
- रावत की हार के बाद कयासों का दौर शुरू
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में मोहन यादव की 11 महीने पुरानी सरकार में जल्दी ही कुछ बदलाव हो सकते हैं। मौजूदा मंत्रिमंडल में कुछ नए नामों को शामिल करने की तैयारी है। इस नई आमद में उन लोगों को वरीयता दिए जाने की संभावना है, जो कांग्रेस का दामन छोडक़र भाजपा को मजबूत करने आए थे। इस विस्तार में उन विधायकों को भी पद से नवाजा जा सकता है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपना बेहतर प्रदर्शन दिया है। दरअसल, प्रदेश सरकार में वन मंत्री रहे रामनिवास रावत की विजयपुर उपचुनाव में हुई हार के बाद मप्र मंत्रिमंडल में बदलाव के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं रामनिवास रावत करीब 7 महीने पहले कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए थे। मप्र सरकार में उन्हें वन मंत्री बनाया गया था, लेकिन उपचुनाव में हार के बाद रावत के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांगे्रस से 6 बार विधायक रहे रावत अब कांग्रेस में तो वापस जाने से रहे। अब भाजपा में रहकर आगे की राजनीति करना उनकी मजबूरी है। हालांकि चुनाव हारने के बाद भाजपा में उनकी आगे की राह आसान नहीं होगी। उन्हें किसी निगम, मंडल में अध्यक्ष बनाया जा सकता है। दिसंबर 2023 में वजूद में आई प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार में इस समय मुख्यमंत्री सहित कुल 30 मंत्री(रामनिवास रावत के मंत्री पद छोडऩे के बाद) मौजूद हैं। इनमें 19 कैबिनेट मंत्री, छह स्वतंत्र प्रभार वाले और चार राज्यमंत्री का ओहदा रखने वाले मंत्री शामिल हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल के आकार के लिहाज से फिलहाल इसमें चार और मंत्रियों को शामिल किए जाने की गुंजाइश है। इसके मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार को आकार दिए जाने की चर्चाएं चल पड़ी हैं। सूत्रों का कहना है विस्तार कवायद में पहली तरजीह कांग्रेस से पलायन कर भाजपा की शरण में आए कमलेश शाह का नाम प्राथमिकता से गिनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि संभवत: इन विधायकों की भाजपा आमद की शर्तों में एक बिंदु शामिल रहा होगा।
निर्मला सप्रे का क्या होगा
विजयपुर में मंत्री रहते रामनिवास रावत की उपचुनाव में हार ने बीना विधायक निर्मला सप्रे की नींद उड़ा दी है, क्योंकि यदि बीना में उपचुनाव की स्थिति बनती है, तो उन्हें रावत की तरह कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। संभावित उपचुनाव को देखते हुए निर्मला सप्रे सरकार पर बीना को जिला बनाने की घोषणा करने को लेकर दबाव बना चुकी है, लेकिन पूर्व मंत्री व खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह की नाराजगी के चलते सरकार ने इसकी घोषणा नहीं की है। उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने जुलाई में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को आवेदन दिया था, जिस पर स्पीकर तोमर ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। उमंग सिंघार ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने की बात कही है।
कमलेश शाह बन सकते हैं मंत्री
अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च में कांग्रेस छोडक़र भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। भाजपा ज्वॉइन करने के साथ ही उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। सूत्र का कहना है कि भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाने का आश्वासन दिया था, जिससे शाह भाजपा में शामिल हुए थे। अमरवाड़ा में जुलाई में हुए उपचुनाव में कमलेश शाह ने जीत दर्ज की थी। तभी से उन्हें मंत्री बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही है, लेकिन रावत को मंत्री बनाए जाने से पार्टी नेताओं की नाराजगी को देखते हुए शाह को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। अब चूंकि रामनिवास रावत चुनाव हार गए है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिससे कमलेश शाह को मंत्री बनने की आस बढ़ गई है। विधायकों की संख्या के मान से मप्र सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अलावा 34 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। मोहन कैबिनेट में 31 मंत्री थे। रामनिवास रावत के चुनाव हारने के बाद मंत्रियों की संख्या 30 बची है। इस तरह कैबिनेट में अभी 4 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। पार्टी के कई विधायक मंत्री बनाए जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।