
- प्रदेश में सेवा का शुभारंभ, पहले चरण में 1200 वाहन शुरू हुए
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 14 अगस्त को डायल-112 के फ्लैग ऑफ किया। इसके साथ ही प्रदेशभर में 1200 वाहनों ने दौडऩा शुरू कर दिया। बता दें कि प्रदेश में डायल-100 का नाम बदलकर डायल-112 कर दिया गया है। डायल-112 देश के कदम के साथ कदम मिलाने का काम करेगा। मिनिमन गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के लिए यह जरूरी भी है। स्मार्ट सिटी और अन्य स्थानों पर लगे कैमरों से भी पुलिस जुड़े। पुलिस के नवाचार हों। राजधानी में वीआईपी मूवमेंट के समय होने वाली चेकिंग के दौरान मेरे द्वारा डोम द्वार बनाकर जांच की सुविधा देने के लिए कहा गया है। इससे पुलिस की वर्किंग एफिसिएंशी और बढ़ेगी।
गौरतलब है कि छह वर्ष की प्रतीक्षा के बाद पुलिस सहायता के लिए नए डायल-112 वाहन दौडऩे लगे। एक सप्ताह में पूरे प्रदेश में 1200 नए वाहन सडक़ों पर होंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ने कहा कि पुलिस को हमारी तरफ से पूरी छूट है। अगर कोई गलत करता है तो ठोस कार्रवाई करें। सरकार आपके साथ खड़ी रहेगी। हम इसमें पीछे हटने वाले नहीं हैं। देश विरोधी ताकतों या माओवाद के उन्मूलन में पुलिस जो चाह रही है, हम छूट दे रहे हैं। जितने भी जवान चाहिए मिलेंगे, बस यही चाहता हूं कि विभाग अपना काम अच्छे से कर ले। मध्य प्रदेश पुलिस का देश भर में नाम हो।
मेरी तरफ से पुलिस को पूरी छूट
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई गलत काम करता है और कानूनी रूप से कार्यवाही की स्थिति है तो मेरी ओर से पुलिस को पूरी छूट है कि वह खुलकर कार्रवाई करे। पुलिस को जितने जवान चाहिए, सरकार उसके लिए भी काम करने को तैयार है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वैसे तो मुझे गुस्सा कम आता है, लेकिन पुलिस अधिकारी डायल-100 के एक्सटेंशन के लिए बार-बार फाइल लाते थे कि इसे छह महीने बढ़ा दो, तीन महीने बढ़ा दो। इसलिए मैंने फाइनल डेट तय की और पुलिस के मुखिया ने इसे कर दिखाया। जब बजट बढ़ाने की बात आई तो 50 प्रतिशत बजट बढ़ा दिया और 1084 करोड़ के बजट को मैंने 1500 करोड़ तक कर दिया। हालांकि पुलिस अफसरों ने इसकी सीमा के अंदर ही काम कराया है।
घर के सामने पुलिस आए तो लोग अच्छा नहीं कहते
किसी के घर के आगे पुलिस आए यह अच्छा नहीं लगता है। समाज को स्व-अनुशासित रहने का स्वभाव है, लेकिन समाज की व्यवस्था में पुलिस का होना जरूरी है। पुलिस की तत्परता के साथ ताकत बढ़ जाए तो यह समाज के लिए और बेहतर बात है। सीएम यादव बोले कि जब 2015 में डायल-100 योजना शुरू हुई तो मुझे यही लगा था कि टीआई साहब मजे करेंगे और गई गाड़ी गड्ढे में, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तकनीकी और व्यवस्था के साथ जो आवश्यकता तय की गई थी, वह सफल हुई, यह पुलिस के लिए गर्व की बात है।
डायल-112 पुलिस की तत्परता बढ़ाने की पहल
यादव ने कहा है कि डायल 112 पुलिस की तत्परता बढ़ाने की नई पहल है। यह आपातकालीन नंबर सुरक्षित समाज के ईको सिस्टम का आधार बनेगा। यह नंबर प्रदेशवासियों के लिए पुलिस की ओर से त्वरित प्रतिक्रिया का वादा और सहायता की जिम्मेदारी सिद्ध होगा।
ढाई माह में डायल-112 की तैयारी हुई पूरी
डीजीपी कैलाश मकवाना ने कहा कि आज का दिन गौरवशाली है। सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग द्वारा डायल 100 ने त्वरित सहायता देने का काम किया है। शुरुआत में एक हजार वाहन लगाए गए थे। कोविड लॉक डाउन में लाखों व्यक्तियों की सहायता डायल 100 ने दी। यह सेवा पांच साल के लिए शुरू की गई थी, लेकिन अलग-अलग कारणों से पांच साल का अतिरिक्त समय लग गया। इस योजना में 1200 वाहनों की डीपीआर जनवरी 2025 में मंजूर हुई थी। उन्होंने बताया कि 30 मई 2025 को इसके लिए वर्क आर्डर जारी हुआ और ढाई माह में इससे संबंधित सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई। मकवाना ने कहा कि मुख्यमंत्री ने साफ कहा था कि जब टाइमलाइन हो चुकी है तो पुराना सिस्टम क्यों ढो रहे हैं? मुख्य सचिव ने भी लगातार इसकी मॉनिटरिंग की। डायल 100 का एक्सटेंशन 15 अगस्त 2025 तक अंतिम रूप से तय किया गया था।
अलग-अलग मोबाइल एप की सुविधा
नए वाहनों में डेटा एनालिटिक्स, रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग, आमजन और पुलिस के लिए अलग-अलग मोबाइल एप की सुविधा रहेगी। इसके अतिरिक्त एकीकृत सेवा 112 से अन्य सेवाओं को भी जोड़ा गया है। पुलिस (100), एंबुलेंस (108), अग्निशमन (101), महिला हेल्पलाइन (1090), साइबर क्राइम (1930), रेल मदद (139), हाइवे एक्सीडेंट रिस्पांस (1099), प्राकृतिक आपदा (1079) और महिला एवं चाइल्ड हेल्पलाइन (181,1098) जैसी सभी सेवाएं एक ही नंबर 112 से उपलब्ध होंगी।
डायल 112 में ये सुविधाएं
प्रत्येक शिफ्ट में 100 एजेंट की क्षमता वाला नया कांटैक्ट सेंटर, जिसमें 40 सीटों की डिस्पैच यूनिट है। पीआरआई लाइनों से एसआइपी आधारित ट्रंक लाइन पर माइग्रेशन होगा, जिससे 112 पर कॉल प्राप्त करना अधिक सहज हो गया। उन्नत बिजनेस इंटेलिजेंस और एमआइएस रिपोर्टिंग टूल्स। नंबर मास्किंग की सुविधा, जिससे फोन करने वाले का नंबर पुलिस को पता नहीं चलेगा। चैटबाट से लोगों से संवाद और शिकायतों की ट्रैकिंग की सुविधा। पारदर्शिता के लिए वाहन में डैशबोर्ड कैमरा और बाडी वार्न कैमरा की व्यवस्था।