
– हर साल औसतन 25 फिल्म और वेब सीरीज की हो रही शूटिंग
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। उद्योगपतियों के बाद अब मप्र फिल्म निर्माताओं की पसंद भी तेजी से बनता जा रहा है। यही वजह है कि करीब सत्तर साल बाद अब प्रदेश में हर साल औसतन दो दर्जन से अधिक फिल्मों व वेब सीरीज की शूटिंग होने लगी है। इसकी वजह से अब प्रदेश में नए रोजगार के दरवाजे तो खुले ही हैं, साथ ही प्रदेश की जीडीपी में भी वृद्धि में मदद मिलने लगी है। दरअसल इसकी वजह है प्रदेश में मौजूद रमणीक स्थल, अच्छी मेजबानी की पंरपरा, तमाम विविधता और अनुकूल सरकारी नीतियां।
अगर सरकारी दावों पर भरोसा करें तो बीते पांच सालों में प्रदेश के विभिन्न इलाकों में कुछ अंतरराष्ट्रीय सहित 175 से अधिक फिल्मों, ओटीटी (ओवर द टॉप) श्रृंखला और टेलीविजन शो के दृश्यों की शूटिंग की जा चुकी है। फीचर फिल्मों से लेकर तेजी से बढ़ते ओटीटी प्लेटफॉर्म पर शो से लेकर टीवी कार्यक्रमों तक के लिए अब मप्र एक लोकप्रिय शूट डेस्टिनेशन बन चुका है। गौरतलब है कि प्रदेश में पहली फिल्म की शूटिंग 1952 में हुई थी। अब प्रदेश सरकार ने फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने में काफी संभावनाएं नजर आने के बाद इसको लेकर नीतियां बनाने और फिल्म और शो निर्माताओं को प्रोत्साहन देने का काम शुरू किया गया, जिसके अच्छे परिणाम अब सामने आने लगे हैं। इस मामले में प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला का कहना है कि प्रदेश में बड़े प्रोडक्शन हाउस से टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए शूट की गई फिल्मों और श्रृंखलाओं की संख्या पहले कम थी, संभवत: शो-बिज उद्योग के लिए कोई नीति नहीं होना इसकी प्रमुख वजह थी, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं । उनका कहना है कि बीते माह ही प्रदेश में विस्तारम, महल, हरिओम और बफर जोन सहित पांच फिल्मों/टीवी श्रृंखलाओं की शूटिंग शुरू हुई। उनका कहना है कि अब प्रदेश में न केवल बॉलीवुड या दक्षिणी फिल्म उद्योग के निर्माता, यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय निर्देशकों ने भी राज्य के विभिन्न स्थानों में शूटिंग के लिए अत्यधिक रुचि दिखाई है। सीक्वेंस ऑफ लायन, ऑस्ट्रेलियाई गर्थ डेविस द्वारा निर्देशित एक फिल्म, जिसने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते, को मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर फिल्माया गया था। सरकार फिल्म पर्यटन नीति-2020 के तहत फिल्म निर्माताओं को दो करोड़ रुपये तक की सब्सिडी भी प्रदान करती है, जो विभिन्न मानदंडों को पूरा करने के आधार पर, अधिक निर्माताओं और निर्देशकों को एमपी में अपनी परियोजनाओं को लाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
ऑस्कर नामित फिल्म की भी हो चुकी है शूटिंग
2016 की ऑस्कर-नामांकित फिल्म एक युवा भारतीय लड़के के बारे में है, जो अपने भाई और मां से अलग हो जाता है। वह अपने घर से 1,000 मील दूर होता है और फिर एक ऑस्ट्रेलियाई परिवार द्वारा उसे गोद ले लिया जाता है। मध्य प्रदेश में शूट की गई अन्य अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में टीवी श्रृंखला शांताराम (द बीयर) और मीरा नायर द्वारा निर्देशित टेलीविजन नाटक क्वए सूटेबल बॉय शामिल हैं। नायर की फिल्म काम सूत्र: ए टेल ऑफ लव की शूटिंग दो दशक पहले राज्य में हुई थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रोलां जोफ द्वारा निर्देशित पिवोट पिक्चर्स एलएलसी की व्हाइट टाइगर, कैलिफोर्निया एलए और द लवर्स जैसी अंग्रेजी फिल्मों की भी पिछले पांच वर्षों के दौरान राय में शूटिंग की गई थी। प्रदेश ने अब राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर फिल्म हितैषी राज्य की छवि बनाई है । ओरछा, मांडू, महेश्वर, उज्जैन और चंदेरी जैसे लोकप्रिय गंतव्य और भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रायसेन और सीहोर के आसपास के बेरोजगार क्षेत्र फिल्म निर्माताओं के लिए पसंदीदा शूटिंग स्थल बन गए हैं।
पहली फिल्म थी ऑन
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश 1956 में अस्तित्व में आया था। इसके बाद राजगढ़ जिले के सुरम्य नरसिंहगढ़ शहर में प्रसिद्ध दिलीप कुमार की फिल्म आन (1952) के दृश्यों की शूटिंग की गई थी। तब से प्रदेश में 500 से अधिक शो-बिज परियोजनाओं की शूटिंग की गई है। इसके बाद से तो राजनीति, अशोका, शेरनी, गुल्लक, पंचायत, प्यार किया तो डरना क्या, दुर्गामती , छोरी, निर्मल पाठक की घर वापसी , जनहित में जरी, मोतीचूर चकनाचूर ., कलंक, गंगाजल-2, रिवॉल्वर रानी, तेवर, दबंग-2, बाजीराव मस्तानी, मोहनजो दारो, यमला पगला दीवाना, स्त्री, सुई धागा और पैडमैन के अलावा कई अन्य प्रमुख फिल्मों व बेबसीरीज की शूटिंग प्रदेश में हो चुकी है। यही नहीं कोरोना महामारी के बाद भी प्रदेश में दो वर्षों में प्रदेश में लगभग 100 फिल्मों, वेब श्रृंखलाओं और टीवी शो की शूटिंग की गई है।