
- 1750 पीड़ित सदस्य, डेढ़ साल में सिर्फ एक को मिल सका प्लाट
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बुंदेलखंड में एक कहावत है नौ दिन चले अढ़ाई कोस, जो पूरी तरह से प्रदेश के साथ ही भोपाल में कार्यरत गृह निर्माण सहकारी समितियों के साथ ही सहकारिता विभाग पर फिट बैठती है। यह प्रदेश का ऐसा सरकारी महकमा है, जिसमें न तो आमजन की ङ्क्षचता की जाती है और न ही सरकार के निर्देशों की।
इस विभाग की कार्यशैली और अफसरों की इन समितियों की आड़ में सक्रिय भू माफिया को संरक्षण देने की प्रवृत्ति की वजह से सरकार की छवि को जमकर बट्टा लग रहा है। इसके बाद भी अफसर उन पर मेहरबानी करने में पीछे रहने को तैयार नही दिख रहे हैं। अगर भोपाल की ही बात की जाए तो यहां पर गड़बड़ी के सैकड़ों मामले हैं, लेकिन निराकरण ही नहीं किया जा रहा है। अफसरों को कहीं दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं तो कहीं पदाधिकारी। इस तरह के हालात तब हैं, जबकि इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद पीड़ितों को प्लॉट दिलाने के निर्देश दे चुके हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग को फर्जीवाड़ा करने वाली सोसायटियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये थे। हालात यह हैं कि डेढ़ साल का समय बीतने के बाद भी किसी भी सोसायटी के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई ही नहीं की जा रही है। इसकी वजह से भोपाल में ही 1750 पीड़ितों में से महज एक सदस्य को ही प्लाट मिल सका है।
इस तरह की करनी थी कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार हाउसिंग सोसायटियों में पात्रता के आधार पर भूखंड दिलाये जाने थे। अवैधानिक रूप से समितियों द्वारा बेची गई भूमि वापस ली जानी थी। रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए न्यायालय में आवेदन करने थे। धोखाधड़ी करने वाले समिति पदाधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करानी थी। इसमें सहकारिता विभाग जिला उप पंजीयक से गड़बड़ी करने वाली समितियों की जानकारी जुटाई जानी थी। समितियों द्वारा अवैध रूप से बेची गई भूमि को वापस लेकर पात्र सदस्यों को आवंटित करनी थी। लेकिन इनमें से एक भी बिंदु पर अमल नहीं किया गया है।
रोहित और गौरव पर सर्वाधिक मेहरबानी
भोपाल की रोहित और गौरव गृह निर्माण समिति सबसे विवादित गृह निर्माण सहकारी समिति हैं। रोहित में 126 भूखंड अवैधानिक तरीके से बेच दिए। पात्र सदस्यों की जगह अपात्रों को न सिर्फ भूखंड का आवंटन किया गया ,बल्कि उनकी रजिस्ट्री भी करा दी। इसी तरह गौरव हाउसिंग सोसायटी में 26 रजिस्ट्री गैर सदस्यों को कर दी गई। इस सोसायटी का मामला विधानसभा में भी गूंजा था। इसके बाद कमेटी बनाई गई थी। जांच में पदाधिकारी दोषी पाए। बावजूद किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। खास बात यह है दोनों ही सोसायटियों में आज भी रजिस्ट्री निरस्त करने की कार्रवाई महज कागजों में ही चल रही है। हिलटॉप गृह निर्माण समिति समिति की जमीन पर सरकारी कब्जे हैं। इसे हटाने के लिए सदस्य लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं। बावजूद इसके आज तक इसे हटाने की कार्रवाई नहीं हो सकी। हालात यह हैं कि प्लाट की आस में कई सदस्यों की मृत्यु हो गई और अब उनके बेटे लड़ाई लड़ रहे हैं।
काट डाली कॉलोनी
आदर्श हाउसिंग सोसायटी की जमीन पर कोरल लाइफ नामक कॉलोनी का निर्माण कर दिया गया है। यहां ईडब्ल्यूएस की जगह पर डुप्लेक्स बना दिये गये हैं। बंधक प्लॉट पर भी डुप्लेक्स बने हुए हैं। ओपन स्पेस पर भी मकान बना दिये गये हैं। सोसायटी के 750 सदस्यों में से एक को भी प्लॉट नहीं मिला। कारण है कि सोसायटी के कर्ताधर्ताओं ने जमीन इंदौर के किसी बिल्डर को बेच दी और बिल्डर ने यहां अपने हिसाब से कॉलोनी डेवलप की। यह शिकायत भी विभाग में धूल खा रही है।