अब मिशन मोड पर होगा विकास

शिवराज
  • शिवराज ने विभागों का टारगेट किया तय
  • 100 दिन में विभागों की परफॉर्मेंस होगी चेक

    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस साल के अंत तक मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने की ठान ली है। इसके लिए उन्होंने नए साल के पहले महीने में विभागों की क्रमवार समीक्षा कर टारगेट तय कर दिया है। अब विभाग मिशन मोड में विकास कार्य करेंगे। वहीं मुख्यमंत्री ने 100 दिन में विभागों की परफॉर्मेंस चेक करने का निर्णय लिया है। जिस विभाग की परफॉर्मेंस अच्छी रहेगी, उसे पुरस्कृत किया जाएगा और जिसकी खराब होगी उसे दंडित किया जाएगा।

प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
आत्मनिर्भर मप्र के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह संकल्पित हैं। अपने इस संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने इस माह के पहले पखवाड़े में प्रदेश के सभी विभागों की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि अब ना-नुकुर और बहानेबाजी से काम नहीं चलने वाला है। प्रदेश में अब मिशन मोड पर काम होंगे। हर काम की समयसीमा होगी और उसे उस सीमा में पूरा करना है। मुख्यमंत्री की समीक्षा के बाद सभी अधिकारी अपने-अपने विभाग का टारगेट पूरा करने में जुट गए हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री मप्र को देश में सबसे विकसित राज्य बनाना चाहते हैं। इसलिए उनकी कोशिश है कि 2023 से पहले मप्र देश के लिए मिसाल बने।
मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को साधने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विभागों की समीक्षा के दौरान अफसरों को साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि आत्मनिर्भर मप्र की राह में कोई रोड़ा बर्दाश्त नहीं होगा। साथ ही केवल टारगेट पूरा करने से काम नहीं चलने वाला। सभी विभाग अपने-अपने लक्ष्य को नियत समय में पूरा करें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मैं लगातार विभागों के लक्ष्य की मॉनीटरिंग करूंगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए साल की शुरुआत नए संकल्प के साथ की है। इस साल रोजगार के अवसरों में वृद्धि, विभागों में प्रशासनिक कसावट के साथ योजनाओं के लक्ष्यों को प्राप्त करने पर सर्वाधिक जोर रहेगा। इसके लिए मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को न सिर्फ मैदान में उतारा जाएगा बल्कि मुख्यमंत्री स्वयं भी दौरे करने के साथ समीक्षा करेंगे। इसी क्रम में विभागों की समीक्षा की गई। आत्मनिर्भर मप्र की कार्ययोजना के आधार पर विभागों के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसी आधार पर बजट भी तैयार होगा। प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों के सम्मेलन करने के साथ सर्वाधिक जोर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने पर रहेगा।

समय सीमा में पूरा होगा टारगेट
आत्मनिर्भर मप्र के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों, अधिकारियों को एक ही मंत्र दिया है कि टारगेट को समयसीमा में पूरा करना है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि आत्म निर्भर भारत का अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चला रहे हैं और इसमें मप्र की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रखना है। आत्म निर्भर मप्र देश की आत्मनिर्भरता में बड़ा सहयोग देगा। उन्होंने मंत्री, अधिकारियों से कहा कि हमारी योजनाओं का खाका ऐसा हो जो जनोपयोगी और आसानी से सुलभ होने वाला रहे। जहां जरूरत हो, वहां नियमों में बदलाव भी जनहित के हिसाब से किया जासकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आय के स्त्रोत बढ़ाने के लिए वसूली पर फोकस कराएं। अधिकारी इस बात का ध्यान भी रखें कि किस योजना में केंद्र से कितना पैसा आया है, उसका कितना उपयोग हुआ है। इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से भेजकर केंद्र से योजनाओं पर अमल के लिए आगे भी राशि लेने की तैयारी रखनी है। जहां जरूरत है वहां विभाग के मंत्री या फिर उनके जानकारी में बात सामने लाकर इस काम को पूरा करना है। केंद्र की योजनाओं को पूरा करने के मामले में भी अधिकारियों से लगातार मानीटरिंग करने के लिए कहा गया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों पर चल रही जांच में देरी को लेकर नाराजगी जताई, कई अधिकारी तो इसी में लगे रहते है कि जांच टल जाए, रुक जाए, देरी हो जाए, अधिकारी रिटायर हो जाए इसके बाद कर लेना, ये सब नहीं चलेगा, सभी जांचे समय पर हो, उचित कार्यवाई हो। विभाग का डिजिटाइजेशन जल्दी हो, आईटी विभाग प्रस्ताव बनाए, सामान्य प्रशासन विभाग के काम में देरी हो रही है। बैठक में मुख्यमंत्री ने विभाग के आउटकम, उपलब्धियों और चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की। सामान्य प्रशासन विभाग की बैठक कर्मयोगी भारत अभियान से हम प्रेरणा लें। कर्मयोगी अभियान से आनंद विभाग और कौशल उन्नयन को जोड़ सकते हैं। जितने भी बैकलॉग के पद हैं, उनकी भर्ती शुरू करे भर्तियां हर साल लगातार होती रहना चाहिए। बैठक में जो भी निर्देश दिए गए हैं, एक माह में इसकी दोबारा समीक्षा की जाएगी।

जनता की संतुष्टि सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने विभागों के अधिकारियों से साफ-साफ शब्दों में कहा है कि जनता की संतुष्टि ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए जनता के हितों में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कानून-व्यवस्था सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। पुलिस के कार्यों के प्रति जनता की संतुष्टि ही राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश में बच्चों और महिलाओं के प्रति अपराध, सायबर अपराध, ड्रग्स के प्रकरण और नक्सल समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कार्य-योजना बनाना आवश्यक है। कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर जिलों की रैंकिंग सुनिश्चित की जाए। इससे जिलों में प्रतिस्पर्धी भाव विकसित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएसपी, एसडीओपी तथा पुलिस अधीक्षक और इससे उच्च स्तर के अधिकारियों को क्षेत्र में दौरे बढ़ाने की आवश्यकता है। अधिकारियों के दौरों से कानून-व्यवस्था की स्थिति में सकारात्मक सुधार आने के साथ जनता में पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास भी बढ़ता है। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के अनुभव का उपयोग भी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में किया जाना चाहिए। अधिकारियों के दौरों का व्यवस्थित रिकार्ड राज्य स्तर पर संधारित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आदर्श थाने विकसित किए जाये, जिनमें जनता से व्यवहार, अपराधों पर नियंत्रण जैसे बिन्दुओं के आधार पर निश्चित समयावधि में रैंकिंग की जाए। थानों को जनता से बेहतर संवाद और जनता का विश्वास अर्जित करने की दिशा में कार्य करना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि थाने कबाड़ का अड्डा नहीं बने। जप्त वाहनों का समय-सीमा में निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए निश्चित नीति निर्धारित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र प्रवर्तित सभी योजनाओं में प्रदेश को नंबर-1 बनाने के लिए मिशन मोड पर