- नई एमएसएमई नीति से औद्योगीकरण की राह हुई आसान
- गौरव चौहान

मप्र में इंडस्ट्री सेक्टर में क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने और हजारों की संख्या में रोजगार पैदा करने के लिए नई एमएसएमई नीति कारगर सिद्ध होगी। नई एमएसएमई नीति से औद्योगीकरण की राह आसान हुई है। जिसके तहत हर जिले में कम से कम एक क्लस्टर होगा, जिसमें एक ही तरह के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग होंगे। इसके लिए छोटे जिलों में भी अब एमएसएमई के लिए नए औद्योगिक क्षेत्र बनेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के समग्र विकास के लिए निरंतर नई सोच के साथ परिश्रम कर रहे हैं। उनका प्रदेश के प्रति प्रेम और समर्पण आज मप्र के विकास की नई गाथा लिखने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समग्र विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मप्र एमएसएमई विकास नीति-2025 के क्रियान्वयन को मंजूरी दी। इससे प्रदेश में आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी। मप्र एमएसएमई को औद्योगिक भूमि एवं भवन आवंटन तथा प्रबंधन नियमों में सशोधन भी किए जा रहे हैं। संशोधन अनुसार विकसित किए जाने वाले औद्योगिक भू-खंडों का आबंटन पहले आओ-पहले पाओ के स्थान पर ई-बिडिंग अब फ्लैटेड इंडस्ट्रियल एरिया और कॉम्पलेक्स का निर्माण और आबंटन का नवीन प्रावधान किया गया है। इन संसाधनों के बाद भूमि का आवंटन सरल, पारदर्शी एवं ऑनलाइन तरीके से त्वरित गति से हो सकेगा। इस नीति के तहत निवेशकों को व्यापक सहायता प्रदान करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इससे प्रदेश में छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के विस्तार को नई ऊर्जा मिलेगी।
97 करोड़ से विकसित होंगे औद्योगिक क्षेत्र
जानकारी के अनुसार पन्ना, सिंगरौली और सतना जैसे छोटे जिलों में एमएसएमई के लिए 97 करोड़ से औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे। हाल ही में एमएसएमई के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली स्थाई वित्तीय समिति ने 9 औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव को सहमति दी है। पिछले साल उद्योग विभाग में हुए बदलाव के बाद बड़े उद्योगों के साथ अब छोटे-मध्यम उद्योगों को भी प्राथमिकता से बढ़ावा देने का निर्णय हुआ था। मप्र लघु उद्योग निगम इन सभी विकास कामों का जिम्मा लेगा। अगले 3 वित्तीय वर्षों में इन क्षेत्रों के विकास काम पूरे किए जाने हैं। हर 3 महीने में तक हुए कामों का ब्यौरा और काम की प्रगति की जानकारी निर्माण एजेंसी से ली जाएगी। इन नए प्रोजेक्ट में भोपाल के अचारपुरा औद्योगिक क्षेत्र और पन्ना में डायमंड पार्क का विकास शामिल है। सभी क्षेत्रों को मिलकर 97 करोड़ 85 लाख से अधिक की लागत आएगी। पन्ना में प्रस्तावित डायमंड पार्क जल्द विकसित किया जाएगा। पन्ना की जनकपुर तहसील में 1265 करोड़ की लागत से पार्क में बिजली, पानी, सडक़ और वाटर हार्वेस्टिंग जैसी सुविधाएं विकसित होंगी। जानकारी के मुताबिक पार्क के लिए 11 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है। रतलाम में अल्कोहल प्लांट की जमीन पर 8.95 करोड़ से नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा।
रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर
प्रदेश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को 100 से अधिक लोगों को रोजगार देने पर डेढ़ गुना अधिक अनुदान दिया जाएगा। नई नीति में प्रति कर्मचारी 5 हजार रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता 5 वर्षों तक दी जाएगी। साथ ही औद्योगिक प्रशिक्षण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 13 हजार रुपए तक का प्रशिक्षण अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। नई एमएसएमई नीति लागू होने से मध्यप्रदेश में छोटे और मध्यम उद्योगों को नए अवसर मिलेंगे। इससे प्रदेश में औद्योगीकरण को गति मिलेगी। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दी गई वित्तीय सहायता और प्रोत्साहनों से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में मध्यप्रदेश की नई नीति महत्वपूर्ण साबित होगी। प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई नीति में निर्यातक इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है। इसमें निवेश पर 52 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता, निर्यात के लिए माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी और निर्यात संबंधी प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर 50 लाख रुपए तक की सहायता शामिल है।
अचारपुरा का 377 करोड़ से विकास
भोपाल के अचारपुरा औद्योगिक क्षेत्र में 377 करोड़ की लागत से औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। इसी तरह से सीहोर के पगारिया राम में 15.40 करोड़ से नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित होगा। वहीं सिंगरौली की एकपाई तहसील में 10.51 करोड़ से नया क्षेत्र बनेगा। आलीराजपुर की सोंडवा तहसील में 7.94 करोड़ से तो सिवनी के छपरा में या औद्योगिक क्षेत्र विकसित होगा। सतना के उचेहरा में 13.84 करोड़, नरसिंहपुर के श्रीधाम में 10.97 करोड़ से नया क्षेत्र बनाया जाना प्रस्तावित है।