
- मप्र विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू
करीब 4 साल के इंतजार के बाद अब विधानसभा चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 10, 9, 8, 7 गिनते-गिनते महीने गुजरते जाएंगे और चुनाव आ जाएंगे। मप्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों सत्ता में आने के लिए रणनीति बना रहे हैं। भाजपा ने अबकी बार 200 पार के नारे के साथ तैयारियां तेज कर दी हैं। वहीं कांग्रेस का भी दावा है कि वह 150 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करेगी। अपने-अपने दावों को साकार करने के लिए दोनों पार्टियों ने मैदानी सक्रियता के लिए रणनीति बना ली है। शिवराज सरकार अब सीधे जनता के दर पर दस्तक देगी।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र को बीमारू राज्य से आज विकसित राज्य बनाने वाली शिवराज सरकार विकास को और गति देने के लिए अब जनता के दर पर दस्तक देगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी कैबिनेट के सभी मंत्रियों को निर्देशित कर दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश में 5 फरवरी से विकास यात्रा निकाली जाएगी। प्रदेश सरकार के मंत्री जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक दौरा करेंगे। सभी कलेक्टर और जिला प्रशासन ने विकास यात्रा का रूटमैप तैयार करना शुरू कर दिया है। सरकार की ओर से निकाली जाने वाली विकास यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधि आम सभाएं करेंगे और जनता को भाजपा सरकार की योजनाओं और उपलब्धि के बारे में बताएंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि इस विकास यात्रा में हितग्राहियों को लाभ, हितग्राहियों से चर्चा और संवाद होगा। जिला मुख्यालय के अलावा ब्लॉक में भी मंत्रियों के दौरे होंगे। मंत्रियों के दौरे के वक्त विकास के लक्ष्यों का उद्देश्य पूरा हो और मंत्रीगण लौटने के बाद अपनी रिपोर्ट भी देंगे। सीएम ने कहा कि जो काम पूरे हो गए हैं, उनका लोकार्पण लोकार्पण किया जाएगा और जो काम शुरू करने बाकी हैं उनका शिलान्यास भी होगा। चौहान ने कहा कि सभी मंत्रियों के पास विधानसभा की सूची होगी, उसी के आधार पर वे यात्रा कार्यक्रम बनाएं। सीएम जनसेवा योजना के हितग्राहियों को हितलाभ देना प्रारंभ होगा। विकास यात्रा में हितग्राही सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे। गांव या ग्राम पंचायत के हितग्राहियों के सम्मेलन भी होंगे। शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों से कहा कि विकास यात्रा में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र कवर हो सकें, इस बात का सभी को ध्यान रखना है। विकास यात्रा से पहले एक-दो दिन के दौरे जरूर करें। विकास यात्रा हमारे काम को जनता के बीच ले जाने का काम है। यह दौरे प्रभावी ढंग से होना चाहिए यही हमारी प्राथमिकता भी है।
यात्रा का डेटा बेस बनेगा
विकास यात्रा की पूरी जानकारी सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। हर विकास यात्रा को एक विशिष्ट नाम, कोड नम्बर दिया जाएगा। प्रभारी मंत्री की सलाह से हर यात्रा के लिए यात्रा प्रभारी, सह यात्रा प्रभारी, लोकार्पण, शिलान्यास, हितलाभ वितरण के लिए मुख्य अतिथि को कलेक्टर तय करेंगे। हर जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में होने वाली विकास यात्राओं के रूट और रूपरेखा का निर्धारण जिले के प्रभारी मंत्री के सलाह लेकर कलेक्टर फाइनल करेंगे।