
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से पहले ही राजस्व महकमे के अफसर व कर्मचारी रायता ढोलने के प्रयासों में लग गए हैं। इस मामले में राजस्व विभाग के तमाम संगठन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। उधर सरकार व शासन स्तर पर भी इसे लागू करने की तैयारी तेजी से जारी है। सरकार हर हाल में इसे इसी माह लागू करना चाहती है। यही वजह है कि इसको लेकर तमाम विभागों में संबंधित प्रस्तावों को तैयार करने के साथ ही उनका परीक्षण का काम तेजी से किया जा रहा है।
इस मामले में गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि पांच दिन में इसे लागू कर दिया जाएगा। उधर विरोध को देखते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि दोनों शहरों में इस प्रणाली के परिणाम देखेंगे। अगर परिणाम ठीक आएंगे तो अन्य शहरों में भी लागू करेंगे। परिणाम ठीक नहीं आए तो इसे दोनों शहरों से वापस ले लिया जाएगा। दरअसल इस पर इतनी तेजी से काम किया जा रहा है कि रायता फैलने के आसार बहुत ही कम हैं। दोनों महानगरों में लागू होने जा रही पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में गहरी नाराजगी है। इसके विरोध में वे एक साथ प्रदेश व्यापी हड़ताल करने की तैयारी में जुट गए हैं। इस मामले में पहले मप्र राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर उनके समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।
संघ की महासचिव मल्लिका निगम नागर का कहना है कि इस संबंध में संघ का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से जल्द मुलाकात करेगा। दरअसल पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद राप्रसे अफसरों को उनके अधिकारों में कटौती होने का डर सता रहा है। इस बीच गृह मंत्री मिश्रा ने स्पष्ट कर दिया है कि इसके लागू करने से पहले कैबिनेट और विधानसभा की मंजूरी जरूरी नहीं है। बताया जा रहा है कि इसके लिए राज्य सरकार करीब डेढ़ दर्जन कानूनों में बदलाव कर अध्यादेश के जरिए नया कानून लागू करने जा रही है। कानूनों में बदलाव का राजपत्र में प्रकाशन होते ही नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। इस मामले में पुलिस मुख्यालय पहले ही प्रस्ताव गृह विभाग को भेज चुका है। इस प्रस्ताव पर अब विधि विभाग के परिमार्जन और वित्त की अनुमति का इंतजार है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए गृह विभाग द्वारा जो दंड संहिता की धारा 107/116, 144,133, पुलिस एक्ट, मोटर व्हीकल अधिनियम, राज्य सुरक्षा अधिनियम, शासकीय गोपनीयता, अनैतिक देह व्यापार, राज्य सुरक्षा जिला, अपहरण जैसी धाराओं में संशोधन पर काम किया जा रहा है। इसके दायरे में दोनों शहरों के नगर निगम सीमा में आने वाले थाने इसमें शामिल किए जाएंगे। देहात के थाने इसमें नहीं रहेंगे, लेकिन देहात के जिन थानों में शहरी क्षेत्र आता है, उन्हें इसके दायरे में लाया जाएगा। बताते हैं कि राजपत्र में प्रकाशन के साथ दोनों शहरों में कमिश्नर से लेकर नीचे तक के अफसरों की पदस्थापना भी कर दी जाएगी।
36 थाने होंगे अधीन
पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद भोपाल जिले के 36 थानों का क्षेत्रफल नगर निगम की सीमा में होने की वजह से वे पुलिस कमिश्नर के अधीन आएंगे। सिर्फ छह थाने ग्रामीण इलाकों में होने की वजह से वे देहात के जिले में आएंगे। भोपाल शहर के सात सीमावर्ती इलाके हैं। खजूरी सड़क इलाके भौरी इलाका नगर निगम की सीमा में आता है। रातीबड़ थाने का नीलबड़ का पूरा हिस्सा नगर निगम में आता है। कोलार का ज्यादातर हिस्सा, मिसरोद इलाके का बीआरटीएस कारीडोर तक का हिस्सा और बिलखिरया थाना क्षेत्र का कोकता ट्रांसपोर्ट नगर और खजूरी कला तक का हिस्सा नगर निगम के दायरे में आता है।
ईंटखेड़ी से पहले यानी निशातपुरा, लांबाखेड़ा और छोला मंदिर थाने का भानपुर इलाका भी निगम की सीमा में आता है। गांधीनगर थाने की तकरीबन पूरी सीमा निगम के दायरे में आती है। परवलिया और सूखीसेवनिया थाने का पूरा इलाका पंचायत क्षेत्र में आता है। सूखीसवेनिया का ज्यादातर हिस्सा शहरी क्षेत्र है। ऐसे में सूखीसवेनिया थाने को भी पुलिस कमिश्नर के अधीन लाया जा सकता है। अगर सूखीसेवनिया को शामिल नहीं किया जाता है, तब 36 और शामिल किया जाता है, तो 37 थाने कमिश्नर के क्षेत्र में आएंगे। परवलिया थाने की सीमा ईंटखेड़ी से जुड़ती है। वह हिस्सा ईटखेड़ी के साथ गुनगा, बैरसिया और नजीराबाद से जुड़ जाएगा। पूरे इलाके को भोपाल देहात के नाम से नया जिला अथवा बैरसिया के नाम से नया जिला बनाया जा सकता है। यानी महज दो एसडीओपी संभाग देहात इलाके में आएंगे। देहात के लिए अलग एसपी की तैनाती होगी। देहात का इलाका विदिशा, सीहोर और राजगढ़ के साथ डीआईजी देहात और आईजी भोपाल के अधीन आएगा।
ड्राफ्ट हुआ तैयार
पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर गृह विभाग ने पुलिस कमिश्नर के अधिकारों और उनके प्रभाव के साथ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम यानि कलेक्टर) के अधिकारों को स्पष्ट करके प्रारूप को तकरीबन फाइनल कर दिया। मुख्यमंत्री से इस बारे में आज चर्चा संभावित है।
राजस्व अधिकारी संघ उतरा विरोध में
राजस्व अधिकारी संघ मप्र राजस्व अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुलिस कमिश्नर प्रणाली के एक पक्षीय लागू करने पर विरोध जताया है। प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि इस प्रणाली के लागू होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। आम जनता से जुड़ा यह फैसला होने के कारण अंतिम फैसला लिए जाने के पहले मंत्रिमंडल समूह, सचिव स्तरीय समूह, अधिवक्ता परिषद, जनप्रतिनिधियों तथा नागरिकों से विमर्श जरूरी है। इतना महत्वपूर्ण निर्णय एक पक्षीय रूप से लिया जाना न्यायसंगत नहीं होगा। राजस्व अधिवक्ता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष धर्मेंद्र वाधवानी ने कहा कि पहले अधिवक्ता संघ से चर्चा की जानी चाहिए थी। इस तरह का फैसला सीधे नहीं लिया जाना चाहिए।