
- मप्र में करीब 495 नॉन गवर्मेंट ऑर्गनाइजेशन कर रहे सरकारी योजनाओं में काम
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेशभर में तमाम एनजीओ (नॉन गवर्मेंट ऑर्गनाइजेशन)अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इनका महत्व इसलिए भी काफी बढ़ जाता है कि जब सरकारी मशीनरी पूरी ताकत लगाने के बाद भी लोगों तक सुविधाएं और योजनाएं नहीं पहुंचा पाती है तो, सरकार इनका सहारा लेती है। लेकिन कई एनजीओ ऐसे भी हैं, जो योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार से अनुदान तो लेते हैं, लेकिन ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। अब सरकार इसका पता लगाने के लिए प्रदेश में अनुदान लेने वाले एनजीओ के 15 साल के कामकाज का हिसाब किताब होगा। जो एनजीओ सरकार के पैमाने पर खरे उतरेंगे उन्हें आगे पैसा दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार प्रदेश में 495 एनजीओ सरकार से अनुदान लेकर विभिन्न योजनाओं में काम कर रहे हैं। इनमें दिव्यांगता के क्षेत्र में 150, वृद्धाश्रम के लिए 79, नशामुक्ति के लिए 36, बाल कल्याण के लिए 150 और वन क्षेत्र में 80 एनजीओ काम कर रहे हैं। सरकार जरूरतमंंदों तक इन एनजीओ के माध्यम से अपनी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। लेकिन उसके बाद भी योजनाओ का ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। इसलिए अब सरकार सरकारी अनुदान प्राप्त एनजीओ के 15 साल के कामकाज का ऑडिट कराने जा रही है।
9 बिंदुओं की जानकारी मांगी
दरअसल, योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही की शिकायतें लगातार आ रही हैं। ऐसे में मप्र में काम करने वाले एनजीओ पर सरकार द्वारा सख्ती की जा रही है। समाजसेवा के नाम पर अनुदान लेने वाले इन एनजीओ से उनके द्वारा बीते 3 से 15 साल में किए गए काम की जानकारी मांगी जा रही है। अब तक यह जानकारी केवल उन एनजीओ से मांगी जा रही थी, जो सामाजिक न्याय विभाग के साथ काम कर रहे थे, लेकिन अब महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, दिव्यांगजन, भिखारी मुक्त प्रदेश बनाने समेत अन्य विषयों पर काम करते हैं। इतना ही नहीं, वन्य जीव और वन क्षेत्रों में काम करने वाले एनजीओ को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। ऐसे एनजीओ से कुल 9 बिंदुओं की जानकारी मांगी जा रही है। इसमें उनको मिलने वाले फंड की जानकारी के साथ एनजीओ द्वारा किए जा रहे काम की भी जानकारी पूछी गई है।
खरे उतरे तो ही मिलेगी आर्थिक मदद
जानकारी के अनुसार सरकार ने एनजीओ से 9 बिंदुओं की जानकारी मांगी है, उनकी गहनता से जांच की जाएगी। बताया जाता है कि इन बिंदुओं में से 50 परसेंट क्राइटेरिया पर खरे उतरने वाली संस्थाओं को आगे काम दिए जाने की रिकमंडेशन की जाएगी। बिंदुओं में दिए गए जवाब के आधार पर ही ग्रेडिंग की जाएगी। सबसे अधिक फोकस एरिया सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग-जन सशक्तीकरण विभाग की तरफ से प्रदेश के वृद्धाश्रम एवं नशामुक्ति केंद्रों का संचालन पर है। जानकारी मिली है कि सरकार के पास ऐसे एनजीओ को लेकर शिकायत आई हैं कि वे काम ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। मप्र में बच्चों के लिए काम करने वाले करीब 200 से अधिक एनजीओ की केंद्र से मिलने वाली फंडिंग पर निगरानी के लिए भारत सरकार के पीएबी ने निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने ऑडिट की जिम्मेदारी संबंधित विभाग को ही दी है। विभाग ने सभी ज्वाइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर को एनजीओ की ग्राउंड रियलिटी चेक करने के निर्देश दिए हैं। कुल नौ बिंदुओं पर इनकी जांच की जाना है। इसमें संस्था का फंड ऑडिट, रिकॉर्ड सही से रखा जा रहा है कि नहीं। लाभार्थियों का वेरिफिकेशन भी किया जा सकता है। लाभार्थियों के लिए संस्था द्वारा की गई भोजन, सफाई, शौचालय आदि की कैसी व्यवस्था है। इन बिंदुओं के आधार पर 50 से लेकर 100 अंक दिए जाएंगे और इसी आधार पर इनकी ग्रेडिंग होगी।