अब नक्सलियों में फैला कोरोना, पुलिस हुई सतर्क

कोरोना का संक्रमण

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना का संक्रमण शहरों में कोहराम मचाने के बाद गांव में फैला और अब यह जंगलों में भी फैलता जा रहा है। मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के भी कई जिलों के जंगलों में संक्रमण फैलने की खबरें आ रही हैं। दंडकारण्य के जंगल में भी कोरोना पहुंच चुका है। जंगल क्षेत्र में कोरोना संक्रमण फैलने की वजह से बड़ी संख्या में नक्सली इस महामारी की चपेट में आ गए हैं। इसे देखते हुए पुलिस और सुरक्षा बल सतर्क हो गए हैं। उनकी कोशिश है कि नक्सलियों को गांव वासियों से दूर रखा जाए। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के बालाघाट, मंडला और छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में करीब 160 से ज्यादा नक्सली कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। इनमें पच्चीस लाख की इनामी बस्तर की हार्डकोर नक्सली सुजाता सहित नक्सलियों के कई अन्य लीडर भी शामिल है। सुजाता की उम्र 60 वर्ष बताई जा रही है। साथ ही नक्सलियों के गंगालूर एरिया कमेटी का सचिव दिनेश और नक्सली जयलाल भी बीमार है। इन दोनों पर ही दस-दस लाख रुपए का इनाम घोषित है। पुलिस को इसकी पुख्ता जानकारी मिली है। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने नक्सलियों में संक्रमण की पुष्टि  करते हुए अंदरूनी इलाकों के ग्रामीणों पर भी इस महामारी के संक्रमण की आशंका जताई है।
स्ट्रेन को लेकर बनी चिंता
नक्सलियों में कोरोना संक्रमण फैलने की पुलिस की जानकारी पुख्ता है। दंतेवाड़ा पुलिस को सूचना मिली है कि दक्षिण बस्तर डिवीजन, दरभा डिवीजन, पश्चिम बस्तर डिवीजन और बालाघाट में नक्सली कोरोना संक्रमित हो गए हैं। दक्षिण बस्तर में ही दंतेवाड़ा बीजापुर और सुकमा जिले आते हैं। इन इलाकों में सरकार ने भी आंध्र प्रदेश स्ट्रेन को लेकर अलर्ट जारी किया है। दरअसल इस स्ट्रेन को लेकर चिंता बनी हुई है। यही नहीं प्रशासनिक अफसरों ने भी नक्सलियों के इसी स्ट्रेन से संक्रमित होने की संभावना जताई है। हालांकि अभी तक किसी नक्सली की मौत की खबर सामने नहीं आई है।
गांवों में बैठकें ले रहे नक्सली
पुलिस विभाग के खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना के पहले ही छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सली मध्यप्रदेश में आ चुके थे। यह नक्सली गांव-गांव जाकर बैठकें ले रहें हैं। नक्सलियों के साथ ग्रामीणों की इन बैठकों में सोशल डिस्टेंसिंग पर कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। लोग झुंड बनाकर एक जगह बैठ रहे हैं। वही बड़े कैडर के नक्सलियों ने खुद को जंगल में ही आइसोलेट कर रखा है जबकि निचले कैडर के नक्सलियों को इस महामारी के बारे में ज्यादा नहीं बता रहे हैं।

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