विकास यात्रा के लिए आसपास के गांवों, वार्डो के क्लस्टर, समूह बनाकर उसके रूट तय करेंगे। यात्रा से संबंधित क्लस्टर में शामिल पहले गांव से शुरु होकर बाकी सभी गांवों से गुजरती हुई क्लस्टर के आखिरी गांव में समाप्त होगी। विकास यात्रा के रूट का निर्धारण इस प्रकार किया जाएगा जिससे हर ग्राम, नगर में यात्रा के अंतर्गत आयोजित होने वाली गतिविधियों को पर्याप्त समय मिले और निर्धारित समयावधि में जिले के समस्त ग्राम, वार्ड में यात्रा अनिवार्य रूप से पहुंचे। विकास यात्रा के पहले दिन रविदास जयंती का कार्यक्रम होगा। इसमें जो काम पूरे हो चुके है उनका लोकार्पण होगा और जो शुरू करने है उनका शिलान्यास होगा। सभी मंत्रियों के पास विधानसभा की सूची होगी। इसमें सीएम जनसेवा के हितग्राहियों को उसका लाभ देने भी शुरू किया जाएगा। इसके अलावा यात्रा में हितग्राही सम्मेलन भी होंगे। गांव या ग्राम पंचायत के हितग्राही के सम्मेलन आयोजित होंगे। विकास यात्रा में गांव, नगर में नागरिकों, किसानों, मजदूरों, छात्रों, महिलाओं, स्व-सहायता समूहों आदि के द्वारा अलग-अलग क्षेत्र में की गई अभिनव पहल और उनकी सफलता की कहानियों पर चर्चा की जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में जनता को बताया जाएगा। इलाके के भविष्य की विकास रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। यात्रा में आने वाले सार्वजनिक संस्थाओं अस्पताल, डिस्पेंसरी, आंगनवाड़ी, स्कूल, पंचायत कार्यालय, पुलिस थाना, पशु चिकित्सालय, सहकारी समिति का भ्रमण कर उनके सुधार के सुझाव प्राप्त किए जाएंगे। विकास यात्रा के दौरान स्व-सहायता समूहों, शिक्षक पालक संघ के सदस्यों, क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप्स के सदस्य, ग्राम सभाओं के सदस्य, जल जीवन मिशन के अंतर्गत परियोजना संचालन- संधारणकर्ता समितियों के प्रतिनिधि, जल उपभोक्ता संथाओं के प्रतिनिधि, पेसा नियमों के अंतर्गत निर्मित समितियों के सदस्य आदि विभिन्न समूहों को भी सम्मिलित करते हुए उनके द्वारा किए जा रहे स्थानीय स्तर पर किए जा रहे अच्छे कार्यों का अवलोकन भी किया जा सकता है। सरकार की विभिन्न योजनाओं के ऐसे पात्र हितग्राही, जिन्हें हाल ही में मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान के अंतर्गत योजना का लाभ मिला है, उन्हें हितलाभ वितरण की कार्यवाही की जाएगी। यात्रा के दौरान विकास गतिविधियों पर एकाग्र सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा सकते हैं।
सरकार का विकास पर फोकस
यह साल चुनाव का है। इस चुनावी साल में सरकार का सबसे अधिक फोकस विकास कार्यों पर है। सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में जितनी भी योजनाएं-परियोजनाएं चल रही हैं, उन्हें जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाया जाए। सरकार की मंशानुसार योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विभागों ने बजट में पिछली बार की अपेक्षा इस बार अधिक बजट की मांग की है। गौरतलब है की इस साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। इसलिए मप्र सरकार के दिशा-निर्देश पर वित्त विभाग के अधिकारी अभी से बजट की तैयारी में जुट गए हैं। इस बार का बजट चुनावी रंग में रंगा रहेगा। मुख्य बजट में सरकार का कर्मचारियों के बकाया डीए सहित अधोसंरचना विकास पर फोकस रहेगा। चुनावी वर्ष में विकास कार्यों और योजनाओं पर फोकस रहेगा। मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य का बजट 2.79 लाख करोड़ रुपए का है। बजट का आकार 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होने की संभावना है। बजट बढऩे का प्रमुख कारण राज्य सरकार द्वारा विकास कार्यों पर फोकस करना, योजनाएं शुरू करना है। पार्टी के विधायकों के क्षेत्र में विकास कार्य और घोषणाएं