
– अंदरूनी तौर पर पार्टी का एक बड़ा धड़ा नहीं चाहता था दमोह में राहुल लोधी की जीत
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। तमाम प्रयासों व पूरी ताकत झोंकने के बाद भी भाजपा दमोह विधानसभा सीट बुरी तरह से हारने को मजबूर हो गई। इस हार को पार्टी संगठन भूलने को तैयार नही है। यही वजह है कि अब पार्टी संगठन उन जयचंदों की तलाश में लग गया है जिनकी वजह से पार्टी को अपने ही इस गढ़ में बुरी तरह से हार स्वीकार करनी पड़ी है। यह बात अलग है कि पार्टी कार्यकर्ता से लेकर आम मतदाता तक भाजपा द्वारा राहुल लोधी को पार्टी में लेकर उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज थे। इसकी वजह से हार तो पहले से ही तय मानी जा रही थी। उधर इस मामले में चुनाव परिणाम प्रतिकूल आने के बाद से ही पार्टी में मुंहवाद का दौर चल रहा है। इस बीच संगठन स्तर पर इस हार की वजहों को तलाशने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके तहत चुनाव में जिम्मेदारी संभालने वाले सभी नेताओं से जानकारी ली गई है।
इनमें जिलाध्यक्ष प्रदीप लोधी, चुनाव प्रभारी गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी शामिल हैं। यही नहीं इस मामले में पार्टी प्रत्याशी राहुल लोधी और जयंत मलैया से भी जानकारी हासिल की गई है। दरअसल 17 हजार मतों से हारने के बाद राहुल लोधी ने खुलकर इसके लिए जयंत मलैया के परिवार को दोषी बता दिया था।
इसके पार्टी ने बेहद गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि बीते रोज इस मामले में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा संगठन महामंत्री सुहास भगत और सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा के बीच लंबी मंत्रणा हुई। यही नहीं इस मामले में शर्मा द्वारा पूर्व में भी प्रहलाद पटेल से भी एक बार चर्चा हो चुकी है। दरअसल इस सीट पर जीत के लिए संगठन ने पूरी ताकत लगा रखी थी। इसके बाद भी पार्टी को यहां पर 17 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा है।
फिलहाल इस हार को लेकर पार्टी के तमाम नेताओं में सिर फुटव्वल की स्थिति बनी हुई है। यही नहीं इस हार को वीडी शर्मा द्वारा व्यक्तिगत रूप से गंभीरता से लेने की भी बात कही जा रही है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि जिला स्तर पर संगठन में एक दो दिन में बड़ा फेरबदल किया जा सकता है। यही नहीं अब पार्टी संगठन हर हाल में उन लोगों की तलाश कर रहा है जिसकी वजह से हार का सामना करना पड़ा है।
नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में थी नाराजगी
दरअसल लोधी को पार्टी में लेने से लेकर उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर न केवल कार्यकर्ताओं में बल्कि कई बड़े नेताओं में भी नाराजगी बनी हुई थी। इन सभी को पार्टी द्वारा लोधी को लेकर लिए जाने वाले निर्णय रास नहीं आ रहे थे , जिसकी वजह से उनके द्वारा महज दिखावे के लिए ही काम किया जा रहा था। इसके इतर स्वयं वीडी शर्मा और उनकी टीम लगातार दमोह में डेरा डालकर हर हाल में लोधी की जीत तय करने के प्रयास में लगे हुए थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि लोधी की हार की एक बड़ी वजह पार्टी के अंदर जारी गुटबाजी भी रही। लोधी को प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का बेहद करीबी माना जाता है। इस वजह से पार्टी का एक गुट नहीं चाहता था कि लोधी जीतें।