भोपाल में एक भी यातायात पार्क नहीं

  • हर साल हजारों हादसे में होती हैं सैकड़ों मौतें

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
राजधानी भोपाल में सडक़ हादसों की रफ्तार बेलगाम होती हुई नजर आ रही है। सडक़ हादसों का ग्राफ बढ़ रहा है। इसकी वजह यह है कि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करने में घनघोर लापरवाही करते हैं। हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति बिना हेलमेट के बाइक और सीट बेल्ट पहने बिना कार चलाते नजर आया। कुछ लोग सिग्नल तक नहीं मानते तो कुछ फोन पर बात करते हुए फर्राटे से गाड़ी भगाते दिखे। इन हालातों में पुलिस के अभियान और समझाइस न काफी साबित हो रहे हैं। वहीं कई जगह खराब सडक़ें, ब्लैक स्पॉट, लेफ्ट टर्न क्लियर न होना भी हादसों का कारण बनता है। गौरतलब है कि राजधानी की सडक़ों पर हर साल हजारों सडक़ हादसे होते हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की असमय मौत हो जाती है और कई गंभीर रूप से घायल होकर जीवनभर के लिए दिव्यांग हो जाते हैं। इसके बावजूद लोगों को सडक़ सुरक्षा के प्रति जागरूक करने और बच्चों-युवाओं को ट्रैफिक नियमों की शुरुआती शिक्षा देने के लिए शहर में एक भी यातायात पार्क नहीं है। वहीं दशकों पहले जिन स्थानों को यातायात पार्क के रूप में विकसित किया जाना तय किया था वे अब या तो खंडहर हो चुके हैं, या फिर उनका प्लान अब तक फाइलों में अटका हुआ है। भोपाल ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार शहर में हर साल औसतन तीन हजार सडक़ हादसे होते हैं। इनमें से अधिकतर घटनाएं लापरवाही, तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों कीअनदेखी के कारण ही होती हैं। इन हादसों में प्रतिवर्ष करीब 200 लोगों की मौत हो जाती है, जबकि दो हजार से अधिक लोग चोटिल हो जाते हैं। इसके बाद भी किसी का ध्यान नहीं है।
हादसों पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती
भोपाल में बढ़ रहे सडक़ हादसों पर अंकुश लगाना पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है। ट्रैफिक पुलिस बार-बार हेलमेट, सीट बेल्ट और सिग्नल पालन को लेकर अभियान चलाती है, लेकिन इसका असर लंबे समय तक दिखाई नहीं देता। जागरुकता के नाम पर पुलिस स्कूल-कालेजों में कार्यक्रम तो करती है, लेकिन वहां सिर्फ भाषण ही होते हैं, जबकि यातायात पांकों में बच्चों और युवाओं को यातायात से संबंधित व्यवहारिक शिक्षा भी दी जाती है, जो उन्हें सडक़ के नियमों से – जागरूक करती है। देश के कई शहरों दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और यहां तक की इंदौर में आधुनिक यातायात पार्क बनाए गए हैं, जहां बच्चों को छोटे माडल रोड, ट्रैफिक सिग्नल और जेब्रा क्रासिंग के जरिए सडक़ का अनुशासन सिखाया जाता है। भोपाल में भेल का पार्क एक समय बच्चों और स्कूली समूहों के लिए आकर्षण का केंद्र था।
यातायात पार्क जरूरी
राजधानी भोपाल में साल दर साल सडक़ हादसों में होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। साल 2023 में हुए हादसों के कारण 197 लोगों की मौत हुई थी। 2024 में ग्राफ बढकऱ 235 तक पहुंच गया। उम्मीद है कि मौजूदा साल 2025 में सडक़ों से हादसों के लाल धब्बे मिट सकेंगे। भोपाल में सीपीए और नगर निगम के करीब 300 छोटे-बड़े पार्क मौजूद हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी यातायात पार्क के रूप में विकसित करने का अब तक कोई प्लान नहीं बनाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इनमें से एक पार्क को ही यातायात पार्क के रूप में बद्दल दिया जाए तो बच्चों और युवाओं को सडक़ सुरक्षा की व्यवहारिक शिक्षा दी जा सकती है। एडिशनल डीसीपी ट्रैफिक बसंत कौल का कहना है कि सडक़ हादसों के बढ़ते मामलों के प्रति जागरूकता के लिए यातायात पार्क की आवश्यकता है। ट्रैफिक पुलिस ने पूर्व में इसके लिए पत्राचार कर कंट्रोल रूम के पास जमीन पर यातायात पार्क स्थापित करने के लिए प्रयास किया था। दोबारा हम इसके लिए संबंधित विभागों से बात करेंगे। वहीं नगर निगम आयुक्त  हरेंद्र नारायण का कहना है कि कंट्रोल रूम के पास वाला स्थान अब तक नगर निगम को आवंटित नहीं हुआ है। यदि जमीन निगम को मिलेगी तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। भेल टाउनशिप हेड प्रशांत पाठक का कहना है कि यातायात पार्क का जीर्णोद्धार जल्द शुरू होगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है।

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