कार्य करें। वर्तमान में प्रदेश पीएम स्व-निधि योजना में प्रथम, आवास योजना में द्वितीय, स्मार्ट सिटी में द्वितीय, स्वच्छ भारत मिशन में तृतीय और अमृत योजना में चतुर्थ स्थान पर है। प्रदेश को अन्य क्षेत्रों में भी नंबर-1 बनाना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा घाटी विकास विभाग में अफसरों के निरीक्षण न करने पर नाराज होकर कहा कि आप लोगों की पूरी रिपोर्ट मेरे पास है। जैसी समीक्षाएं फील्ड में होना चाहिए वैसी नहीं हो रही हैं। इसलिए मैदान में जाएं। डायरी मेंटेन करें। इसी तरह जल संसाधन विभाग के अफसरों को सिंचाई योजनाओं में भ्रष्टाचार को लेकर डपट लगाई। शिवराज ने कहा कि सिंचाई जैसे कामों में गड़बड़ होती है, ऐसा न होने दिया जाए। गौरतलब है कि मप्र देश में सबसे तेजी से विकास करता प्रदेश बना हुआ है, तो इसके पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीति और नीयत है। वे पिछले डेढ़ दशक से प्रदेश को फर्श से उठाकर अर्श पर लाने के अभियान में जुटे हुए हैं और आज उसी का परिणाम है कि मप्र देश के लिए विकास का मॉडल बना हुआ है। मप्र में विकास की रफ्तार तो वर्ष 2005 से शुरू हो गई थी, लेकिन इसमें 2014 के बाद से गति आई है। इसकी वजह है डबल इंजन की सरकार। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि डबल इंजन की सरकार में मप्र में तेजी से विकास हुआ है। अब मुख्यमंत्री और सरकार के सामने एक ही लक्ष्य है आत्मनिर्भर मप्र। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिमाग में सोते-जागते बस प्रदेश के विकास और आम लोगों का कल्याण ही रहता है। वे हमेशा लोगों के लिए खड़े रहते हैं। इसलिए अब उनका एक ही लक्ष्य है और वह है आत्मनिर्भर मप्र बनाना। आत्मनिर्भर मप्र के लिए मुख्यमंत्री ने कई कदम उठाए हैं।

हर हाथ को काम
मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि पिछले करीब दो साल में सरकार ने रोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास किए हैं। अब नए साल में सरकार ने हर हाथ को काम उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए लोगों से सुझाव मांगा गया है। अभी तक मिले सुझावों में कहा गया है कि मनरेगा की तरह शहरी युवाओं के लिए रोजगार गारंटी कानून बनाना चाहिए। छात्रों का काम पढऩा और अच्छे नंबर लाना है। नौकरियों के सृजन की जिम्मेदारी शासन की है। युवाओं को मुफ्त भत्ता देना विकल्प नहीं है। इसके बजाय सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त नौकरियां हों। प्रदेश सरकार के लगभग सभी विभागों में ढाई लाख पद वर्षों से खाली पड़े हैं, उन्हें तुरंत भरना चाहिए। निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के प्रयास होंगे तो नौकरियां मिलेंगी। युवाओं को स्किल्ड बनाने प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए जाएं, उद्यम शुरू करने के अवसर देने का काम तेज करना होगा। सरकार को प्रदेश में स्टार्टअप का माहौल तैयार करना होगा। वहीं तय समय सीमा में सरकारी विभागों में भर्ती, रिजल्ट जारी हों। युवा हल्ला बोल एवं मतदाता कल्याण संघ मप्र के अध्यक्ष राज प्रकाश मिश्र कहते हैं कि प्रदेश में 2.5 लाख से ज्यादा संविदाकर्मी, अतिथि शिक्षक, अन्य अनियमित कर्मी कई विभागों में बेरोजगार जैसी स्थिति में हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व, पुलिस, वन समेत अन्य में दो से ढाई लाख खाली पदों पर भर्ती होने से लाखों युवाओं को स्थाई रोजगार मिल जाएगा। प्रदेश में खेती-किसानी के विकास पर सरकार का सबसे अधिक जोर है। कृषि बजट को आधुनिकीकरण और किसान के विकास पर खर्च करने की नीति बनाई जा रही है। पारंपरिक खेती के बजाय उन्नत खेती शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। किसान