पूरी करने में पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक बजट व्यय होगा। ऐसे में विभागों ने डेढ़ गुना अधिक बजट की मांग की है। इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं में भी केंद्र सरकार से बजट उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखे गए हैं। इनमें आयुष्मान भारत योजना, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी और ग्रामीण, पेंशन, जल जीवन मिशन और खाद वितरण जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं में शीघ्र और पर्याप्त बजट उपलब्ध कराने की मांग की गई है। राज्य सरकार का वर्ष 2022-23 का बजट अत्मनिर्भर मध्य प्रदेश पर आधारित था। वर्ष 2022-23 में दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया गया था। इसे जनता का बजट नाम भी दिया गया था। बजट तैयार करने से पहले जनता के सुझाव लिए गए थे, जिसे बजट में शामिल किया गया था। हालांकि बाद में दो अनुपूरक बजट भी लाए गए थे। सत्तारूढ़ पार्टी के साथ ही अन्य पार्टियां चुनावी मोड में आ गई हैं। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि विकास कार्यों के माध्यम से जनता को अपनी ओर आकृष्ट करें। इसके लिए इस वर्ष विकास कार्यों की भरमार रहेगी। विधायक, मंत्रियों की स्थानीय घोषणाएं, भूमिपूजन और क्षेत्र में विकास कार्यों पर अधिक व्यय होना है। मुख्यमंत्री ने भी विभाग प्रमुखों को स्पष्ट कहा है कि जनप्रतिनिधियों, विधायक, मंत्रियों द्वारा क्षेत्र में बताए गए विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। जिसके चलते विभागों ने अधिक बजट उपलब्ध कराने की मांग की है। चुनावी वर्ष को देखते हुए इस वर्ष राज्य सरकार तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक बजट का प्रविधान कर रही है। सरकार की चुनावी रणनीति को देखते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास, सहकारिता, श्रम, स्वास्थ्य, ऊर्जा, वन, नगरीय विकास एवं आवास, स्कूल शिक्षा, लोक निर्माण, पंचायत, जनसंपर्क, जनजातीय कार्य, सामाजिक न्याय एवं निश्शक्तजन कल्याण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, संस्कृति, जल संसाधन, पीएचई, पशुपालन, मछुआ कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास, महिला एवं बाल विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, उद्यानिकी, आयुष, नवीन एंव नवकरणीय ऊर्जा, विमुक्त घुमक्कड़ जनजाति कल्याण और उच्च शिक्ष विभाग ने इस वर्ष अधिक बजट मांगा है।
जीत के ब्रांड बने शिवराज
पिछले चुनावों की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्र बिंदु रहेंगे। दरअसल शिवराज चुनाव जीतने के ब्रांड बन गए हैं। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चौथा कार्यकाल पिछली तीन पारियों जैसा नहीं था। चौथी बार मुख्यमंत्री पद का ताज पहनना कांटों का ताज माना जा रहा था। लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने एक अस्थाई मानी जाने वाली सरकार को स्थाई सरकार में बदल डाला, बल्कि राज्य को विकास के पथ पर सरपट दौड़ाया। उन्होंने राज्य के किसानों से लेकर युवा और आदिवासी समुदाय को भी पूरी तरह साध कर रखा। राजनीतिक क्षेत्रों में यह स्वीकार किया जा रहा है कि मप्र में वे ब्रांड शिवराज बन गए हैं। जिन्हें आसानी से नजरंदाज नहीं किया जा सकता। हाल ही में इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और निवेशक सम्मेलन के बाद जी-20 के तहत थिंक-20 समूह के सफल सम्मेलन से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा में चार चांद लग गए। प्रवासी भारतीय सम्मेलन और