श्रीमंत गुना नहीं ग्वालियर से लड़ सकते हैं चुनाव?

श्रीमंत

लगातार विभिन्न समाजों के कार्यक्रमों में दिखा रहे हैं सक्रियता

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में श्रीमंत की अपने गृह नगर ग्वालियर में अचानक से सक्रियता बढ़ गई है, जिसकी वजह से उनको लेकर कयासों का दौर शुरु हो गया है। वे अब लगातार ग्वालियर न केवल आ रहे हैं, बल्कि तमाम समाजिक व जातीय संगठनों की बैठकों में भी शामिल हो रहे हैं। इसकी वजह से अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वे अब अपनी पारिवारिक लोकसभा सीट गुना को अलविदा कह कर ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। दरअसल बीता चुनाव श्रीमंत गुना में अपने ही एक समर्थक से हार गए थे। वे फिलहाल राज्यसभा सदस्य व केन्द्र में मंत्री हैं। अगर श्रीमंत की सक्रियता की चर्चा करें, तो वे बीते एक डेढ़ माह में एक दर्जन से अधिक समाजों के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। माना जा रहा है कि इस सक्रियता के माध्यम से श्रीमंत एक बार फिर अंचल में अपनी मजबूत सियासी पकड़ को विधानसभा चुनाव में दिखाने के प्रयासों में हैं। कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब विधानसभा की 28 सीटों पर एक साथ उपचुनाव हुए, तो उनमें सर्वाधिक सीटें ग्वालियर-चंबल की ही थीं। यहां की सोलह सीटों पर 2020 में उपचुनाव हुए, जिसमें से भाजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह बात अलग है कि इन उपचुनावों में श्रीमंत समर्थक तत्कालीन मंत्री इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए थे। इससे सबक लेते हुए ही अब श्रीमंत समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी व मुन्नालाल गोयल लगातार अपनी छवि सुधारने के लिए भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।
इस तरह का है सीट का मिजाज
अगर बीते तीन लोकसभा चुनावों के परिणामों पर नजर डाली जाए तो ग्वालियर सीट पर लगातार भाजपा जीत रही है। अहम बात यह है कि इस दौरान प्रदेश में बीजेपी की सरकार रही है।ग्वालियर सीट पर समय-समय पर मतदाता बदलाव लाते रहे हैं। यहां कभी कांग्रेस, कभी जनसंघ, कभी भारतीय लोकदल तो कभी बीजेपी ने को लोगों ने चुना है। इस सीट पर अब तक सर्वाधिक पांच बार माधवराव सिंधिया निर्वाचित हुए हैं। फिलहाल यहां के बीजेपी के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं। ग्वालियर सीट पर सिंधिया परिवार का प्रभाव हमेशा से रहा है। यह सीट प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की महत्वपूर्ण संसदीय सीटों में से एक है। इस सीट से राजमाता विजयराजे सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी और माधवराव सिंधिया जैसे देश के कई दिग्गज नेता सांसद रह चुके हैं। यहां से वर्तमान में मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं। यहां चार बार बीजेपी जीती, दो बार जनसंघ और आठ बार कांग्रेस विजयी हुई। पिछले तीन लोकसभा चुनावों से यहां बीजेपी जीतती आ रही है। ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, करेरा, और पोहरी। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 14 लाख 87 हजार 654 मतदाता हैं। इनमें आठ लाख चीन हजार 559 पुरुष मतदाता और छह लाख 84 हजार 40 महिला मतदाता शामिल है।
इन समाजों के कार्यक्रम में हो चुके शामिल  
श्रीमंत बीते दो माह में जिन समाजों के कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं, उनमें प्रमुख रूप से कोली/कोरी समाज, वाल्मीकि समाज, ब्राह्मण समाज, सहरिया कायस्थ, जैन, पंजाबी, गुर्जर  और खटीक समाज के सम्मेलन शामिल हैं। यही नहीं अब वे पूरी तरह से भाजपा की तरह से समाज के सभी वर्गों से सीधे संवाद और संपर्क कर रहे हैं। यही वजह है कि जब उन्हें लोगों ने समाज के सबसे निचले तबके यानी अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के लिए अपने हाथ से खाना परोसते और उनके साथ बैठकर उनकी थाली में भोजन करते देखा तो सभी चौंक गए थे।
चाहते हैं बीते चुनाव की तरह चमत्कार  
माना जा रहा है कि दरअसल सियासी तौर पर अंचल में अपनी पकड़ साबित करने के लिए ही श्रीमंत लगातार सक्रियता दिखा रहे हैं। दरअसल कांग्रेस में रहते उनके इलाके में कांग्रेस को 34 विधानसभा सीटों में से 26 पर बड़ी जीत मिली थी। अब इस साल भी आम चुनाव में वे भाजपा के लिए भी इसी तरह की जीत चाहते हैं। इसके लिए ही उनके द्वारा लगातार विभिन्न समाजों के कार्यक्रमों में शामिल होने और अन्य क्षेत्रों के दौरे किए जा रहे हैं।

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