
- पदोन्नति नियमों के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में 9 साल बाद पदोन्नति की प्रक्रिया फिर से शुरू होने जा रही है। लेकिन पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होने से पहले प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए पदोन्नति नियम 2025 के खिलाफ गैर अजा, अजजा वर्ग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। हाईकोर्ट में याचिका पशुपालन एवं ऊर्जा विभाग के गैर अजा एवं अजजा वर्ग के कर्मचारी एवं अधिकारियों की ओर से लगाई गई हैं। याचिका क्रमांक 24880/2025 और 24914/2025 है। कोर्ट में सिर्फ याचिका लगी हैं। हाईकोर्ट कर्मचारियों की याचिका पर 7 जुलाई को सुनवाई करेगा। इधर सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा कि पदोन्नति नियम 2025 सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में ही बनाए गए हैं। हालांकि सरकार की ओर से भी न्यायालय में कैवियट लगाई गई है। गौरतलब है कि मप्र सेवा पदोन्नति नियम-2025 जारी होने के बाद से ही मप्र सरकार कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर एक्टिव मोड में है। मुख्य सचिव ने सभी विभागों को 31 जुलाई से पहले विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठकें करने के निर्देश दिए हैं। विभाग पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू कर पाते, इससे पहले ही नए पदोन्नति नियमों के विरोध में कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। कर्मचारियों ने कोर्ट में याचिका दायर कर नए पदोन्नति नियमों को चैलेंज किया है।
हाईकोर्ट में 7 को सुनवाई
हाईकोर्ट कर्मचारियों की याचिका पर 7 जुलाई को सुनवाई करेगा। कर्मचारियों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करते ही सरकार हरकत में आ गई है। मप्र के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नए पदोन्नति नियमों को लेकर विस्तार से चर्चा की। गौरतलब है कि कैबिनेट बैठक में गत 17 जून को मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 को मंजूरी दी गई थी। इसके दो दिन बाद 19 जून को पदोन्नति के नए नियमों के संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसके साथ ही प्रदेश में करीब 5 लाख कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।
नए पदोन्नति नियमों में एसटी वर्ग को 20 प्रतिशत और एससी वर्ग को 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। पहले एससी-एसटी के हिस्से वाले रिक्त पद भरे जाएंगे। फिर अनारक्षित पदों पर एससी-एसटी से लेकर सभी दावेदार पात्र होंगे। अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी नए पदोन्नति नियमों का पहले दिन से विरोध कर रहे हैं। नए नियमों के खिलाफ कर्मचारी मंत्रालय में प्रदर्शन कर चुके हैं। इस बीच नए पदोन्नति नियमों के विरोध में 10 से ज्यादा कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। उन्होंने कोर्ट से पदोन्नति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
पदोन्नति के नए नियम…
सरकार ने पदोन्नति का जो नियम बनाया है उसके अनुसार पदोन्नति के लिए रिक्त पदों को एससी (16 प्रतिशत), एसटी (20 प्रतिशत) और अनारक्षित में बांटा जाएगा। क्लास-1 अधिकारी के लिए लिस्ट मेरिट कम सीनियोरिटी के आधार पर, जबकि क्लास-2 और नीचे के पदों के लिए सीनियोरिटी कम मेरिट के आधार पर दावेदारों की सूची बनेगी। पूर्व में प्रमोशन पा चुके कर्मचारियों को रिवर्ट नहीं किया जाएगा, न रिटायर्ड कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। पदोन्नति से भरे जाने वाले हरसंवर्ग के पद अलग से तय होंगे। डीपीसी में एससी-एसटी वर्ग का एक-एक अधिकारी शामिल होगा। वहीं सामान्य प्रशासन विभाग ने नए पदोन्नति नियमों को लेकर अधिकारी/कर्मचारियों की सीआर बुलाने के निर्देश जारी किए है। जीएडी के उप सचिव द्वारा एक जुलाई को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अगर किसी अधिकारी ने अपने अधीनस्थ कर्मचारी से प्राप्त सेल्फ असेसमेंट और उसके बाद की स्थिति में सीआर में अपना अभिमत नहीं लिखा, तो उसे गंभीरता से लेकर कार्रवाई की जाएगी।
महाधिवक्ता हुए सक्रिय
कर्मचारियों के कोर्ट में याचिका दायर करते ही मप्र के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने जीएडी के अधिकारियों से नए पदोन्नति नियमों के संबंध में विस्तार से जानकारी ली है, ताकि याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में सरकार का पक्ष ठीक से रखा जा सके। जानकारी के अनुसार सरकार के खिलाफ कर्मचारी राजीव कुमार खरे (प्रकरण क्रमांक डब्ल्यूपी/24881/2025) एवं डॉ. स्वाति तिवारी (डब्ल्यूपी/24880/2025) ने 29 जून को और समीर कुमार शर्मा (डब्ल्यूपी/24914/2025) ने 30 जून को नए पदोन्नति नियमों के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसके अलावा मंत्रालय के कर्मचारी सतीश शर्मा, अमरेश गालर, आरती मंदसौरवाला समेत कुछ अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। उन्होंने सरकार को प्रतिवादी बनाया है। हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तारीख तय की है। बता दें कि मुख्य सचिव ने सभी विभागों को 31 जुलाई से पहले डीपीसी की बैठकें करने के निर्देश दिए है। डीपीसी की पहली बैठक के बाद ही प्रदेश के करीब साढ़े 4 लाख कर्मचारियों को प्रमोशन मिल जाएगा। ये वे कर्मचारी हैं जो दिसंबर, 2024 की स्थिति में पदोन्नति के लिए पात्र है। कर्मचारियों के पदोन्नत होने से करीब 2 लाख पद रिक्त होंगे, जिन्हें सीधी भर्ती के जरिए भरा जाएगा।