को प्रसंस्करण से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि वह उद्यमी बने। कृषि के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे समय रहते किसान को सही दिशा में ले जा सकते हैं। प्रदेश सरकार ने इस साल लक्ष्य बनाकर काम करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों और अफसरों को दिशा-निर्देश दे दिया है। उन्होंने कहा है कि शहरों के मास्टर प्लान बनाने की तैयारी करें। बिना मास्टर प्लान के शहरों की प्लानिंग नहीं हो सकती। प्रभारी मंत्री अपने प्रभार के जिलों एवं संबंधित अधिकारी मास्टर प्लान तैयार करें। आयुष्मान भारत योजना को बेहतर और प्रभावी बनाकर लागू करें। प्राइवेट अस्पतालों में इस योजना का लाभ दिलाए जाने के लिए प्रभावी क्रियान्वयन करें। मंत्रियों से कहा है कि वे राजस्व वृद्धि के प्रयास करें। केंद्र से 31 मार्च के पहले अधिक से अधिक राशि विभिन्न योजनाओं में लाएं। अफसरों के साथ दिल्ली जाएं। लंबित राशियों के प्रस्ताव फिर से भेजें। केंद्र की घोषणाओं व योजनाओं पर निगाह रखें। ज्यादा से ज्यादा राशि लाएं और बेहतर प्रदर्शन करें। जीएसटी में त्वरित कार्यवाही करें। मिलेट मिशन को प्राथमिकता से करें। उद्यानिकी फसलों व जैविक फसलों को बढ़ावा दें। नए साल में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री और सख्त होने जा रहे हैं। इसलिए उन्होंने अफसरों से कहा है कि बे्रेन स्ट्रार्मिंग कर लें। समस्याओं का आंकलन करें। जहां जो जरूरत हो वो कदम उठाएं। नक्सलवाद, अपराध, महिला अपराध सहित हर समस्या पर ध्यान दें। वहीं मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन की प्रशंसा की है। लेकिन, इस योजना में अब हमें ड्रोन की कमी महसूस होती है। ड्रोन के भविष्य के हिसाब से काम हो।

हर माह एक लाख रोजगार का खाका तैयार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विशेषता है कि वे चुनौतियों से घबराते नहीं हैं, बल्कि सबक लेते हैं। इस बात को उन्होंने कोरोना महामारी की आपदा को अवसर में बदलकर दिखा दिया है। उसी तरह अब उन्होंने विपक्ष की चुनौती को अवसर में बदलने का संकल्प लिया है। यानी कांग्रेस ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाया तो शिवराज ने हर महीने रोजगार दिवस मनाने का ऐलान कर उसकी बोलती बंद कर दी। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस साल के अंत तक मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का जो संकल्प उठाया है उसके तहत प्रदेशभर में रोजगार मेलों का आयोजना किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की कोशिश है कि प्रदेश के हर व्यक्ति के पास काम हो। इसके लिए उन्होंने विभागों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश भी दिया है कि अधिक ये अधिक लोगों को रोजगार देने के लिए योजनाएं बनाएं। दरअसल, कोरोना महामारी के कारण देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं। मप्र में भी लाखों लोगों की नौकरी, काम-धंधे नहीं रहे। ऐसे में बेरोजगारी बड़ी समस्या बन कर उभरी है। हाल ही प्रदेश के ग्वालियर कोर्ट में चपरासी, ड्राइवर, माली, सफाईकर्मी के 15 पदों के लिए 11,082 उच्च शिक्षित लोगों ने आवेदन किया। उज्जैन कोर्ट में चपरासी और ड्राइवर के 25 पदों के लिए 9,500 लोगों ने आवेदन किया। इन दोनों ही स्थानों पर आवेदन करने वालों में इंजीनियर और एमबीए डिग्रीधारी लोग थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य में बेरोजगारी की क्या स्थिति है। राज्य में इसी बेतहाशा बेरोजगारी के मुद्दे को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस जोरशोर से उठा रही है। पार्टी प्रदेश के निकाय चुनावों में बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है। इसके मद्देनजर सत्तारूढ़ भाजपा में हलचल शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि सरकार अगले दो साल में 30 लाख लोगों को रोजगार देगी।
