
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम । प्रदेश में अवैध रुप से बड़ी संख्या में होने वाले अवैध निर्माणों को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग सख्त रुख अपना रहा है। यही वजह है की नगरीय प्रशासन संचालनालय ने सभी नगरीय निकायों से एक पखवाड़े के अंदर अवैध निर्माणों की पूरी जानकारी तलब की है। यही नहीं अब इसका पूरा जिम्मा इंजीनियरों का होगा। उन्हें अब हर स्तर पर इसकी मॉनीटरिंग भी करनी होगी। निमार्णाधीन विशेषकर बहुमंजिला एवं ऊंचे भवनों को तत्काल चिन्हित करना होगा। इसके लिए 20 सितंबर तक की समय सीमा तय होगी।
इस सबंध में नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त निकुंज कुमार श्रीवास्तव द्वारा सभी नगर निगमों के आयुक्त और मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं। इसवमें कहा गया है कि भवन अनुज्ञा जारी होने के बाद भवन का निर्माण, परमिशन एवं स्वीकृत मानचित्र के अनुसार हो रहा है या नहीं, यह देखना जरूरी है। मप्र भूमि विकास नियम 2012 में निर्माण के विभिन्न चरणों जैसे प्लिन्थ, लेंटर आदि स्तर के कार्य पूर्ण होने पर नगर पालिका के तकनीकी अमले द्वारा पर्यवेक्षण करने के प्रावधान हैं। इस पर पूरी तरह से अमल तय किया जाए। उन्होंने अवैध या अनुमति के अतिरिक्त निर्माण पाये जाने पर तुरंत कार्रवाई शुरू करने की भी हिदायत दी है।
अमला नहीं करता कार्रवाई
कमिश्नर ने नगरीय निकाय के अधिकारियों से कहा है, अक्सर यह देखने में आया है कि ऐसे कई भवन निर्मित, निमार्णाधीन है, जिनमें स्वीकृत एफएआर से अधिक एवं स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण किया गया है। अधिनियम में पर्याप्त प्रावधान होने पर भी नगरीय निकाय का अधिकृत अमला समय पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। इससे इस तरह के निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा भवन निर्माण पूर्ण होने पर भवन पूर्णता प्रमाण पत्र एवं अधिवास की अनुज्ञा प्राप्त किये। बिना ही भवनों को उपयोग में लाया जा रहा है जो अधिनियम का उल्लंघन है। ऐसे भवन एवं इनके अनाधिकृत उपयोग से अग्नि दुर्घटनाओं की आशंका भी रहती है।
हर माह देना होगी रिपोर्ट
कमिश्नर ने अवैध निमार्णाधीन भवनों को चिन्हित करने और कार्रवाई की पहली रिपोर्ट 20 सितंबर तक संचालनालय को भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा हर माह की 7 तारीख तक पिछले माह की कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने के निर्देश भी दिए हैं। यह निर्धारित फॉर्मेट में संचालनालय के कालोनी सेल के ई मेल पर भेजनी होगी। दरअसल नगर निगम, पालिका और नगर परिषद क्षेत्रान्तर्गत भवन निर्माण की अनुज्ञा प्रदान की जाती है। बिल्डिंग परमिशन में मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के उपबन्धों एवं मप्र भूमि विकास नियम 2012 के सभी प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है। इसी तरह भवन निर्माण पूरा होने पर पूर्णता प्रमाण पत्र तथा भवन के अधिभोग की अनुमति लेना भी जरूरी है।