निवेशक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन से और दुनिया भर से आए प्रतिनिधियों की मौजूदगी में राज्य के लोगों में नई ऊर्जा का संचार कर दिया। इस सम्मेलन में अलग-अलग क्षेत्रों के उद्यमियों ने राज्य में कुल 15 लाख 42 हजार 550 करोड़ के निवेश का इरादा जताया, जो कि पिछले सम्मेलन से कहीं ज्यादा है। कोई समय था जब उद्योगपति मध्य प्रदेश में निवेश करने में कोई रुचि नहीं रखते थे। लेकिन अब उन्हें राज्य में निवेश करना हर दृष्टि से फायदे का सौदा लग रहा है। बिजली के मामले में मध्य प्रदेश सरप्लस स्टेट है। राजमार्गों और सडक़ों का निर्माण विश्वस्तरीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि शिवराज सरकार अपनी चार पारियों में उद्योगों के लिए सरकारी प्रक्रिया को सरल बनाया है। इससे मध्य प्रदेश निवेशकों के लिए आकर्षक गन्तव्य स्थल बन चुका है। एक के बाद एक सफल आयोजनों के बाद खेलो इंडिया भी भोपाल में शुरू होने वाला है। उज्जैन में महाकाल लोक के दूसरे चरण का काम तेजी से चल रहा है और ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा भी होने जा रही है। शिवराज सिंह चौहान सुशासन, स्थायित्व के साथ-साथ हिन्दुत्व की राह पर चलते नजर आए लेकिन जनता के लिए कल्याणकारी योजनाओं को भी द्रुतगति से जारी रखा। मध्य प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं सीमित हैं। इसके बावजूद उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कानून बनाए। मुख्यमंत्री पद की चौथी पारी खेलते हुए शिवराज सरकार ने किसानों के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं। प्रदेश को सरकारी नौकरियों में केवल राज्य के युवाओं के लिए 100 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की। सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती की गई। वहीं शिवराज सरकार आदिवासी समुदाय के बीच दुबारा अपनी जड़े जमाने के लिए हर सम्भव कदम उठाती नजर आई। साहूकारों के कर्ज से आदिवासी समुदाय को मुक्ति दिलाने के लिए कानून बनाने के साथ-साथ उनका 15 अगस्त, 2020 के पहले का कर्ज माफ कर दिया। शिवराज चौहान किसी सफल क्रिकेटर की तरह चौके और छक्के लगा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में ऐसी सुगबुगाहट होती रहती है कि शायद चुनावों से पहले कुछ हलचल हो लेकिन इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि उनके हर कार्यकाल में मध्य प्रदेश को विकास का नया आयाम मिला है। मुख्यमंत्री की विशेषता यह है कि वह जो भी काम करते हैं वह बड़ी मेहनत से करते हैं। वह राजनीति में कला कौशल सम्पन्न व्यक्तित्व माने जाते हैं। वह कुछ ऊंच-नीच हुआ हो तो उसे भी विनम्रता से स्वीकार करने में हिचकते नहीं हैं। महिलाओं और बच्चों में मामा जी के नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान एक बड़ा ब्रांड बन चुके हैं। यही उनकी राजनीतिक पूंजी है। शिवराज सिंह चौहान स्वयं अध्ययनशील, मननशील और कर्मशील होने की वजह से अपने संकल्प आसानी से साकार कर लेते हैं। वे जो सोचते हैं, उसे पूर्ण करने के लिए उन्हें बस इतने ही प्रयत्न करने होते हैं कि कार्य की शुरूआत से कार्य के पूर्ण होने के मध्य निरंतर अनुश्रवण का कार्य करना होता है। उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेेश में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए उन्होंने वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बनते ही प्रयत्न प्रारम्भ किये। मध्य प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों के विकास की व्यापक सम्भावनाओं को साकार करने के लिए उद्योगपतियों से सतत सम्पर्क