
- ग्वालियर में देश की पहली मॉडर्न गौशाला तैयार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में बनकर तैयार हो गई है। यह देश की पहली मार्डन गौशाला है। इसे ग्वालियर के लाल टिपारा में बनाया गया है। इस गौशाला में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के सहयोग से 2 हेक्टेयर क्षेत्र में बायो सीएनजी प्लांट स्थापित हो गया है।
इस प्लांट के संचालन के लिए 100 टन गोबर का उपयोग कर प्रतिदिन 3 टन तक सीएनजी और सबसे अच्छी क्वालिटी का जैविक खाद 20 टन मिलेगा। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन प्लांट के संचालन और रख-रखाव में भी सहयोग करेगा। यह गौ-शाला इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सामाजिक जिम्मेदारी निधि से 32 करोड़ रुपये की लागत से बनी है। भविष्य में विस्तार की संभावना को रखते हुए एक हेक्टेयर की भूमि आरक्षित रखी गई है। गौशाला को और विस्तार देने सांसद निधि से 2 हजार गायों के लिये आधुनिक शेड निर्माण के लिए 2 हजार करोड़ रुपये की राशि दी गई ह। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी वेस्ट टू वेल्थ के विकास दर्शन के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होने संत समुदाय के प्रति भी आभार व्यक्त किया है जो गौ-माता की सेवा कर रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार इस प्रयास के विस्तार के लिए पूरा सहयोग देगी। उल्लेखनीय है कि इंदौर में एशिया के सबसे बड़े सीएनजी प्लांट का संचालन हो रहा है। इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लियर की लाल टिपारा गौशाला आदर्श गौशाला में ग्वालियर नगर निगम और संत समुदाय के सहयोग से 10 हजार गायों की देखभाल की जा रही है। अब यहां पर बायो सीएनजी प्लांट के साथ ही इंक्यूबेशन सेंटर भी जल्दी ही शुरू किया जायेगा।
क्या होंगे फायदे?
प्लांट के विधिवत संचालन के दिन से ही लगभग 2 से 3 टन प्रतिदिन बायो फ्यूल और लगभग 20 टन प्रतिदिन हाई क्वालिटी की प्राकृतिक खाद का उत्पादन होगा। इससे नगर निगम, ग्वालियर को भी लगभग 7 करोड़ रुपये की आय होगी। कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना करने में समाज और सरकार के आपसी सहयोग का यह विश्व स्तरीय आदर्श उदाहरण है। बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना से पर्यावरण सुधरेगा, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, गोबर धन के उपयोग से आर्थिक रूप से भी गौशाला आत्मनिर्भर बनेगी, ग्वालियर के आस-पास जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, किसानों को इस प्लांट से गोबर की खाद उचित दाम पर मिल सकेगी।
ग्रीन ऊर्जा उत्पादन में आगे बढ़ता प्रदेश
मध्यप्रदेश ने क्लीन और ग्रीन ऊर्जा उत्पादन की ओर तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं। केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, गांवों में बायो गैस संयंत्रों की स्थापना में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर चंडीगढ़ और दूसरे पर उत्तर प्रदेश है। मध्यप्रदेश में 104 बायोगैस संयंत्र तमाम गांवों में संचालित हैं। सबसे ज्यादा 24 बैतूल में, बालाघाट 13 में और सिंगरौली में 12 हैं। स्थानीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध होने के साथ ही यह कार्बन उत्सर्जन रोकने में भी मदद करती है।