अब फसल की सिंचाई करना किसानों को पड़ेगा भारी

 सिंचाई

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। किसानों की आय दुगनी आय करने के दावे और वादे करने वाली प्रदेश की शिव सरकार अब किसानों की फसल सिचाई मंहगी करने जा रही है। इसकी वजह से किसानों को अब सिंचाई के रुप में छह गुना तक अधिक राशि का भुगतान करना पड़ेगा। इसकी वजह से किसानों की फसल लागत में वृद्धि होना तय है।
दरअसल प्रदेश सरकार सिचाई सुविधाओं में तो वृद्धि कर रही है, लेकिन उसकी राशि भी किसानों से वूसलने की तैयारी की जा रही है।  यह बात अलग है कि अभी यह दर राजगढ़ ब्यावरा जिले में शुरू की गई दो सिंचाई परियोजनाओं के लिए तय की गई हैं। इनमें कुंडालिया और मोहनपुरा परियोजना शामिल है। अभी केवल कुंडालिया बांध से कुछ क्षेत्रों में पाइपलाइन के जरिए सिंचाई की जा रही है। प्रदेश की कुंडलिया, मोहनपुस, सुठालिया, पार्वती आदि 22 से ज्यादा बांधों में सिंचाई अब नहरों की अपेक्षा पाइपलाइन से होगी। इस साल से कुंडालिया बांध के कुछ क्षेत्रों में पाइप से किसानों को पानी पहुंचाया गया। इन बांधों से करीब सवा लाख हेक्टेयर में सिंचाई प्रस्तावित है। अगले वर्ष तक इसे ढाई लाख करने की तैयारी है। कुंडलिया में पाइप लाइन बिछाई जा रही है, तो मोहनपुरा में टंकियों का निर्माण चल रहा है। इसके बाद इलाके में सिंचाई दर 2 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर कर उनसे अधिक जलदर वसूलने की तैयारी की जा रही है। इस मामले में ब्यावरा तहसील के ग्राम बारमा के कृषक हरप्रसाद दांगी का कहना है कि अभी तक हमें सिंचाई के लिए कूप और नलकूप पर निर्भर रहना पड़ता था। अब कुंडालिया और मोहनपुरा परियोजना के आने से राहत मिलेगी। हालांकि अन्य किसानों का कहना है कि मोहनपुरा बांध से पाइपलाइन तो डाली गई है, लेकिन सिंचाई के लिए हमें पानी अभी तक नहीं मिला है। हमारे क्षेत्र में गेहूं, चना और सोयाबीन की फसल होती है। यदि सरकार 2 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर जलदर की राशि वसूलेगी तो यह बहुत अधिक होगी इसकी वजह से फसल की लागत में वृद्धि होगी। हालांकि सिंचाई विभाग का इसके पीछे अपना तर्क है। उनका कहना है कि इस राशि से ही पाइप लाइनों का भी रखरखाव किया जाएगा। इसे देखते हुए यह दर उन्हें अधिक नहीं लग रही है।
फिलहाल यह है सिंचाई दर
अभी खरीफ धान की फसल के लिए हर बार 85 रुपए हेक्टेयर की दर से पैसा लिया जाता है। इसके लिए पानी की जरूरत 4 से 5 बार पड़ती है। इसे देखें तो अभी महज 425 रुपए प्रति हेक्टेयर राशि देनी होती है। इसी तरह से कपास की फसल के लिए हर बार 70 रु.हेक्टेयर की दर से पैसा देना होता है। इस फसल के लिए भी चार से पांच बार पानी की जरुरत होती है। इस हिसाब से कुल 350 रु.प्रति हेक्टयेर की दर से पैसा देना होता है। अगर रबी फसल की बात की जाए तो इस मौसम में धान की फसल के लिए हर बार पानी देने पर प्रति हेक्टेयर 155 रुपए का भुगतान करना पड़ता है। इस हिसाब से पांच बार के 775 रुपए होते हैं। जबकि गेहूं की फसल के लिए पलेवा का 125 रुपए और हर बार पानी का 75 रुपए लगता है। इसके हिसाब से चार बार पानी का 350 रुपए होता है, जबकि धनिया, मूंगफली, मूंग, सरसों, तुअर सोयाबीन, के लिए 75 रुपए हेक्टेयर की दर से राशि देनी पड़ती है।  

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