दरअसल अगले दो साल काफी महत्वपूर्ण हैं। मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके पहले सरकार को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव भी कराने हैं, जो दो वर्षों से टल रहे हैं। इन चुनावों में कांग्रेस रोजगार के मोर्चे पर सरकार की नाकामी को मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है। कोरोना संक्रमण और आर्थिक मंदी की वजह से कई लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है तो दूसरी ओर नए रोजगार के अवसरों का सृजन काफी कम हो गया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआइई) की रिपोर्ट के अनुसार देश में दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी तक पहुंच गई। मध्य प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगार युवा 34 लाख के करीब हो चुके हैं। रोजगार के मोर्चे पर कोई खास सरकारी पहल भी नहीं दिखी है और जो कार्यक्रम हैं भी तो उनके नतीजे कोई खास नहीं हैं। लेकिन अब जब लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है और बेरोजगारी के मुद्दे पर कांग्रेस सक्रिय हुई जो सरकार ने फौरन रोजगार सृजन और तीस लाख रोजगार देने का वादा किया है। यही नहीं, सरकार प्रत्येक महीने रोजगार दिवस भी मनाएगी। शिवराज सिंह का कहना है कि हर महीने रोजगार मेले का आयोजन जिला और विकासखंड मुख्यालयों पर होगा, इसके अलावा निवेश लाने पर सरकार का फोकस रहेगा क्योंकि उससे ही सर्वाधिक रोजगार मिलता है।

8 योजनाओं का सहारा
गौरतलब है कि 2022 में मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के वादे के तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कवायद शुरू कर दी है। रोजगार में आत्मनिर्भरता के रोडमैप में शामिल 8 योजनाओं के सहारे प्रदेश में हर हाथ को काम देना है। नए रोजगार सृजन करने के अलावा सरकार में खाली पड़े पदों को भरने की भी बात चल रही है। खाली पद भरने और नए पदों पर नियुक्तियों के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए स्व-सहायता समूह की 12 लाख महिलाओं को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए दो हजार करोड़ रुपये की क्रेडिट लिंकेज दी गई है। कांग्रेस पार्टी ने शिवराज सरकार की इस घोषणा को खोखला बताया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, पिछले 16 वर्षों से सरकार रोजगार को लेकर झूठे आश्वासन दे रही है। अब भी रोजगार मेले के नाम पर झूठे दावे किए जा रहे हैं। अगले दो साल में 30 लाख लोगों को रोजगार के झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं। हर महीने एक लाख लोगों को रोजगार देने के दावे पिछले कई महीने से किए जा रहे हैं। खाली पदों पर भर्ती के झूठे वादे भी पिछले कई वर्षों से किए जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार वर्षों से केवल झूठी घोषणाएं और झूठे आंकड़ों की खेती कर रही है। कोरोना के पहले ही राज्य में रोजगार की स्थिति बहुत खराब थी। दो साल में कोरोना से बिगड़े हालात के बाद तो स्थिति भयावह हो गई है। सरकार तो असली तस्वीर दिखाना ही नहीं चाहती है। यही वजह है कि वर्ष 2016 के बाद से राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण में बेरोजगारी के आंकड़े दिए ही नहीं जाते। उस वर्ष बेरोजगारों की संख्या 25 लाख के पार हो गई थी। राज्य सरकार को बेरोजगारी की भयावहता को समझना चाहिए और उसके लिए केवल घोषणा न करते हुए गंभीर प्रयास करने चाहिए। चुनावों में बेरोजगारी