
- अब कुल लागत का 2.5 प्रतिशत देना होगा जुर्माना
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 7 अगस्त 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिंक रोड नंबर-दो पर 2 लाख वर्ग फीट में बने 184 करोड़ रूपए के जिस वन भवन का लोकार्पण किया था, वह बिना पर्यावरण अनुमति के बना है। अब वन विभाग को बिना पर्यावरण अनुमति निर्माण करने पर प्रोजेक्ट की 184 करोड़ रुपये की लागत का ढाई प्रतिशत जुर्माना भरना होगा।
गौरतलब है कि वन भवन का निर्माण शुरू से ही विवादों में रहा है। वन भवन पर्यावरण अनुमति के बिना ही बना लिया गया। इसका न तो पर्यावरण के अनुकूल निर्माण कराया गया और न ही स्वीकृति ली गई। बता दें कि इसका निर्माण मप्र पर्यटन विकास निगम ने किया था। बता दें कि वर्ष 2008 में वन भवन की आधारशिला रखी गई थी, इसके साथ ही जमीन के आधिपत्य को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, चार साल इसे सुलझाने में लग गए। तमाम विवादों के बीच वर्ष 2023 में बनकर यह तैयार हुआ था। चार मंजिल के इस भवन में पांच ब्लाक और अधिकारियों के लिए 80 कक्ष हैं। अगर बजट की कमी न होती, तो यह प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग होती। इसी परिकल्पना के साथ वर्ष 2013 में भवन का निर्माण प्रारंभ किया था, लेकिन समय बीतने के साथ भवन की लागत बढ़ गई।
65 करोड़ का प्रोजेक्ट 184 करोड़ में पूरा
गौरतलब है कि 15 साल तक चले निर्माण कार्य में वन भवन की शुरुआती निर्माण लागत 65 करोड़ रुपये थी, लेकिन समय के साथ निर्माण में देरी के कारण लागत बढकऱ 184 करोड़ रुपये हो गई। लिंक रोड-2 पर ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट पर वन भवन बनाया जाना था। 14 एकड़ जमीन पर निर्मित यह परिसर ग्रीन बिल्डिंग के आकार भी नहीं ले सका। वन विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्यावरण स्वीकृति की अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन इसमें कुछ कमियों के चलते बोर्ड के सदस्य सेवानिवृत्त आइएफएस पीसी दुबे ने विभाग को पत्र लिखकर उन कमियों को पूरा कर पुन: आवेदन के लिए लिखा था। इस प्रकरण में एक पेशी हो चुकी है, लेकिन मामला अब तक नहीं सुलझा है। वर्तमान में राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन संमिति (एसईएसी) के अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव है। अब इस प्रकरेंण को यही सुलझाएंगे। नए वन भवन में कक्षों के आवंटन को लेकर भी अधिकारी नाखुश हैं। भर्वन की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। 14 एकड़ में फैले तीन मंजिला वन भवन होने के बावजूद वन विभाग से जुड़े कई कार्यालय बाहर किराए के भवनों में लग रहे हैं। कार्य आयोजना (वर्किंग प्लान) कार्यालय सहित अन्य कार्यालय है। हालांकि इन्हें वन भवन में शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है।