
- आदिवासी वोट बैंक को आकर्षित करने मुख्यमंत्री ने चलाए जमावट के तीर …
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में 32 लाख से अधिक वनवासियों को साधन संपन्न बनाने के लिए सरकार तेंदूपत्ता संग्रहण की नई नीति लाने जा रही है। इस नीति के तहत अगले साल से तेंदूपत्ता की नीलामी अब सरकार नहीं बल्कि वन समितियां करेंगी। माना जा रहा है कि इससे तेंदूपत्ता संग्राहकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
वहीं जानकारों का कहना है की इस नीति के सहारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिशन 2023 की तैयारी शुरू कर दी है। गौरतलब है कि मप्र में आदिवासी समाज बड़ा वोट बैंक हैं। आज भी प्रदेश में यह वर्ग के अधिकांश लोग वनोपज पर आश्रित हैं। इसलिए मुख्यमंत्री ने इस वर्ग को साधने की कोशिश शुरू कर दी है ताकि विधानसभा चुनाव 2023 में इन्हें भाजपा की ओर आकर्षित किया जा सके।
तेंदूपत्ता संग्राहकों को भी आर्थिक फायदा
गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल औसतन 16 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित होता है। इसके लिए करीब 900 समितियां काम करती हैं। तेंदूपत्ता से संघ को लगभग एक हजार करोड़ का लाभ होता है। इस राशि का काफी हिस्सा बोनस के तौर पर संग्राहकों को दिया जाता है। जैसा की सीएम ने नई पॉलिसी लाने के संकेत दिए हैं, इससे वन समितियों की आय में इजाफा होगा ही साथ ही तेंदूपत्ता संग्राहकों को भी आर्थिक फायदा होगा। प्रदेश में करीब 32 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक हैं। उम्मीद की जा रही है कि नई नीति तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए लाभकारी होगी।
एमएसपी पर होगी महुआ की खरीदी
तेंदूपत्ता संग्रहण और नीलामी की नई नीति के साथ ही सरकार महुआ को एमसीपी पर खरीदने की तैयारी कर रही है। इसके संकेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहते हुए दिए हैं कि सरकार महुआ को एमएसपी पर लेने पर विचार कर रही है। इसके बाद से लघु वनोपज सहकारी संघ ने महुआ से बने उत्पादों को बढ़ावा देने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार का बड़ा फोकस अब महुआ उत्पादन और अचार-गुठली पर भी है। केन्द्र सरकार की योजना अनुसार प्रदेश में 86 वनधन केन्द्र शुरू किए गए हैं। इन केंद्रों में महुआ के लड्डू आदि बनाए जा रहे है, जो पसंद भी किए जा रहे हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने महुआ को एमएसपी पर खरीदने की बात कही है। हालांकि सरकार ने महुआ का एमएसपी 35 रुपए किलो तय किया है।
प्रदेश में तेंदूपत्ता से ज्यादा होता है महुआ
मप्र राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह कहते हैं प्रदेश में महुआ उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी हैं। तेंदूपत्ता से ज्यादा महुआ होता है। यह जंगल और जंगल के बाहर भी होता है। केन्द्र सरकार की योजना वनधन है। इसके तहत प्रदेश में 86 केंद्र शुरू किए गए हैं। कई और प्रारंभ करेंगे। महुआ के प्रसंस्करण केन्द्र बढाएंगे। इससे संग्राहकों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। तेंदूपत्ता नीलामी को लेकर नई नीति बनाना शासन स्तर पर होता है।
सरकार का चुनावी कदम
सरकार के इस कदम को कांग्रेस चुनावी शगूफा बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के पहले तेंदूपत्ता संग्राहकों को पानी की बॉटल, जूते- चप्पल और साड़ी उपलब्ध कराई गई थीं। इसी तर्ज पर आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य तौर पर आदिवासियों को साधने की तैयारी है। इधर, विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि अगर समितियां तेंदूपत्ता नीलाम करेंगी तो इसके पहले उन्हें खरीदने के लिए एडवांस में पैसे चाहिए। क्योंकि पत्ता का भुगतान तुरंत होता है। उनके पास गोदाम भी नहीं हैं। पत्ता, ठेकेदार खरीदते हैं अगर उन्होंने किसी समिति का पत्ता नहीं खरीदा तो आर्थिक नुकसान हो सकता है। समितियां अलग-अलग टेंडर कैसे जारी करेंगी। इस बारे में विभाग का कोई अधिकारी जानकारी देने को तैयार नहीं है।