का मुद्दा बड़ा होगा तो सियासत में कैसे बदलाव आते है, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा। उधर सरकार ने उद्योग लगाने के लिए खजाना खोल दिया है। प्रदेश में 25 से 50 लाख तक का रोजगार शुरू करने के लिए शिक्षित बेरोजगारों के लिए सुनहरा मौका है। वे 25 जनवरी तक अपना उद्योग स्थापित करने के लिए आवेदन दे सकते हैं। इनमें निर्माण इकाई से लेकर खुदरा व्यवसाय और सेवा क्षेत्र के व्यवसाय शामिल है। योजना में 18 से 40 वर्ष और न्यूनतम 12वीं कक्षा उत्तीर्ण इच्छुक आवेदक आवेदन कर सकते है। योजना का लाभ केवल नए उद्योग लगाने के लिए मिलेगा। जिसमें 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रतिवर्ष की दर से 7 वर्ष तक देना होगा। इच्छुक आवेदक मुख्यमंत्री उद्यम योजना तहत उद्योग के क्षेत्र में अनाज पिसाई, बेसन निर्माण, मसाला उद्योग, अचार निर्माण, पापड़ उद्योग, आलू चिप्स निर्माण, बेकरी उद्योग, मिल्क प्रोडक्ट, फेब्रीकेशन कार्य, फ्लेक्स निर्माण, अगरबत्ती निर्माण, दोना पत्तल निर्माण, दाल मिल, पीवीसी ग्रेनुअल्स, फर्नीचर निर्माण, फ्लाय ऐश ब्रिक्स तथा बांस शिल्प आदि के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसी प्रकार सेवा ईकाई में कम्प्यूटर सर्विस सेंटर, मोबाईल रिपेयरिंग सेंटर, ब्यूटी पार्लर, टेंट हाउस, सेंटरिंग कार्य, रेस्टॉरेन्ट, चिकित्सा सेवा, वाहन मरम्मत और सर्विस सेंटर, बुक वाइंडिंग तथा कमर्शियल उपयोग के लिये वाहन क्रय आदि के लिये भी आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा खुदरा व्यवसाय के लिए मेडिकल स्टोर्स, मोबाईल शॉप, साइकिल स्टोर्स, खाद बीज दुकान, भवन निर्माण सामग्री व्यवसाय, किराना स्टोर्स, जनरल स्टोर्स, बुक स्टोर्स, कंगन व्यवसाय, नकली आभूषण व्यवसाय, वस्त्र व्यवसाय, रेडिमेट गारमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक शॉन, फर्नीचर आदि के लिए आवेदन किया जा सकता है।

गांवों में तेज होगी विकास की बयार
मप्र के गांवों में एक बार फिर से विकास की गति तेज होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानों को वित्तीय अधिकार लौटाने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की ताकत से ही सारे काम होते हैं, इसलिए प्रधानों को प्रशासकीय अधिकार लौटा रहा हूं। मुख्यमंत्री ने पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत स्तर वित्तीय अधिकार लौटाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने प्रशासकीय समिति और प्रधानों के साथ वर्चुअल मीटिंग की। उन्होंने प्रधानों से कहा कि पंचायत चुनाव डिले हुए तो प्रशासकीय समिति बनाकर आपको दायित्व सौंपा था। अब पंचायत चुनाव में व्यवधान आ गया है। मेरी दृढ़ मान्यता है कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, इसीलिए प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष और सचिव बनाकर आपको जिम्मेदारी सौंपी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गांव में समाज सुधार के आंदोलन चलाएं। सामाजिक समरसता का भाव बने। ग्रामवासी मिल-जुलकर काम करें। पंचायत चुनाव जब होंगे, तब देखा जाएगा। इसमें दो महीने का समय लगेगा या चार महीने का। सीएम ने कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे में प्रधानों से सहयोग की अपील की। कहा कि हमें मैदान में उतरना है। पंचायत स्तर पर कोविड क्राइसिस कमेटी की जिम्मेदारी आपकी है। मुख्यमंत्री ने कोविड नियंत्रण में सहयोग का आह्वान किया। जिलों को संक्रमण की जानकारी के लिए दिए गए टेस्ट का लक्ष्य ग्राम स्तर से पूरा होगा। यदि किसी को सर्दी जुकाम, बुखार है तो तत्काल टेस्ट करवाएं। टीकाकरण में सहयोग दें। कोई न छूटे यह आपका दायित्व है।

Related Articles