन द्वारा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण प्रदान करने का बड़ा कार्य किया जा रहा है। अब मप्र के साथ महाराष्ट्र भी देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए मिलकर काम करने आगे आया है। आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र दोनों राज्य मिलकर कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम करते नजर आएंगे।
सांस्कृतिक विरासत का साथ मिलकर विकास  
 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रिमंडल को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन दिन पहले उनकी इस संबंध में भोपाल आए महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ बातचीत के बाद सहमति बन गई है। दोनों राज्य साझी सांस्कृतिक विरासत का साथ मिलकर विकास करेंगे। दोनों राज्य मिलकर बाजीराव पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, अप्पाजी भोंसले जैसे गौरवशाली महापुरुषों के जीवन से जुड़ी घटनाओं के इतिहास लेखन, दस्तावेज संकलन, डिजिटलीकरण, मोढ़ी लिपि के संरक्षण, लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के धार्मिक-प्रशासनिक अवदानों के संरक्षण पर एक साथ काम करेंगे। सीएम ने बताया कि शेगांव के गजानन ट्रस्ट द्वारा इच्छुक व्यक्तियों को सेवा का प्रशिक्षण
देकर मंदिर की सेवा और प्रबंधन में लगाया जाता है।
राजवाड़ा कैबिनेट में विजन 2047 का प्रजेंटेशन होगा
सीएम ने बताया कि 20 मई की इंदौर राजवाड़ा कैबिनेट बैठक में मप्र विजन 2047 का प्रजेंटेशन होगा। इस पर सभी मंत्री भी अपनी-अपनी बात रखेंगे। सीएम ने कहा कि जिस तरह 20 मई को अहिल्याबाई के सम्मान में इंदौर के राजवाड़ा पर मप्र की कैबिनेट बैठक होगी, उसी तरह महाराष्ट्र सरकार भी देवी अहिल्याबाई की जन्म स्थली पर महाराष्ट्र में कैबिनेट बैठक करेगी।
ऐसा होगा ज्योतिर्लिंगों का सर्किट
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने मंत्रिपरिषद के सदस्यों के बीच जानकारी दी कि मप्र और महाराष्ट्र का साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ रहा है। दोनों राज्यों द्वारा बाजीराव पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, अप्पाजी भोंसले इत्यादि के गौरवशाली अतीत की घटनाओं के इतिहास लेखन, दस्तावेज संकलन, डिजिटाइलिजेशन, मोढ़ी लिपि के संरक्षण, लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के धार्मिक-प्रशासनिक अवदानों के संरक्षण के लिए कार्य करने पर सहमति हुई है। उन्होंने कहा, मप्र में उज्जैन और ओंकारश्वर के ज्योतिर्लिंग तथा महाराष्ट्र के तीन ज्योतिर्लिंग का सर्किट विकसित करने पर दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी है। ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, घृष्णेश्वर को जोड़ एक धार्मिक कॉरिडोर बनेगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश द्वारा परस्पर समन्वय से आगामी दिनों में की जाने वाली सांस्कृतिक-धार्मिक व इतिहास केंद्रित गतिविधियों में प्रदेश के इन दोनों ही राज्य में व्यापक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमाएं दोनों राज्यों के बीच नौ जिलों में सीमा लगती है। इन जिलों में खरगोन, बड़वानी, बैतूल, खंडवा, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, अलीराजपुर और बुरहानपुर शामिल हैं।
धार्मिक स्थलों का होगा विकास
फिलहाल मप्र की सरकार ने चित्रकूट सहित राम वन पथ गमन मार्ग के सभी प्रमुख स्थलों को विकसित करने के लिये पूरी कार्य-योजना बनाकर उसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का निर्णय लेकर उस पर काम करना शुरू कर दिया है। पूरे 1450 किलोमीटर की दूरी वाले राम वन पथ गमन मार्ग को प्रदेश के सांस्कृतिक पर्यटन के लिहाज से भव्य धार्मिक केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें कि प्रमुख तौर पर 23 प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जिनमें सतना, पन्ना, कटनी, अमरकंटक, शहडोल, उमरिया आदि जिलों को भी शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त जहां-जहा भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। महाकाल की नगरी उज्जैन को व्यवसाय, पर्यटन एवं विकास की राह में आगे बढ़ाने के मकसद से गत वर्ष से उज्जैन में विभिन्न सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं औद्योगिक आयोजन आरंभ कर दिए गए हैं। विक्रमोत्सव के अवसर पर विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का शुभारंभ कर भारतीय काल गणना परम्परा का साक्षात्कार पूरी दुनिया को करा ही दिया गया है। वहीं, शासकीय कैलेण्डर में विक्रम संवत अंकित करना प्रारंभ हो चुका है। 

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