विवाद नहीं सुलझने से अटकी मध्य प्रदेश की नई तबादला नीति

तबादला नीति

शिवराज कैबिनेट तीन महीने पहले फैसला ले चुकी, जीएडी से आपत्ति के बाद जारी नहीं हो सकी नई ट्रांसफर पॉलिसी
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी कर्मचारियों की नई ट्रांसफर पॉलिसी कई बिन्दुओं पर विवाद के नहीं सुलझने की वजह से बीते तीन माह से अटकी हुई है। इस नई पॉलिसी को लेकर कैबिनेट की बैठक में फैसला होने के बाद भी अब तक जारी न होने की वजह से कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनती जा रही है। अब माना जा रहा है कि नई नीति पर कोरोना पर पूरी तरह से काबू पाए जाने के बाद ही काम होगा। हालांकि एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि अगले माह प्रदेश में मानसून दस्तक दे देगा। इसी वजह से संभव है कि सरकार बीते दो सालों से जारी तबादलों पर बैन को इस साल भी नहीं हटाए।
दरअसल वर्षा के समय तबादले नहीं करने की परंपरा रही है। प्रदेश में पहली बार ऑनलाइन पैटर्न पर ट्रांसफर पॉलिसी लाने का कैबिनेट की बैठक में तय किया गया था। सरकार की योजना पहले 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक एक माह के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाने की थी, लेकिन बाद में इसे मई और फिर 1 से 15 जून कर दिया गया था, लेकिन इस नीति में किए गए प्रावधानों को लेकर आपत्ति और विरोध के चलते यह मामला उलझकर रह गया है। इस बीच प्रदेश में कोरोना महामारी का संक्रमण ऐसा फैला कि सरकार का पूरा ध्यान कोरोना पर लग गया। माना जा रहा है कि अब शायद ही तबादलों पर से प्रतिबंध को हटाया जाएगा। उधर प्रदेश सरकार पर सत्ता व संगठन से जुड़े लोगों का लगातार तबादलों पर से लगे प्रतिबंध हटाने का दबाब बना हुआ है।
पॉलिसी के ड्राफ्ट में यह किया गया है प्रावधान
खास बात यह है कि नई तबादला नीति के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट में यह प्रावधान किया गया है कि बीते साल प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद जिन अफसरों व कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं, उनके तबादले सीएम को-आर्डिनेशन से ही किए जाएंगे। इसके लिए प्रस्ताव सीएम को -आर्डिनेशन में भेजने होंगे।
इसी तरह से आईएएस-आईपीएस के तबादले पहले की तरह सीएम को-आर्डिनेशन से होंगे। किसी भी क्लास वन आॅफिसर को तबादले के खिलाफ अपील अगर करना है तो वह अपील मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के पास आवेदन देकर कर सकेगा। इसी तरह से अब नई नीति के ड्राफ्ट में कोरोना को देखते हुए कुछ नए बिन्दु भी जोड़े जा रहे हैं। इसमें उन कर्मचारियों व अधिकारियों को राहत देने का प्रावधान किया जा रहा है, जो कोरोना से गंभीर बीमार हैं। यह राहत उन्हें तबादलों से छूट के रुप में रहेगी।
सीएम कार्यालय पहुंच रही हैं नोटशीट
प्रदेश में अब तक नई तबादला नीति जारी नहीं होने की वजह से अब मंत्रियों और विधायकों द्वारा बड़े पैमाने पर ट्रांसफर की नोटसीट सीएम कार्यालय को भेजी जा रही हैं। हालांकि इन पर कोरोना के चलते अभी कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है।  संभावना बनी हुई है कि इस बार तबादलों से सरकार प्रतिबंध न हटाने का भी फैसला ले सकती है। ऐसे में सिर्फ सीएम को-आर्डिनेशन से ही तबादले होंगे।
यह भी आ रही है दिक्कत
प्रदेश में सरकार द्वारा अब तक जिला प्रभारी मंत्री नहीं बनाए गए हैं, ऐसे में नई नीति में किए गए जिला प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन के प्रावधान को लेकर असमंजस बन गया है। फिलहाल सरकार ने अस्थाई व्यवस्था के तहत कोरोना के लिए प्रभारी मंत्री जरुर बनाए हैं , लेकिन अब भी जिलों को पूर्ण प्रभारी मंत्रियों का इंतजार बना हुआ है। संभावना जताई जा रही है कि जिन मंत्रियों को अभी कोरोना के लिए प्रभारी मंत्री बनाया गया है बाद में उन्हें ही जिले का प्रभारी मंत्री बनाया जा सकता है।
तबादलों के इन बिंदुओं पर विवाद
ट्रांसफर पॉलिसी में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के तबादलों में मंत्री को केवल अनुमोदन का अधिकार दिया गया है, जबकि तबादले के आदेश कलेक्टरों को निकालना थे। इस बिन्दु पर एतराज के बाद इसमें बदलाव किया जाना है।  राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के तबादले जिलों के भीतर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर कलेक्टरों को करने के अधिकार का प्रावधान किया गया है। इसी तरह से जिले से बाहर तबादले के अधिकार सामान्य प्रशासन के पास पूर्व की तरह  रहेंगे। प्रथम और द्वितीय श्रेणी के तबादले एसीएस और पीएस को करने के अधिकार होंगे, लेकिन विभागीय मंत्री की सहमति अनिवार्य होगी।

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