अब राशि ठगने के लिए धोखेबाज ले रहे चेक क्लोनिंग का सहारा

चेक क्लोनिंग
  • ठग बकायदा फर्जी चेक तैयार करते हैं और उसका उपयोग कर संबंधित खाते से अपने खातों में रकम जमा करा लेते हैं…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    अब तक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के विकल्पों का उपयोग करने वाले धोखेबाजों ने अब ठगी के लिए नया तरीका खोज लिया है। अब वे इसके लिए चेक क्लोनिंग का सहारा ले रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा फर्जी चेक तैयार करते हैं और उसका उपयोग कर संबंधित खाते से राशि अपने खातों में जमा करा लेते हैं।
    यह वे चैक होते हैं जो रखे तो आपके घर में ही रहते हैं, लेकिन उसका उपयोग धोखेबाज कर लेते हैं। पूर्व में ऐसे लोगों द्वारा आॅनलाइन माध्यम का उपयोग करने वाले खातों को ही बनाया जाता था, लेकिन अब उसमें अतिरिक्ति सावधानियां बरतने की वजह से ठगी का यह नया तरीका खोज लिया गया है। खास बात यह है कि इस तरह की धोखाधड़ी करने वाले लोगों द्वारा आम आदमी तो ठीक प्रदेश के वीआईपी माने जाने वाले लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है। इसी तरह की ठगी का शिकार कुछ दिनों पहले प्रदेश के पूर्व पर्यटन मंत्री एवं वर्तमान कांग्रेस विधायक सुरेन्द्र सिंह बघेल भी हो चुके हैं। उनके द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए चेक से भुगतान किया गया था। उसके बाद उनके द्वारा दिए गए चेक का फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दिया गया था। इसका फायदा उठाते हुए ठगों ने उनके बैंक, खाता नंबर, चेक सीरिज की जानकारी हासिल कर ली और उसके बाद चेक का क्लोन तैयार कर तीन बार में अलग-अलग जगहों से डेढ़ लाख रुपए निकाल कर चपत लगा दी। इसी तरह से हद तो यह हो गई कि इस तरह के अपराधियों ने छह माह पहले कोहेफिजा निवासी किसान अब्दुल गफूर खान के खाते से 48 लाख रुपए निकाल लिए। यह राशि उनके द्वारा जमीन बेचने पर मिली थी , जिसे उनके द्वारा खाते में जमा करा दिया गया था। उनका यह खाता यूको बैंक में है। खास बात यह है कि वे इंटरनेट बैंकिंग या एटीएम का उपयोग नहीं करते हैं। यह राशि उनके खाते से निकलने से पहले अचानक 17 दिसम्बर को उनकी सिम बंद हो गई, इस बीच तीन अलग-अलग चैक से यह राशि निकाल ली गई।
    यूवी लाइट से भी नहीं चल पाता असली नकली का पता
    फर्जी चेक होने का पता यूवी लाइट से भी नहीं चलता है। इसकी वजह है उनका हूबहू असली चेक की तरह होना। इन्हें असली चेक से ही बनाया जाता है। अंतर इतना होता है कि जिस चैक का क्लोन तैयार किया जाता है उस पर प्रिंट खाता और सीरीज बदली होती है। खाताधारक के चेक उसकी चेक बुक में ही रह जाते हैं, जबकि ठग उन्हीं के क्लोन बनाकर खाता से रकम निकाल लेता है। खास बात यह है कि अधिकांश मामलों में यह बदमाश 50 हजार रुपए से कम की राशि ट्रांसफर करते हैं, जिससे कि संबंधित उपभोक्ता के पास फोन पर संदेश नहीं जाए। अगर अधिक राशि निकालना होती है तो फिर उनके द्वारा उपभोक्ता का मोबाइल तक बंद करा दिया जाता है। यह लोग इसके लिए खाताधारक के चेक की जानकारी की तलाश में लगे रहते हैं। सोशल मीडिया पर डाली चेक की फोटो या फायदे दिलाने जैसे किसी अन्य बहाने से बैंक अकाउंट नंबर, चेक की सीरीज और ग्राहक के बैंक में हस्ताक्षर प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद उनके द्वारा इस जानकारी के आधार उसी बैंक में खुले फर्जी नाम के खाते पर जारी कराई गई चेक बुक के असली चेक से एक चेक लेकर शिकार के चेक का क्लोन बनाया जाता है। इसमें चेक के क्रमांक और खाते नंबरों को बेहद सफाई से बदला जाता है। इसके बाद  क्लोन वाले चैक पर खाताधारक के हूबहू हस्ताक्षर कर चेक से राशि दूसरे खाते में ट्रांसफर कर ली जाती है।
    यह सावधानियां जरुरी  
    इस तरह की ठगी का शिकार होने से बचने के लिए चेक की फोटो सोशल मीडिया पर नहीं डालें, इससे अनजान व्यक्तियों तक बैंक, अकाउंट नम्बर, चेक की सीरिज और आपके बैंक में हस्ताक्षर जैसी जानकारी जाने से बच जाएगी। अगर बेहद जरुरी हो तो फोटो में से खाता नंबर, चैक की सीरीज और चेक पर किए हस्ताक्षर को ब्लर कर दें। इसी तरह से बैंकिंग जानकारियां गोपनीय रखें और किसी अनजान व्यक्ति की स्कीम या लालच में आकर अपना कैंसिल चेक उसे कतई ना दें। इसी तरह से बैंक खातों में  अपने अलग हस्ताक्षरों का भी उपयोग किया जा सकता है।

Related Articles