आवश्यक था। इसके? लिए की गई इन्वेस्टर्स समिट्स बहुत लाभकारी सिद्ध हुई। मध्य प्रदेश में न सिर्फ नया निवेश आया बल्कि लाखों नौजवानों को रोजगार भी मिला। प्रदेश की प्रतिभा का पलायन भी रुका। उद्योगों के विकास से सम्पूर्ण अधोसंरचना के विकास का कार्य आसान हुआ और प्रदेश की तस्वीर को बदलने में सफलता मिली। मुख्यमंत्री के रूप में चौहान के विभिन्न कार्यकालों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि प्रथम कार्यकाल उन्होंने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, विद्यार्थियों को विद्यालय जाने के लिए साइकिल प्रदाय जैसे कल्याणकारी कार्य प्रारम्भ किए। बुनियादी क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाने की ठोस पहल की गई। श्री चौहान का मुख्यमंत्री पद का पहला कार्यकाल तीन वर्ष का था। द्वितीय और तृतीय कार्यकाल पांच-पांच वर्ष के रहे। इन दस वर्षों में मध्य प्रदेश ने विकास के नए आयाम छुए।
देश का हॉट स्पॉट बना मध्य प्रदेश
संघ की प्रयोगशाला के बहुतेरे प्रयोगों के हिसाब से मप्र भाजपा के लिए सबसे ज्यादा मुफीद रहा है। इस कारण किसी न किसी बहाने यहां संघ, विहिप से लेकर प्रमुख अनुषांगिक संगठनों के बड़े आयोजन सरकारी और गैरसरकारी माध्यमों से होते रहते हैं। इनका अपरोक्ष फायदा सरकार को मिलता है। वहीं चुनावी साल में मप्र में प्रवासी भारतीय सम्मेलन, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, खेलो इंडिया यूथ गेम्स, जी-20 देशों के सम्मेलन का आयोजन मप्र में किया जा रहा है। दरअसल ये सभी आयोजन भाजपा की रणनीतिक सोच के परिणाम हैं। भाजपा देश के हृदय प्रदेश को विकास के मॉडल के रूप में देश के सामने प्रस्तुत करती आ रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि मप्र में जो प्रयोग सफल होता है उसका देशव्यापी प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि चुनावी साल में मप्र देश का हॉट स्पॉट बना हुआ है। अभी हाल ही में यहां प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स का सफल आयोजन हो चुका है। आगे खेलो इंडिया यूथ गेम्स और जी-20 देशों के सम्मेलन आयोजित किए जाने वाले हैं। इन आयोजनों से मप्र की अर्थव्यवस्था को तो पंख लगेंगे ही, साथ ही प्रदेश की साख अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी। साथ ही इन आयोजनों के माध्यम से भाजपा चुनावी समीकरण साधेगी। इसलिए मिशन 2023 और 2024 पर नजर रखते हुए ये बड़े आयोजन मप्र में आयोजित किए जा रहे हैं। यह स्पष्ट है कि भाजपा यह अच्छे से जानती है कि इस तरह के जलसों से प्रवासियों की ब्रांडिंग, प्रमोशन और राष्ट्र सेवा के साथ राजनीतिक हित भी साधे जा सकते हैं। गौरतलब है कि 2020 में जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, पार्टी तभी से चुनावी तैयारी में जुटी है। अब इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी 200 सीटों का टारगेट पाने के प्रयास में जुट गई है। पार्टी के इस अभियान में प्रदेश में होने वाले बड़े आयोजन निश्चित रूप से भाजपा के लिए संजीवनी बनेंगे। इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट चल रही है। आने वाले दिनों में मप्र में कई बड़े आयोजन होने हैं। इनमें 30 जनवरी से 11 फरवरी के बीच प्रदेश के आठ शहरों में खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन होगा, जबकि 13 से 15 फरवरी के बीच इंदौर जी-20 देशों के सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इसमें जी-20 देशों के कृषि मंत्री शामिल होंगे। इसके अलावा 21 से 24 फरवरी के बीच प्रदेश की राजधानी भोपाल में आठवां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव आयोजित होगा। इन तमाम आयोजन के पीछे भाजपा अपना राजनीतिक फायदा देख रही है।
