
- दिए जाएंगे नए पट्टे….
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। आवासहीन बनकर पट्टा माफिया के रुप में काम करने वाले लोगों पर अब शिवराज सरकार शिकंजा कसने जा रही है, दरअसल यह वे लोग हैं जो गरीबों के हक पर डाका डालने का काम करते हैं। इसकी वजह से सरकार को नुकसान के साथ बदनामी का सामना भी करना पड़ता है। इसके साथ ही सरकार उन गरीबों को भी एक बार फिर से पट्टा देने की तैयारी कर रही जो सरकारी जमीन पर अपना आवास बनाकर अवैध रुप से रह रहे हैं। सरकार द्वारा यह कदम चुनावी फायदे के लिए उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश के शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में झुग्गी माफिया सक्रिय है, जो सरकारी जमीनों पर झुग्गी बनाकर बेचने का काम करता है। यह माफिया पट्टे को दान पत्र या फिर सौ रुपए के स्टांप पर बेंचकर दूसरी जगह नई झुग्गियां बना लेता है। इनमें ऐसे लोग भी बड़ी संख्या में हैं जिन्हें, सरकार द्वारा आवास योजना के तहत मकान दिए जा चुके हैं , लेकिन वे उसे भी बेंचकर फिर झुग्गियों में रहने लगे हैं। दरअसल सरकार की पट्टा देने की नीति ही इन माफियाओं को फायदे वाली योजना बनी हुई है। इसमें उन्हें नेताओं व स्थानीय अफसरों का भी सहयोग मिलता है। हद तो यह है कि यह झुग्गियां शहरों की बेशकीमती जमीन पर तान ली जाती हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा की निकाली जा रही विकास यात्राओं में पट्टा देने की लगातार घोषणाएं की जा रही है , जिसके चलते एक बार फिर झुग्गी माफिया तेजी से सक्रिय हो रहा है। गौरतलब है कि पिछली बार जमीन का मालिकाना हक देने के लिए कट ऑफ डेट 31 दिसंबर 2014 थी, इसे बढ़ाकर अब 31 दिसंबर 2020 भी किया जा रहा है। इसके लिए विभागीय स्तर पर तैयारी की जा रही है। इस बार पट्टा देने से पहले होने वाले सर्वे में नया प्रावधान भी जोड़ा जाएगा। इसमें यह होगा कि पूर्व के पट्टाधारियों ने यदि किसी को जमीन बेची हो, किराए पर दी हो या ट्रांसफर की हो तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं ऐसे लोगों से पट्टा भी वापस लिया जा सकता है। इसके अलावा किसी ने गलत तरीके से जमीन पर कब्जा किया है या आदतन है तो उससे भी जमीन वापस ली जाएगी। यह भी ध्यान रखा जाएगा कि सरकारी भूमि भी सुरक्षित रहे। विभागीय स्तर पर हुई तैयारी को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सर्वे की कार्यवाही प्रारंभ होगी। इसी में सामने आएगा कि दिसंबर 2020 तक शहरी क्षेत्रों की कितनी जमीन पर नए कब्जे हो गए हैं।
50 फीसदी तक बढ़ोतरी होगी….
शासकीय भूमि पर कब्जों की संख्या भी अब बढ़ सकती है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रदेशभर में जितने भी शासकीय भूमि पर कब्जे थे, उनकी संख्या 50 हजार के करीब थी। अब यह संख्या 50 फीसदी तक बढऩे की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा कब्जाधारी को यह दावा भी करना पड़ेगा कि वह 2020 से पहले का है। इस दावे की स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका के स्तर पर जांच की जाएगी। इसकी रिपोर्ट के बाद जिला प्रशासन द्वारा फैसला किया जाएगा। कब्जेधारी को अधिकतम 450 वर्ग फीट की जमीन का पट्टा दिया जाएगा। गुलाबी पट्टा 30 साल के लिए होगा, जबकि पीला पट्टा अस्थायी होगा जो दो साल के लिए मान्य होगा।
सरकारी जमीन पर बने मकान
पुरानी कट ऑफ डेट दिसंबर 2014 से लेकर अभी तक पट्टों का वितरण नहीं हुआ है। यदि कट ऑफ डेट छह साल बढ़ाकर 2020 की जाती है तो कब्जेधारियों की यह संख्या अकेले राजधानी में ही 20 हजार के करीब पहुंच सकती है। शहर में करीब डेढ़ दर्जन ऐसे इलाके हैं, जहां कच्चे व पक्के मकान सरकारी जमीन पर कब्जा कर बन गए हैं। दरअसल, पट्टे के नियमों में कोई प्रीमियम नहीं लिया जाता है। सिर्फ मामूली विकास शुल्क लिया जाता है।