अब ड्रोन से किसान करेंगे फसलों पर दवा का छिड़काव

ड्रोन
  • प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित हैं

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने की कोशिश में जुटी है। इसके लिए कई तरह की स्कीम भी चलाई जा रही हैं। अब सरकार नई ड्रोन पॉलिसी लेकर आई है। इसके तहत किसान खेतों में कीटनाशक और उर्वरकों का छिड़काव ड्रोन से कर सकते हैं। इसका बीते दिनों जबलपुर में सफल परीक्षण भी हो चुका है। यही नहीं सरकार किसानों को किराए पर ड्रोन भी उपलब्ध कराएगी। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। गौरतलब है कि मप्र में खेती-किसानी के प्रति सरकार समर्पित है। अब कृषि में आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसमें किसानों को फसल में खाद और कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए ड्रोन किराए पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेज दिया है। अनुमति मिलते ही कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित करने वालों को ड्रोन खरीदने के लिए योजना के प्रावधान के अनुसार अनुदान भी उपलब्ध कराया जाएगा। इससे जहां किसानों का खाद और कीटनाशक के छिड़काव में लगने वाला समय बचेगा और मात्रा भी कम लगेगी।
    तरल नैनो यूरिया को प्रोत्साहन
    खेती को लाभकारी बनाने के लिए कृषि विभाग अब दानेदार यूरिया की जगह तरल नैनो यूरिया को प्रोत्साहित कर रहा है। यह दानेदार यूरिया की तुलना में कम लगती है। अभी अधिकतर किसान इस तरह के जैविक खाद और कीटनाशक का छिड़काव स्प्रे पंप से करते हैं। इसमें काफी समय लगता है। केंद्र सरकार कृषि क्षेत्रों में यंत्रीकरण को प्रोत्साहित कर रही है। कुछ जगहों पर ड्रोन से छिड़काव होने लगा है। इसमें समय और खाद की बचत भी होती है। इसे देखते हुए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने केंद्र सरकार को कृषि यंत्रीकरण के सबमिशन के तहत हाइटेक हब की स्थापना कार्यक्रम में ड्रोन को शामिल का प्रस्ताव भेजा है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि हाल ही में जबलपुर में ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन देखा है। यह किसानों के हित की तकनीक है। इसे प्रदेश में भी अपनाया जाएगा। कृषक उत्पादक समूह यदि कृषि अधोसंरचना निधि के तहत इसका प्रोजेक्ट तैयार करते हैं तो उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
    कम पानी के साथ-साथ कम लागत
     इस तकनीक के माध्यम से किसान कम पानी के साथ-साथ कम लागत में अच्छी फसल का पैदावार कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि एग्री ड्रोन के माध्यम से एक एकड़ क्षेत्र में 20 मिनट के समय में छिड़काव किया जा सकता है। इसके लिए मात्र 20 लीटर पानी की जरूरत पड़ेगी। वहीं, हाथ से चलाने वाले पंप से छिड़काव करने पर एक एकड़ के लिए 400 से 500 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। संचालक कृषि अभियांत्रिकी राजीव चौधरी ने बताया कि कृषि यंत्रीकरण के सबमिशन के तहत हाइटेक हब की स्थापना के कार्यक्रम में नए यंत्रों को प्रोत्साहित किया जाना है। इसमें ड्रोन को शामिल करने का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। एक ड्रोन लगभग सात से आठ लाख रुपये में पड़ेगा। प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित हैं। इनके माध्यम से किसानों को ड्रोन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। एक कस्टम हायरिंग सेंटर में तीन से पांच ड्रोन की यूनिट बनाई जाएगी। इसके संचालन और किराया का निर्धारण शासन स्तर से किया जाएगा।

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