एक्टिव होगा हर नेता
चुनावी साल में हर नेता हाईली एक्टिव होगा। कभी जनता के बीच, कभी सभा, कभी रैली और जब फुर्सत मिलेगी, तब नई रणनीति पर सोच विचार। आने वाले कुछ दिन मप्र के प्रमुख और दिग्गज नेताओं का यही हाल होगा जिनके कंधों पर जीत की जिम्मेदारी होगी। कुछ ऐसे नेता भी होंगे जो अपने नए कदम या नए बयान से बवंडर लेकर आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा जैसे आला नेताओं का प्रदेश में मूवमेंट बढ़ेगा। कांग्रेस से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और आप के अरविंद केजरीवाल भी एमपी का रुख कर सकते हैं। इन सबके बीच प्रदेश के ही कुछ नेता अल्ट्रा एक्टिव होंगे। इन नेताओं में सबसे पहला शिवराज सिंह चौहान का है। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुखिया तो है हीं, पार्टी की वापसी कराने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर हैं। अलग-अलग योजनाओं के ऐलान और सभाओं के जरिए शिवराज पहले से ही एक्टिव हैं। मैदानी एक्टिविटीज बढऩे के साथ बैठकें, सलाह-मशवरे के दौर भी उनकी तरफ से बहुत ज्यादा होंगे। कुछ के नतीजे सामने होंगे और कुछ क्लोज डोर होंगी। चुनावी मौसम में सबसे ज्यादा सक्रिय कांग्रेस भाजपा ही होंगी। ये भी तय है कि सरकार इन्हीं में से किसी एक दल की होगी। एक जीत का स्वाद चखेगा और दूसरा हार का कड़वा घूंट पिएगा। इनकी हार-जीत का फैसला इस बार सिर्फ इनकी रणनीतियों के भरोसे नहीं होने वाला है। इस चुनावी सीजन में कुछ और दल हैं जो दोनों बड़े दलों की प्लानिंग को चौपट कर सकते हैं या उसे बदलने पर भी मजबूर कर सकते हैं। इन दलों में सबसे पहला नाम आम आदमी पार्टी का है जिसकी आहट से भाजपा नींद तो उड़ी हुई है। भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ गुजरात में आम आदमी पार्टी ने कुछ सीटें खींच ही ली हैं। अब रुख मध्यप्रदेश का है। यहां आप के नाम का डंका नगरीय निकाय चुनाव से ही बज चुका है। अब आप के उम्मीदवार जिस सीट पर होंगे वहां किस दल को नुकसान पहुंचाएंगे, ये आंकलन चुनावी नतीजों के वक्त होगा पर ये तय है आप की झाड़ू चलेगी तो कोई न कोई साफ जरूर होगा। आम आदमी पार्टी के बाद दूसरा नाम आता है जयस का। जयस के साथ मिलकर कांग्रेस ने पिछला चुनाव लड़ा था। नतीजे सबके सामने थे। इस बार जयस और कांग्रेस हाथ मिला सकेंगे। इसके आसार कम हैं। जयस अकेले मैदान में उतरी तो हर सीट पर नया चुनावी समीकरण जरूर बनेगा। सपा और बसपा भी चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में एक्टिव हो चुकी हैं। समाजवादी पार्टी प्रीतम लोधी को सीढ़ी बनाकर विधानसभा की सीढिय़ां चढऩे की तैयारी में है। बसपा का हाथी भी अब तक चुनावी मैदान में दिखा नहीं है लेकिन ऐलान हो चुका है कि हर सीट से चुनाव लड़ेंगे। 230 सीटों पर बसपा कोई खास रंग न जमा सके लेकिन कुछ सीटों पर खासतौर से यूपी से सटी सीटों पर सपा बसपा दोनों ही केटेलिस्ट की भूमिका में नजर आ सकती हैं। इस लिहाज से ये तय है कि पुराने तौर-तरीकों के साथ मंजिल तक पहुंचना न भाजपा के लिए आसान होगा न कांग्रेस के लिए। इस बार मैदान में मौजूद नए दलों को देखते हुए एक नई रणनीति बनानी होगी। तो क्या होगी वो नई रणनीति। जीत के लिए शिवराज कितनी एडिय़ां घिसेंगे। सत्ता में वापसी के लिए कमलनाथ कितनी मेहनत करेंगे। कभी प्लानिंग होगी तो कभी जोड़तोड़। इस बार मध्यप्रदेश का इलेक्शन भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए पहले से ज्यादा टफ होगा तो जनता के लिए ज्यादा इंटरेस्टिंग।