अब श्रीमंत के इलाके में कर्ज लेकर सड़कें बनवाएगी शिव सरकार

शिव सरकार

फंड लेने के लिए विश्व बैंक के अलावा एआईआईबी में भी आवेदन दिया गया है

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
सरकारी खजाने की आर्थिक सेहत पहले से ही खराब चल रही थी , कि कोरोना की मार पड़ने से उसकी स्थिति और खराब हो गई है। इसके बाद भी सरकार ने कांग्रेस से भाजपा में आकर सांसद बने श्रीमंत के प्रभाव वाले इलाकों में विकास को लेकर प्राथमिकता देने का तय किया है। इसके तहत उनके इलाकों में अगले दो सालों में एक सैकड़ा से अधिक सड़कें बनाने का निर्णय कर लिया है। खास बात यह है कि पैसा न होने की वजह से इन सड़कों के लिए सरकार ने कर्ज लेने का फैसला किया है। यह कर्ज विश्व बैंक के अलावा एआईआईबी से लिया जाएगा। दरअसल यह सब श्रीमंत को खुश करने के लिए किया जा रहा है। यह बात अलग है कि सरकार द्वारा जिन जिलों में नई सडकें बनाने की योजना तैयार की गई है उनमें प्रदेश के 22 जिले शामिल हैं। इन जिलों के चयन में भी श्रीमंत के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल के जिलों को प्राथमिकता दी गई है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक यह सड़कें गांव और पंचायतों को आसपास के शहरों से जोड़ने के उद्देश्य से बनाई जा रही हैं। जिसमें जिला व विकासखंड मुख्यालय शामिल है। फिलहाल इन सडकों पर 185 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। यह राशि विश्व बैंक के अलावा एआईआईबी से बतौर कर्ज लेने के लिए आवेदन भी दिया जा चुका है। सरकार को अब उसकी स्वीकृति का इंतजार है। इन सड़कों के निर्माण का काम एमपीआरडीसी द्वारा किया जाएगा। फिलहाल इस वित्त वर्ष में अब तक सरकार द्वारा कोई कर्ज नहीं लिया गया है। एमपीआरडीसी के द्वारा तैयार किए गए प्लान के मुताबिक यह नई सडकें चार लेन की होंगी। खास बात यह है कि इनमें सबसे अधिक सड़कों का निर्माण गुना जिले में किया जाना है। गुना जिले की कुल 68 सड़कों को स्वीकृति दी गई है। इसी तरह से शिवपुरी जिले की 37 सड़कों के निर्माण को सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इन सड़कों का निर्माण सात चरणों में किए जाने की योजना है। इन सभी सड़कों को दो साल में पूरा करने की योजना तैयार की जा रही है। दरअसल यह दोनों ही जिले श्रीमंत के अलावा उनकी बुआ के कार्यक्षेत्र वाले जिले हैं। इनमें से शिवपुरी का प्रतिनिधित्व प्रदेश में उनकी बुआ यशोधरा राजे द्वारा किया जाता  है और गुना संसदीय सीट से स्वयं श्रीमंत चुनाव लड़ते हैं। श्रीमंत बीता लोकसभा चुनाव इसी इलाके से अपने ही एक चेले से हार गए थे।
दमोह जिले के खाते में नहीं आयी कोई भी सड़क
खास बात यह है कि इस प्रस्ताव में दमोह जिले की किसी भी सड़क को शामिल नहीं किया गया है, जबकि इस जिले में भी सड़कों की हालत बेहद खराब है। यही नहीं चुनाव प्रचार के दौरान भी सरकार द्वारा जिले में पानी उपलब्ध कराने के साथ ही सड़कों की कनेक्टिविटी बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन चुनाव परिणाम प्रतिकूल आने के बाद से उसकी उपेक्षा का खुलासा हुआ है। खास बात यह है कि दमोह जिले से लंबे समय से सड़कों के निर्माण की मांग की जा रही है।
इन जिलों के खाते में आयीं सड़कें
प्रदेश के जिन 22 जिलों में नई सड़कें बनाने का फैसला किया गया है उनमें कटनी, मंदसौर, रायसेन, सीधी, उमरिया और राजगढ़ जिले शामिल हैं। यह वे जिले हैं जिनमें लंबे समय से पंचायत स्तर पर सड़क सुधार की मांग की जा रही थी, लेकिन बजट के अभाव में इनका काम ही शुरू नहीं हो पा रहा था। दरअसल इन जिलों के ग्रामीण इलाकों में सड़कों की हालत बेहद खराब है।

Related Articles