करोड़ों का घोटाला करने वालों पर 2 साल बाद भी कार्रवाई नहीं

  • राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में धांधली

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में बसे गांवों में बिजली पहुंचाने वाली राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में करोड़ों रूपए की धांधली करने वालों पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। जबकि इस मामले में हुई जांच के बाद 2 साल पहले अफसरों को दोषी पाया गया था, लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है। अब इस मामले को कांग्रेस विधायक ने विधानसभा में उठाने की तैयारी शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी का मामला सामने आया था। उसके बाद इस मामले की जांच की गई। जांच के दो साल बाद भी दोषी अफसरों पर जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। जिन अफसरों की विभागीय जांच प्रारंभ की गई है उनका अंतिम निर्णय वरिष्ठ स्तर पर होना है। उधर, कांग्रेस विधायक सुरेश राजे इस पूरे मामले को विधानसभा में लाने की बात कह रहे हैं। गौरतलब है कि विनोद कटारे तत्कालीन महाप्रबंधक एवं प्रोजेक्ट मैनेजर मुरैना को आरोप पत्र और गगन देव तत्कालीन नोडल अधिकारी एवं उप महाप्रबंधक संभाग को कारण बताओ नोटिस दिया गया। 11 नवंबर 2021 के बाद से अब तक विभागीय जांच ही चल रही है। इस मामले में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पीआरओ मनोज दुबे का कहना है कि मामला अभी जांच में है। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी ने समय पर न ट्रांसफॉर्मर लगाए और न खंभे
मामला मुरैना वृत्त का है। विद्युतीकरण करने का काम बजाज इलेक्ट्रिकल्स मुंबई को वर्ष 2019 में दिया गया था। आरोप है कि कंपनी ने समय पर न ट्रांसफॉर्मर लगाए और न खंभे खड़े किए, जिससे क्षेत्र में बिजली की समस्या बनी रही। इसको लेकर जांच समिति गठित की गई। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 27 जुलाई 2022 को मुख्य महाप्रबंधक ग्वालियर क्षेत्र को सौंप दी। जांच रिपोर्ट के अनुसार पाई गई कमियों के विरुद्ध आंकलित राशि 4, 76, 27, 261 निकली। यह राशि कंपनी के बिलों में समायोजित की गई। इसके पहले भी 11 सितंबर 2019 को जांच कमेटी गठित की गई थी। पूरे प्रकरण की जांच जारी है। दोषी कमेटी ने 20 मार्च 2020 को सौंपी रिपोर्ट में बताया था कि किए गए कार्यों में बजाज इलेक्ट्रिकल्स मुंबई ने बहुत कमियां की हैं। जांच कमेटी ने अमानक, गुणवत्ता एवं अपूर्ण कार्यों की जानकारी देते हुए वित्तीय नुकसान होने की रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में करीब 55.06 लाख रुपए की वित्तीय हानि होना पाया गया और इसके लिए तत्कालीन महाप्रबंधक एवं प्रोजेक्ट मैनेजर मुरैना और नोडल अधिकारी अम्बाह संभाग को जिम्मेदार माना गया है।

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