
- विभाग की लापरवाही पड़ रही है भारी, दीपावली पर भी रहेगी जेब खाली
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग नियमों के पालन में कितना बड़ा लापरवाह है, इससे समझ सकते हैँ कि उसने वगैर वित्त विभाग की अनुमति के ही राज्य में करीब साढ़े पांच हजार शिक्षकों की भर्ती कर डाली। अब विभाग की यही लापरवाही नए शिक्षकों को भारी पड़ रही है। हालात यह हैं कि इन शिक्षकों को नियुक्ति के बाद से अब तक वेतन ही नहीं मिला है। यही स्थिति इसी माह भी रहने वाली है, जिससे दीपावली के त्यौहार भी उन्हें खाली जेब ही रहना पड़ेगा। वित्त विभाग से अनुमति नहीं लेने की वजह से इन नए शिक्षकों को वेतन मिलना तो दूर की कौड़ी है, उनकी अब तक ट्रेजरी में आईडी तक नहीं बन पा रही है। इन 5500 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हुए तीन माह का समय हो चुका है। लगातार तीन माह से वेतन नहीं मिलने पर जब यह शिक्षक वेतन का पता करने ट्रेजरी पहुंचे तब उन्हें पता चला कि विभाग द्वारा वित्त विभाग से अनुमति नहीं लेने के चलते ही स्वीकृत पदों की संख्या शून्य बताई जा रही है। चूंकि संबंधित जिले में ऑन रिकॉर्ड कोई पद ही नहीं है, ऐसे में उनकी आईडी ही नहीं बन सकती है। इसकी वजह से ही उनकी वेतन तक नहीं बन पा रही है। दरअसल नियमानुसार रिक्त पदों पर 5 प्रतिशत से अधिक पदों पर भर्ती के लिए वित्त विभाग की अनुमति लेना जरूरी होता है। प्रदेश में भर्ती के समय प्राथमिक शिक्षकों के प्रदेश में करीब सवा लाख पद खाली थे। यही कारण है कि पहली काउंसलिंग 7429 पदों के लिए हुई। जनजाति एवं अनुसूचित जाति विभाग के अंतर्गत 49 हजार 567 पद रिक्त थे। लेकिन ट्राइबल डिपार्टमेंट ने अनुमति ले ली थी, इसलिए पहली ही काउंसलिंग में 11 हजार से अधिक पदों पर भर्ती कर दी। अगस्त में दूसरी काउंसलिंग में 5500 पदों पर स्कूल शिक्षा विभाग ने नियुक्ति दी। यानी यह रिक्त पदों से 5 प्रतिशत से अधिक होने से ही पेंच फंस गया है।
दो लाख अभ्यर्थी हुए थे पात्र
प्राथमिक शिक्षक भर्ती में सबसे ज्यादा 1 लाख 94 हजार अभ्यर्थी पात्र घोषित हुए थे। यही वजह है कि ट्राइबल डिपार्टमेंट से कम भर्ती करने पर लोक शिक्षण संचालनालय के सामने 3 महीने तक क्वालीफाई अभ्यर्थियों द्वारा प्रदर्शन भी किया गया था। अभ्यर्थियों ने मांग की थी कि विभाग 51 हजार पदों पर भर्ती करे, पर ऐसा नहीं हो सका। उसके पीछे 5 प्रतिशत वाला नियम ही कारण बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश में साल 2019 से सीधी भर्ती पर रोक थी। 14 अगस्त 2021 को इस पर लगी रोक हटा दी गई। नए आदेश के अनुसार विभाग अपने स्तर पर रिक्त पदों में से पांच प्रतिशत पर खुद भर्ती कर सकेंगे, इसमें पदोन्नति के पद भी शामिल है। वहीं इस संख्या से ज्यादा पद भरने के लिए उन्हें वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी। सूत्र बताते हैं कि जब स्कूल शिक्षा विभाग ने इन पदों पर भर्ती निकाली, लेकिन उसने यह अनुमति नहीं ली। 12 साल बाद प्रदेश में भर्ती निकाली उसके भी यह हाल है। न तो पर्याप्त पदों पर नियुक्ति हुई और जिनकी बाद में नियुक्ति हुई , लेकिन उनकी वेतन का अब तक कोई ठिकाना नजर नहीं आ रहा है। अब इस मामले में 5 प्रतिशत नियम का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।